सरकारी एवं निजी जमीनों पर भू माफिया दखलअंदाजी को लेकर प्रशासनिक जवाबदेही तय हो : अजय खरे

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प्रदेश के मुख्यमंत्री को ईमेल ज्ञापन भेजकर भू माफिया मकड़जाल खत्म कराने को कहा

रीवा 12 सितंबर। समता सम्पर्क अभियान के राष्ट्रीय संयोजक लोकतंत्र सेनानी अजय खरे ने कहा कि भू माफिया गिरोह के बढ़ते दुष्प्रभाव के चलते साधारण लोगों की जमीन पर उसकी मनमानी दखलअंदाजी बढ़ती जा रही है। जमीन चाहे सरकारी हो या निजी उसे हड़पने के लिए भू माफिया मकड़जाल फैल रहा है। देखने को मिलता है कि बहुत सी जगह गरीब एवं साधारण लोगों की जमीन पर दबंग सरहंग लोगों के द्वारा बिना पूछे कोई ना कोई कार्यक्रम कराने की कोशिश होती है। मना करने पर विवाद की स्थिति बनाते हैं। शहरी क्षेत्र की महंगी सरकारी और निजी जमीनों पर भू माफिया निगाहें लगी हुई है। यह बात बहुत आपत्तिजनक है। इस तरह की मनमानी पर हर हालत में रोक लगना चाहिए।

लोकतंत्र सेनानी श्री खरे ने कहा कि नियमानुसार कोई भी निजी स्वामित्व की जमीन पर बिना सहमति किसी भी तरह के कार्यक्रम की इजाजत नहीं दी जा सकती है। लिखित प्रमाणिक सहमति के बगैर किसी भी तरह के धार्मिक, राजनीतिक, सामाजिक या व्यक्तिगत कार्यक्रम करने के संबंध में शासन प्रशासन की ओर से अनुमति नहीं मिलना चाहिए। एक तरफ लोगों को अपनी जमीन पर सार्वजनिक कार्यक्रम करने के लिए विधि सम्मत अनुमति लेनी पड़ती है लेकिन दूसरी तरफ भू-माफिया गिरोह आतंक का वातावरण बनाकर बिना सहमति और अनुमति कार्यक्रम कर लेते हैं। यदि कोई व्यक्ति दूसरे की जमीन पर अवैध गतिविधि करता है तो उसके विरूद्ध तत्काल प्रभाव से एफ आई आर दर्ज कराकर दंडित किया जाना चाहिए।

श्री खरे ने प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव को ईमेल ज्ञापन भेजकर भू माफिया आतंक पर ध्यान आकर्षित कराया है। धार्मिक एवं सामाजिक कार्यक्रमों के नाम पर भू माफिया गिरोह के द्वारा गरीब एवं साधारण लोगों की जमीन को विवादित कराने के हथकंडों को रोकने के संबंध में शासन प्रशासन उचित दिशा निर्देश जारी करे। अराजक एवं मनमानी गतिविधि करने वालों और भू माफिया गिरोह पर सख्त नजर रखते हुए उनके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करें जिससे आम लोगों को न्याय मिल सके। समय पर न्याय नहीं मिलने से लोगों की निराशा बढ़ती है और शासन के प्रति अविश्वास का माहौल निर्मित होता है। भू माफिया गिरोह का इतना आतंक रहता है कि लोग उनके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने से भी डरते हैं। भू माफिया की बढ़ती जा रही दखलअंदाजी को लेकर जवाबदेही तय होना चाहिए।


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