दिल्ली देहात का सब्र अब संघर्ष में बदला

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किसानों ने योगेंद्र यादव से मिलकर संसद तक पहुँचाने की माँग रखी
•दिल्ली देहात मोर्चा के संस्थापक सदस्यों ने भारत जोड़ो अभियान के संयोजक श्री योगेंद्र यादव से मुलाक़ात कर दिल्ली देहात की न्यायपूर्ण माँगों को लोकसभा में विपक्ष के नेता श्री राहुल गांधी तक पहुँचाने का अनुरोध किया।
•ज़मीन के सर्किल रेट, लैंड पूलिंग की जबरदस्ती, स्मार्ट विलेज की माँग और असंवैधानिक शर्तों के ख़िलाफ़ संसद में आवाज़ बुलंद करने की माँग; साथ ही राहुल गांधी से बैठक और दिल्ली देहात के दौरे की अपील भी की गई।
नई दिल्ली | दिल्ली देहात के किसानों की आवाज़ अब सीधे संसद के दरवाज़े तक पहुँचने को तैयार है। आज दिल्ली देहात मोर्चा के संस्थापक सदस्यों का एक प्रतिनिधिमंडल दिल्ली में भारत जोड़ो अभियान के संयोजक श्री योगेंद्र यादव से मिला और उन्हें एक विस्तृत ज्ञापन सौंपा। यह संवाद ऐसे समय पर हुआ है जब हाल ही में लोकसभा में विपक्ष के नेता श्री राहुल गांधी ने संसद में दिल्ली देहात से जुड़े कुछ मुद्दों को उठाया। प्रतिनिधियों ने आग्रह किया कि इन मुद्दों को गहराई से उठाने की आवश्यकता है ताकि वर्षों से उपेक्षित दिल्ली देहात के किसानों की समस्याएं राष्ट्रीय बहस का हिस्सा बनें।
ज्ञापन में तीन प्रमुख माँगें रखी गईं:
1.राहुल गांधी से मोर्चा के प्रतिनिधियों की बैठक सुनिश्चित कराई जाए।
2.उन्हें दिल्ली देहात का दौरा कराया जाए ताकि वे ज़मीनी सच्चाई से परिचित हो सकें।
3.संसद में दिल्ली देहात के चार प्रमुख मुद्दों को ज़ोरदार ढंग से उठाया जाए:
•कृषि भूमि के सर्किल रेट को 17 वर्षों से नहीं बढ़ाना एक गहरा अन्याय है। इसे ₹10 करोड़ प्रति एकड़ करने की माँग।
•किसानों द्वारा खारिज की गई लैंड पूलिंग पॉलिसी को जबरन कानून बनाकर थोपना लोकतंत्र और संवैधानिक मूल्यों के ख़िलाफ़ है।
•दिल्ली मास्टर प्लान 2041 में ‘सबको प्लॉट, स्मार्ट विलेज’ की नीति को सम्मिलित कर ग्रामीणों के लिए समावेशी विकास सुनिश्चित किया जाए।
•लैंड पूलिंग की शर्तें — 5 एकड़ की बाध्यता, भारी बाहरी विकास शुल्क, 40% ज़मीन मुफ़्त में देना और कंसोर्टियम की अनिवार्यता — असंवैधानिक हैं और दिल्ली के किसानों के साथ घोर अन्याय है।
इस प्रतिनिधिमंडल में राजीव यादव दरियापुर खुर्द,  दिलबाग सिंह नीलवाल, रोहताश राणा (घेवरा), देवेंद्र सिंह डागर (समसपुर खालसा), ताराचंद (दिचाऊ), राजबीर (सारंगपुर), लेखचंद रंगा (ईसापुर), कबूल सिंह (मुडेला कलां), प्रधान शीशराम (खड़खड़ी रौंद), रामेश्वर (खड़खड़ी रौंद), धर्मवीर (घेवरा) और जयपाल शास्त्री (घेवरा) शामिल रहे। इस मुलाक़ात के दौरान राजीव यादव ने कहा, “दिल्ली देहात के किसानों को सरकार ने 11 साल से नजरअंदाज़ किया है। हमारी ज़मीनें छीनी जा रही हैं, मास्टर प्लान में गाँवों को गायब किया जा रहा है, और हमारे बच्चों के भविष्य पर अंधेरा छाया जा रहा है। अब समय आ गया है कि दिल्ली देहात संसद में सुना जाए, और हमारे गाँवों की भी वही इज़्ज़त मिले जो देश के किसी भी हिस्से को मिलती है। हम शांतिपूर्ण संघर्ष के रास्ते से अपनी बात लोकतंत्र के मंदिर तक ले जा रहे हैं।”
यह मुलाक़ात इस बात का स्पष्ट संकेत है कि दिल्ली देहात के किसान अब चुप नहीं बैठेंगे। वर्षों के धैर्य के बाद यह संघर्ष अब संगठित और लोकतांत्रिक रूप ले चुका है। दिल्ली देहात के अधिकारों की इस लड़ाई में अब कोई समझौता नहीं होगा — यह केवल न्याय की माँग है, और अब वह समय आ चुका है।

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