केंद्रीय ट्रेड यूनियनों का संयुक्त मंच, आज से लागू किए गए इन श्रमिक-विरोधी और पूँजीपति-परस्त लेबर कोड्स की एकतरफा और मनमानी घोषणा की कड़े शब्दों में निंदा करता है। हम इसे देश के मेहनतकशों के साथ किया गया केंद्र सरकार का धोखाधड़ीपूर्ण कदम करार देते हैं।
21 नवंबर 2025 को जारी की गई इन तथाकथित चार “लेबर कोड्स” की अधिसूचना लोकतांत्रिक भावना का खुला उल्लंघन है और भारत के कल्याणकारी राज्य के चरित्र को बर्बाद कर देती है।
दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और स्वतंत्र औद्योगिक महासंघों का संयुक्त मंच इन दमनकारी लेबर कोड्स का विरोध उस दिन से कर रहा है जब ये 29 केंद्रीय श्रम कानूनों को खत्म करके पारित किए गए।
2019 में वेज कोड के पारित होने के तुरंत बाद देशभर में विरोध-आंदोलन शुरू हुए और जनवरी 2020 की आम हड़ताल में परिणत हुए।
और जब अन्य तीन कोड—औद्योगिक संबंध कोड, सामाजिक सुरक्षा कोड, व व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्य परिस्थितियां कोड—सितंबर 2020 में पारित किए गए, तो तत्काल विरोध हुए और 26 नवंबर की ऐतिहासिक देशव्यापी हड़ताल हुई, जिसे संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) के दिल्ली चलो आंदोलन का समर्थन भी मिला।
इसके बाद भी कई संयुक्त कार्रवाइयाँ जारी रहीं, जिनका चरम था 9 जुलाई 2025 की ऐतिहासिक देशव्यापी हड़ताल, जिसमें 25 करोड़ से अधिक मजदूरों ने भाग लिया।
इसके बावजूद, केंद्र की सत्तारूढ़ सरकार—बिहार चुनावों में मिली जीत से मदमस्त होकर—आज से चारों लेबर कोड्स को लागू करने को लेकर “सुपर-एम्पावर” महसूस कर रही है, जैसा कि मीडिया रिपोर्टों और श्रम मंत्रालय के ट्वीट्स से स्पष्ट है।
संयुक्त मंच ने बार-बार सरकार से भारतीय श्रम सम्मेलन (ILC) तत्काल बुलाने और लेबर कोड्स को वापस लेने की मांग की।
यह मांग 13 नवंबर को श्रम मंत्रालय द्वारा आयोजित श्रम शक्ति नीति 2025 पर बैठक में, तथा 20 नवंबर को वित्त मंत्रालय की प्री-बजट परामर्श बैठक में भी दोहराई गई।लेकिन सरकार पूरी तरह असंवेदनशील और बेपरवाह बनी रही।
इसके विपरीत, केंद्र सरकार ने सभी अपीलों, विरोधों और हड़तालों को नजरअंदाज करते हुए इन कोड्स को लागू कर दिया, ताकि प्री-बजट परामर्श में नियोक्ताओं के संगठनों और सरकार समर्थक बीएमएस व अन्य समूहों की मांगें पूरी की जा सकें।
संयुक्त मंच इस कदम को अलोकतांत्रिक, प्रतिगामी, मजदूर-विरोधी और पूँजीपति-परस्त करार देते हुए स्पष्ट रूप से घोषणा करता है कि श्रमिक जनता पर यह घातक हमला इतिहास के सबसे प्रचंड और संयुक्त प्रतिरोध से टकराएगा।
सभी केंद्रीय ट्रेड यूनियनें एक स्वर में इन कोड्स को मजदूरों के जीवन और आजीविका पर “नरसंहार जैसा हमला” बताती हैं—जो मजदूरों को वर्चुअल गुलामी में धकेल देगा और उनके हर अधिकार को छीन लेगा।
यदि ये कोड लागू हुए, तो आने वाली कई पीढ़ियों की आशाएँ, अधिकार और सपने नष्ट हो जाएंगे।
केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और स्वतंत्र औद्योगिक महासंघों का संयुक्त मंच देश के सभी मजदूरों से आह्वान करता है कि
26 नवंबर 2025 को संयुक्त, जुझारू प्रतिरोध और अवज्ञा की कार्रवाई में SKM के नेतृत्व में चल रहे किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर शामिल हों,
और लेबर कोड्स को रद्द कराने तथा श्रम शक्ति नीति 2025 को वापस लेने की मांग उठाएँ।
संयुक्त मंच सभी सदस्यों से अपील करता है कि वे अभी से कार्यस्थलों पर काले बिल्ले (ब्लैक बैज) पहनकर अपना प्रतिरोध दर्ज कराएँ।
सोमवार से देशभर में गेट मीटिंग्स, नुक्कड़ सभाएँ, बस्तियों में बैठकों का आयोजन युद्धस्तर पर किया जाए, ताकि सरकार की उस साजिश को उजागर किया जा सके जो देश के धन-सृजन करने वाले मेहनतकश वर्ग को कॉर्पोरेट मुनाफाखोरों के हाथों गुलाम बनाना चाहती है।
केंद्रीय ट्रेड यूनियनें स्पष्ट संदेश देती हैं कि गहराते बेरोज़गारी संकट और बढ़ती महंगाई के बीच इन कोड्स को लागू करना देश के मेहनतकशों के खिलाफ युद्ध की घोषणा है।
केंद्र सरकार अपने कॉर्पोरेट सहयोगियों के साथ मिलकर देश को फिर से मालिक–नौकर के शोषणकारी दौर में ले जाने की कोशिश कर रही है।
केंद्रीय ट्रेड यूनियनों का मंच सरकार को कड़ी चेतावनी देता है कि जब तक लेबर कोड्स वापस नहीं लिए जाते, तब तक मजदूर वर्ग एक अडिग और निर्णायक लड़ाई लड़ेगा।
हस्ताक्षरकर्ता:
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TUCC SEWA AICCTU LPF UTUC
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