दिनांक 01.03.2025 को कस्तूरी द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर स्त्री ज्ञान पर्व मनाया गया । जिसमें ‘भारतीय स्त्रीवाद की अनुगूंज मीराबेन की दृष्टि से’ सुप्रिया पाठक की पुस्तक की परिचर्चा हुई । इस कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. अनिल राय ने की । कार्यक्रम के मुख्य अतिथि नंद किशोर आचार्य एवं मुख्य वक्ता पुरुषोत्तम अग्रवाल थे । विशिष्ट वक्ता प्रो. वंदना झा तथा विशिष्ट अतिथि सोनी पाण्डेय रहे। कार्यक्रम में सूत्रधार की भूमिका विशाल पाण्डेय ने निभाई । विशाल के स्वागत वक्तव्य के उपरांत सुप्रिया पाठक ने अपने विचार प्रस्तुत किए। भारतीय स्त्रीवाद की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा “भारतीय स्त्रीवाद को मीराबेन से समझा जा सकता है ।” उनके अनुसार “सत्य अहिंसा के गुण महिलाएं अधिक धारण करती है। स्त्रियों में नैतिकता अधिक होती है ।” प्रो. वंदना झा ने भी भारतीय स्त्रीवाद को समझाते हुए ‘इको फेमिनिज्म’, ‘सस्टेनेबल डेवलपमेंट’, ‘ऑर्गेनिक थॉट’ की अवधारणा को स्पष्ट किया। गांधी, मीराबेन एवं सत्याग्रह के विभिन्न पक्षों पर राय रखते हुए कहा, “एक बड़ा व्यक्तित्व अकेले बड़ा नहीं होता, उसमें बहुत से व्यक्तियों का योगदान रहता है ।”
सोनी पांडेय जी ने भारतीय स्त्रीवाद, भारतीय आंदोलन एवं समानता पर अपने विचार अभिव्यक्त किए । गांधी जी के आजादी के स्वप्न में स्त्री की भूमिका पर कहा, “स्त्रियां जैसे अपने शिशु को जन्म देती है और उनका पालन-पोषण करती है, इसी तरह आजादी के बाद स्त्रियां देश का पालन-पोषण करेगी।” गांधी के व्यक्तित्व, ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य एवं गांधी मीराबेन संबंधों पर पुरुषोत्तम अग्रवाल ने विस्तृत चर्चा की। गांधी जी के व्यक्तित्व के बारे में उन्होंने कहा, “भीड़ में होते हुए भी एकांत को कैसे साधा जाता है, यह गांधी जी से सीखा जा सकता है ।” नंदकिशोर आचार्य ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन, स्त्रीवादी चेतना, गांधी मीराबेन संबंध एवं तत्कालीन युगबोध को रेखांकित किया। स्त्री विमर्श को व्याख्यायित करते हुए कहा, “गांधी जी आध्यात्मिक स्त्रीवादी है एवं गांधी जी के लिए आध्यात्मिक ता का अर्थ सत्याग्रही होना है ।” गाँधी जी के सत्य का विश्लेषण करते हुए कहा, “सत्य का प्रतिरोध भी सत्य का संधान है।” अध्यक्षीय भाषण प्रो. अनिल राय ने दिया । उन्होंने पुस्तक की भूरि-भूरि प्रशंसा की । तथा भारतीय स्त्रीवाद, स्वतंत्रता आंदोलन, गांधी मीराबेन व्यक्तित्व एवं सत्य की अवधारणा को रेखांकित किया। उनके अनुसार “सृष्टि में अनेक नियमों की खोज हुई है, संभवत: सत्य की खोज गांधी जी के द्वारा की गई । यह खोज स्वयं की खोज है।” आगे उन्होंने कहा, “यह पुस्तक मीराबेन की जिंदगी ही नहीं है, बल्कि उस समय के भारत का समाज है, जिसे विभिन्न आयामों से देखा गया है।”अंत में औपचारिक धन्यवाद ज्ञापन की प्रक्रिया आदित्यनाथ तिवारी द्वारा पूर्ण की गई। कार्यक्रम की वीडियोग्राफी एवं फोटोग्राफी इंजमाम द्वारा की गई।
रिपोर्ट: डॉ. निक्की राय