बालेंद्र शाह का भारत- विरोध: एक विश्लेषण

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balendra shah

Parichay Das

— परिचय दास —

ताया जा रहा है कि ज़ेन ज़ी आन्दोलन के पीछे बालेन्द्र शाह का बड़ा आधार रहा है। वे काठमांडू के मेयर हैं। राजनीतिक हैं। मधेस व मैथिल परिवार से हैं। नेपाली गीतों के रैपर- संगीतकार हैं लेकिन अब तक जो उनका रुख रहा है , उसमें उनका भारत- विरोध झलकता है।

इस पर विचार होना चाहिए

बालेंद्र शाह का भारत- विरोध केवल नेपाल की संप्रभुता या सामाजिक चेतना से प्रेरित नहीं है। उनके दृष्टिकोण में व्यक्तिगत द्वेष, भावनात्मक कटुता, अराजकतावादी प्रवृत्ति और नकारात्मक राजनीतिक सोच गहराई से पैठी हुई है। इस विस्तार में हम उनके भारत- विरोध के विभिन्न पहलुओं को समझेंगे।

बालेंद्र शाह ने अपने वक्तव्यों और कृत्यों में बार-बार भारत को नेपाल के लिए एक आक्रामक और प्रतिकूल शक्ति के रूप में प्रस्तुत किया है। यह दृष्टिकोण केवल राष्ट्रवाद या राष्ट्रीय हितों से प्रेरित नहीं है बल्कि इसमें भावनात्मक द्वेष और व्यक्तिगत कटुता का स्पष्ट प्रभाव है। उदाहरण के लिए, ‘आदिपुरुष’ फिल्म पर प्रतिबंध का निर्णय केवल सांस्कृतिक संरक्षण या ऐतिहासिक तथ्य की रक्षा के लिए नहीं बल्कि भावनात्मक असंतोष और अपमान की प्रतिक्रिया के रूप में लिया गया।

उनका भारत-विरोध केवल तर्कसंगत राजनीतिक निर्णय नहीं बल्कि भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक प्रतिक्रिया का परिणाम भी है। यह दृष्टिकोण उनके नेतृत्व में एक गहन नकारात्मकता पैदा करता है जो तर्क और विवेक से परे जाता है।

बालेंद्र शाह ने कई अवसरों पर संवैधानिक आदेशों, न्यायपालिका के निर्णयों और प्रशासनिक नियमों की अवहेलना की है। उदाहरण स्वरूप, पाटन उच्च न्यायालय के आदेशों को अस्वीकार करना और भारतीय फिल्मों के स्क्रीनिंग पर अपने प्रतिबंध को बनाए रखना, यह स्पष्ट रूप से अराजकतावादी मानसिकता को दर्शाता है।

यह दृष्टिकोण दर्शाता है कि वे व्यक्तिगत राजनीतिक विचारों और भावनाओं को कानून और संविधान के ऊपर रखते हैं। यह अराजकतावाद केवल राजनीतिक असहमति का परिणाम नहीं है, बल्कि यह नेपाल की लोकतांत्रिक संस्थाओं और कानून व्यवस्था के प्रति उनका अविश्वास और अपमान भी दिखाता है।

बालेंद्र शाह का भारत- विरोध सामाजिक आंदोलन और युवा चेतना से जुड़ा हुआ प्रतीत होता है लेकिन यह अक्सर अव्यवस्था और विद्रोह को बढ़ावा देता है। ‘जेन ज़ी आंदोलन’ के संदर्भ में उनका दृष्टिकोण देखें: उन्होंने आंदोलन में शामिल युवाओं की भावनाओं को समर्थन दिया, जो सड़कों पर उतरकर सरकार और प्रशासन के खिलाफ प्रत्यक्ष विद्रोह कर रहे थे। किंचित् यह अराजकता की ओर ही जाने जैसा लगा। पूर्व प्रधान मंत्री की पत्नी को जिंदा जलाना, कांति पुर अखबार व बैंकों , सुप्रीम कोर्ट पर हमला आदि का समर्थन नहीं किया जा सकता।

कई बार लगता है, इससे नेपाल में सामाजिक और राजनीतिक अस्थिरता भी बढ़ी है। शाह का यह दृष्टिकोण लोकतांत्रिक प्रक्रिया, संवाद और कूटनीतिक समाधान के बजाय सीधे संघर्ष और विरोध पर आधारित रहा है। यह न केवल अराजकतावाद को पुष्ट करता है बल्कि नेपाल की युवा राजनीति में अस्थिरता और कटुता का विकास करता है।

बालेंद्र शाह का भारत विरोध व्यापक राष्ट्रवाद के बजाय संकीर्ण राष्ट्रवादी भावना पर आधारित प्रतीत होता है। उनका दृष्टिकोण भारत को केवल नकारात्मक शक्ति के रूप में देखने पर केन्द्रित है। यह दृष्टिकोण नेपाल के राष्ट्रीय हितों के बहुल और संतुलित दृष्टिकोण को कमजोर करता है। उनके विचारों में भारत के साथ सहयोग या संवाद की संभावना न्यूनतम है।

यह संकीर्ण राष्ट्रवाद नेपाल के वैश्विक संबंधों, आर्थिक विकास और क्षेत्रीय सहयोग की संभावनाओं के लिए हानिकारक है। शाह का दृष्टिकोण भावनात्मक और व्यक्तिगत द्वेष के आधार पर नीति निर्माण की दिशा को प्रभावित करता है, जिससे नेपाल की राजनीतिक और आर्थिक स्थिरता पर प्रश्न उठता है।

बालेंद्र शाह का भारत विरोध नेपाल में एक नकारात्मक राजनीतिक प्रभाव उत्पन्न करता है। यह विरोध नेपाल की लोकतांत्रिक संस्थाओं, युवा राजनीति, न्यायपालिका और सामाजिक स्थिरता पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। उनकी दृष्टि में भारत विरोध व्यक्तिगत द्वेष, अराजकतावाद और भावनात्मक कटुता से प्रेरित है, न कि केवल राष्ट्रीय हितों या लोकतंत्र की रक्षा से।

इस दृष्टिकोण का परिणाम यह होता है कि नेपाल में राजनीतिक विमर्श विनाशकारी दिशा में जाता है। युवा वर्ग की राजनीतिक चेतना अव्यवस्था और विद्रोह के स्वरूप में प्रकट होती है, और पारंपरिक राजनीतिक संरचनाएँ चुनौती के रूप में उभरती हैं।

बालेंद्र शाह का भारत विरोध केवल संप्रभुता, लोकतांत्रिक अधिकार या सामाजिक चेतना से प्रेरित नहीं है। यह व्यक्तिगत द्वेष, भावनात्मक कटुता, अराजकतावाद और संकीर्ण राष्ट्रवादी सोच का मिश्रण है। उनके दृष्टिकोण में:

संवैधानिक अवज्ञा और अराजकतावादी प्रवृत्ति स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। युवा आंदोलनों और विरोध प्रदर्शनों को बढ़ावा देना सामाजिक और राजनीतिक अस्थिरता पैदा करता है।

भारत को नकारात्मक शक्ति के रूप में प्रस्तुत करना राष्ट्रीय हितों के व्यापक दृष्टिकोण को कमजोर करता है। बालेंद्र शाह का भारत- विरोध नेपाल में केवल राजनीतिक विमर्श का हिस्सा नहीं बल्कि नकारात्मक अराजकतावाद और भावनात्मक द्वेष का प्रतीक बन चुका है। उनके दृष्टिकोण की यह सटीक व्याख्या दर्शाती है कि यह संघर्ष केवल राष्ट्रवाद या लोकतंत्र की रक्षा नहीं बल्कि व्यक्तित्व और भावनात्मक कटुता पर आधारित है।

बालेंद्र शाह का भारत-विरोध केवल राजनीतिक असहमति या राष्ट्रवाद तक सीमित नहीं है। इसे एक व्यक्तिगत द्वेष, भावनात्मक कटुता, अराजकतावादी मानसिकता और नकारात्मक सोच के रूप में देखा जा सकता है। इस दृष्टि से उनका विरोध नेपाल के सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक ढाँचे पर गहरा प्रभाव डालता है। बालेंद्र शाह का भारत विरोध भावनात्मक कटुता पर आधारित है।

वे भारत को नेपाल के लिए एक “अतिक्रमणकारी और नकारात्मक शक्ति” के रूप में देखते हैं। व्यक्तिगत अनुभव, ऐतिहासिक घटनाओं और सांस्कृतिक असंतोष उनके दृष्टिकोण में गहरे प्रभाव डालते हैं। यह विरोध तर्कसंगत बहस से अधिक भावनात्मक द्वेष पर टिका है, जो उनके निर्णयों और कार्यशैली में झलकता है।

बालेंद्र शाह ने संवैधानिक आदेशों और न्यायपालिका के निर्णयों को अवहेलना करते हुए अपनी राजनीतिक मान्यताओं को सर्वोपरि रखा। उदाहरण: पाटन उच्च न्यायालय द्वारा भारतीय फिल्मों के प्रतिबंध को अवैध घोषित करने के बावजूद उन्होंने इसे लागू नहीं होने दिया। यह दृष्टिकोण अराजकतावाद, नियम और संविधान के प्रति अविश्वास और असंवैधानिक चुनौती का संकेत देता है।

शाह ने ‘जेन ज़ी आंदोलन’ जैसी युवा चेतना को सक्रिय समर्थन दिया। युवा वर्ग में भावनात्मक असंतोष और प्रतिरोध की भावना को बढ़ावा दिया। परिणामस्वरूप नेपाल में सामाजिक अस्थिरता और विरोध प्रदर्शन बढ़े। उनका दृष्टिकोण युवा राजनीति को अधिक विद्रोही और असंयमित बनाता है।

बालेंद्र शाह का भारत विरोध संकीर्ण राष्ट्रवाद पर आधारित है, जो सहयोग और कूटनीतिक समझ को कमजोर करता है। भारत और नेपाल के बीच भावनात्मक दूरी और राजनीतिक तनाव बढ़ता है।

वैश्विक और क्षेत्रीय सहयोग की संभावनाएँ प्रभावित होती हैं। लोकतांत्रिक संस्थाओं पर दबाव और उनकी अवहेलना। युवा आंदोलन और विरोध प्रदर्शन के माध्यम से राजनीतिक अस्थिरता को बढ़ावा। भारत विरोध के कारण नेपाल की सामाजिक-राजनीतिक स्थिरता और विकास में बाधा।

बालेंद्र शाह का भारत विरोध केवल संप्रभुता, सामाजिक न्याय या सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक नहीं है। यह व्यक्तिगत द्वेष, भावनात्मक कटुता, अराजकतावाद और नकारात्मक राजनीति का मिश्रण है।

उनके दृष्टिकोण का प्रभाव नेपाल में: सामाजिक अस्थिरता बढ़ाना। युवा आंदोलनों को विद्रोही रूप देना। लोकतांत्रिक संस्थाओं और कानून व्यवस्था को चुनौती देना। भारत के साथ द्विपक्षीय तनाव बढ़ाना।

भारत-विरोध राष्ट्रहित की रक्षा नहीं बल्कि व्यक्तिगत भावनाओं और नकारात्मक राजनीतिक प्रवृत्तियों का परिणाम है। बालेंद्र शाह का भारत विरोध केवल भावनात्मक या व्यक्तिगत द्वेष तक सीमित नहीं है। इसके पीछे रणनीतिक सोच, राजनीतिक सन्दर्भ और युवा चेतना को दिशा देने की प्रवृत्ति भी है। इसके सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव नेपाल के भविष्य पर गहरे निशान छोड़ सकते हैं।

बालेंद्र शाह का भारत विरोध संगठित विरोध की रणनीति पर आधारित है। वे यह मानते हैं कि नेपाल में युवा शक्ति और जनता की चेतना को संगठित करके भारत जैसे बाहरी प्रभावों को चुनौती दी जा सकती है। हालांकि इस रणनीति में नकारात्मक अराजकतावादी तत्व भी शामिल हैं, जो संवैधानिक प्रक्रिया, लोकतांत्रिक नियम और प्रशासनिक ढांचे के खिलाफ जाते हैं।

उनकी रणनीति केवल विरोध प्रदर्शनों तक सीमित नहीं, बल्कि सांस्कृतिक, राजनीतिक और सामाजिक पहचान के मुद्दों को भी भारत विरोध के माध्यम से प्रमुख बनाती है। बालेंद्र शाह के दृष्टिकोण से भारत विरोध केवल तत्काल राजनीति का परिणाम नहीं है, बल्कि इसके दीर्घकालीन प्रभाव नेपाल की राजनीतिक स्थिरता और युवा चेतना पर पड़ सकते हैं।

राजनीतिक अस्थिरता: युवा आंदोलनों और विरोध प्रदर्शनों के कारण नेपाल में शासन और प्रशासन में स्थायित्व की कमी।
युवा राजनीति का विद्रोही स्वरूप: युवा वर्ग के बीच संवैधानिक प्रक्रिया और लोकतांत्रिक बहस की जगह अराजकतावादी दृष्टिकोण बढ़ना।

सांस्कृतिक और भावनात्मक दूरी: भारत और नेपाल के बीच भावनात्मक और सांस्कृतिक दूरी बढ़ना, जो दीर्घकालीन द्विपक्षीय संबंधों को कमजोर करता है।

बालेंद्र शाह का भारत विरोध नेपाल की सामाजिक चेतना और प्रशासनिक ढांचे को प्रभावित करता है। युवाओं में विद्रोह और असंतोष का भाव फैलाना उनकी रणनीति का एक मुख्य हिस्सा है। प्रशासन और न्यायपालिका पर दबाव बढ़ाना, संवैधानिक आदेशों का पालन न करना और सार्वजनिक आंदोलनों को बढ़ावा देना समाज में अस्थिरता और अव्यवस्था पैदा करता है।

शाह का दृष्टिकोण नेपाल की राष्ट्रवादी नीति और विदेश नीति पर असर डालता है। भारत विरोध के कारण द्विपक्षीय संबंधों में तनाव और असहमति उत्पन्न होती है। क्षेत्रीय सहयोग और वैश्विक निवेश की संभावनाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

बालेंद्र शाह का भारत विरोध व्यक्तिगत द्वेष और भावनात्मक कटुता पर आधारित है। इसमें संवैधानिक अवज्ञा, अराजकतावाद, युवा आंदोलन को विद्रोही बनाना और संकीर्ण राष्ट्रवाद शामिल है। इसका परिणाम नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता, सामाजिक अव्यवस्था और द्विपक्षीय तनाव के रूप में दिखाई देता है।

बालेंद्र शाह का भारत विरोध भावनात्मक द्वेष और अराजकतावाद से प्रेरित नकारात्मक रणनीति का प्रतिनिधित्व करता है। इसकी दीर्घकालीन प्रभावशीलता नेपाल की सामाजिक और राजनीतिक स्थिरता पर गहरा असर डाल सकती है।

युवा चेतना को विद्रोही दिशा देना।

लोकतांत्रिक संस्थाओं को चुनौती देना।

द्विपक्षीय और क्षेत्रीय सहयोग पर प्रतिकूल प्रभाव डालना।

राष्ट्रीय हितों और सांस्कृतिक पहचान को संकीर्ण दृष्टिकोण में बदलना।

— ये सब उनके भारत- विरोध के स्वरूप हैं।


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