मुंबई, भारत की आर्थिक राजधानी और सांस्कृतिक नगरी, हमेशा से अपने जीवंत इतिहास और प्रेरणादायक व्यक्तित्वों के लिए जानी जाती है। हाल ही में मेरे मुंबई प्रवास के दौरान एक ऐसी मुलाकात हुई, जो न केवल मेरे लिए, बल्कि मेरे साथ मौजूद सभी लोगों के लिए अविस्मरणीय रही। यह मुलाकात थी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पड़पोते डॉ. तुषार गांधी से, जिनके साथ हमारी बातचीत ने गांधीवादी विचारधारा की वर्तमान प्रासंगिकता और भविष्य की संभावनाओं को नए आयाम दिए। इस लेख में मैं उस मुलाकात के अनुभव, विचार-विमर्श और गांधीवादी दर्शन की वैश्विक पहुंच के बारे में विस्तार से साझा करूंगा।
●मुलाकात का परिदृश्य:
मुंबई के यूसुफ मेहर सेंटर में यह मुलाकात तय थी। मेरे साथ मेरी पत्नी कृष्णा कांता, गांधी सेवक जयंत दीवान, और कुतुब किदवई भी थे। मुलाकात का समय दोपहर 2 बजे तय था, लेकिन हम कुछ जल्दी पहुंच गए, जिसके कारण हमारी बातचीत समय से पहले शुरू हो गई। यह अनौपचारिक शुरुआत ही बातचीत को और अधिक सौहार्दपूर्ण और गहन बना गई। तुषार गांधी, जो गांधी परिवार की विरासत को न केवल अपने नाम से, बल्कि अपने कार्यों से भी जीवित रख रहे हैं, ने हमें बड़े आत्मीयता से स्वागत किया।
●तुषार गांधी: व्यक्तित्व और योगदान:
तुषार गांधी, महात्मा गांधी के पड़पोते, का जन्म 17 जनवरी 1960 को मुंबई में हुआ था। वे महात्मा गांधी के छोटे बेटे मणिलाल गांधी के पोते और अरुण गांधी के पुत्र हैं। तुषार गांधी ने अपने जीवन को गांधीवादी विचारधारा को बढ़ावा देने और सामाजिक बदलाव के लिए समर्पित किया है। वे महात्मा गांधी फाउंडेशन के संस्थापक हैं और कई सामाजिक, शैक्षिक, और सांस्कृतिक पहलों से जुड़े रहे हैं। उनकी पुस्तक “Let’s Kill Gandhi” ने गांधी की हत्या के पीछे के ऐतिहासिक और सामाजिक संदर्भों को उजागर किया, जिसने उन्हें एक लेखक और विचारक के रूप में भी पहचान दिलाई। तुषार गांधी न केवल गांधीवादी सिद्धांतों को जीते हैं, बल्कि उन्हें आधुनिक संदर्भों में लागू करने के लिए भी प्रयासरत हैं।
●बातचीत का मुख्य मुद्दा:
हमारी चर्चा का केंद्रीय विषय था देश भर में गांधी जी के नाम पर स्थापित संस्थानों की वर्तमान स्थिति और उनकी भूमिका। हम सभी का मानना था कि आज के समय में कई गांधीवादी संस्थान निष्क्रिय हो चुके हैं, जबकि समाज में गांधीवादी विचारों की प्रासंगिकता पहले से कहीं अधिक है। तुषार गांधी ने भी इस बात पर सहमति जताई कि इन संस्थानों को जनता के बीच जाकर सक्रियता बढ़ानी चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि गांधी जी के सिद्धांत—अहिंसा, स्वराज, और सत्य—आज भी सामाजिक और वैश्विक समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करते हैं।
हमने इस बात पर भी चर्चा की कि वैश्विक स्तर पर महात्मा गांधी के नाम और कार्यों की वजह से ही भारत की एक विशिष्ट पहचान बनी है। तुषार गांधी ने बताया कि विश्व के लगभग 80 स्थानों पर बापू की मूर्तियां स्थापित हैं, जो उनके विचारों की सार्वभौमिक स्वीकार्यता को दर्शाता है। इस संदर्भ में, मैंने अपने अमेरिका और यूरोप प्रवास के अनुभव साझा किए। मैंने विशेष रूप से पिछले वर्ष सैटरडे फ्री स्कूल द्वारा फिलाडेल्फिया में आयोजित भारत की आजादी महोत्सव का जिक्र किया, जहां इस संस्थान के संस्थापक डॉ. एंथनी मॉन्टेरो की गांधीवादी विचारों के प्रति निष्ठा और उनके कार्यों की जानकारी दी। तुषार गांधी ने इस पर गहरी रुचि दिखाई और अपने अगले अमेरिका प्रवास में इस संस्थान की गतिविधियों से जुड़ने की इच्छा जताई।
●गांधी ग्लोबल फैमिली और सामाजिक कार्य:
बातचीत के दौरान मैंने गांधी ग्लोबल फैमिली के कार्यों का उल्लेख किया। यह संगठन जनता से सीधे जुड़ा हुआ है और इसकी कोई भौतिक संपत्ति, जैसे भवन या बैंक खाता, नहीं है। इसकी असली संपत्ति इसके कार्यकर्ता हैं, जो गांधीवादी मूल्यों को जीवित रखने के लिए समर्पित हैं। तुषार गांधी ने इस दृष्टिकोण की सराहना की और कहा कि ऐसे ही संगठन और व्यक्ति गांधी और उनके विचारों को जीवित रखते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि गांधीवादी दर्शन को जीवंत रखने के लिए संगठनों को जमीनी स्तर पर काम करना होगा और जनता के बीच उनकी उपस्थिति अनिवार्य है।
●आगामी युवा महोत्सव और अन्य चर्चाएं:
हमने तुषार गांधी को नेशनल यूथ प्रोजेक्ट और गांधी ग्लोबल फैमिली की ओर से संत निरंकारी मिशन के सहयोग से 2 अक्टूबर (गांधी जयंती) से 7 अक्टूबर तक पानीपत में आयोजित होने वाले ग्लोबल युवा महोत्सव के बारे में भी बताया। इस आयोजन का उद्देश्य युवाओं को गांधीवादी विचारों से जोड़ना और सामाजिक बदलाव के लिए प्रेरित करना है। तुषार गांधी ने इस पहल की सराहना की और इसके लिए अपनी शुभकामनाएं दीं।
बातचीत के दौरान समाजवादी विचारक डॉ. सुनीलम और अतुल भी मौजूद थे, जिन्होंने चर्चा को और समृद्ध किया। हमने गांधीवादी विचारों को आधुनिक संदर्भ में लागू करने, सामाजिक न्याय, और पर्यावरण संरक्षण जैसे मुद्दों पर भी विचार-विमर्श किया। यह मुलाकात एक सौहार्दपूर्ण और प्रेरणादायक वातावरण में संपन्न हुई।
●विदाई और भविष्य की उम्मीद:
लगभग आधे घंटे की इस गहन और सार्थक बातचीत के बाद, हमने तुषार गांधी से फिर मिलने की उम्मीद के साथ विदा ली। उनकी सादगी, गांधीवादी विचारों के प्रति समर्पण, और सामाजिक बदलाव के लिए उनके प्रयासों ने हम सभी को गहरी प्रेरणा दी। यह मुलाकात न केवल एक व्यक्तिगत उपलब्धि थी, बल्कि गांधीवादी दर्शन को और अधिक लोगों तक पहुंचाने की हमारी प्रतिबद्धता को और मजबूत करने का अवसर भी थी।
यह मुलाकात एक बार फिर इस बात की याद दिलाती है कि महात्मा गांधी के विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने उनके समय में थे। तुषार गांधी जैसे व्यक्तियों और गांधी ग्लोबल फैमिली जैसे संगठनों के माध्यम से बापू का दर्शन न केवल जीवित है, बल्कि यह नई पीढ़ी को प्रेरित करने और सामाजिक बदलाव लाने का सशक्त माध्यम भी है। इस मुलाकात ने हमें यह विश्वास दिलाया कि गांधीवादी सिद्धांतों को अपनाकर हम एक बेहतर, अधिक समावेशी, और अहिंसक विश्व की रचना कर सकते हैं।
Discover more from समता मार्ग
Subscribe to get the latest posts sent to your email.
Thanks for sharing. A meaningful meeting with Dr tushar Gandhi