
पश्चिमी भारत की आन, बान और शान अरावली पर्वत श्रृंखला खतरे में है। केंद्र सरकार की सिफारिश पर सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया है कि किसी भी भू-आकृति को अरावली पर्वतमाला का हिस्सा माने जाने के लिए स्थानीय भू-रूप से कम से कम 100 मीटर ऊँचाई – उसके ढलानों और आसपास के क्षेत्रों सहित – होना आवश्यक है। अदालत ने केंद्र को विस्तृत वैज्ञानिक मानचित्रण करने और एक “टिकाऊ खनन योजना” तैयार करने का निर्देश भी दिया है। इसी से केंद्र सरकार की सिफारिश और न्यायालय के फैसले का अर्थ समझ लेना चाहिए।
पर्यावरणविदों का कहना है कि यह नियम उन विस्तृत निम्न-स्तरीय (लो-लाइंग) लेकिन पारिस्थितिक रूप से जुड़े हुए पहाड़ी ढलानों (रिजेज़) को दायरे से बाहर कर सकता है, जो पहले संरक्षण क्षेत्र में शामिल थे। द इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार भारतीय वन सर्वेक्षण (FSI) के एक आंतरिक आकलन में 12,081 मानचित्रित पहाड़ियों में से केवल 1,048—यानी मात्र 8.7%—ही 100 मीटर के मानक पर खरी उतरीं। इसका मतलब यह हो सकता है कि अरावली क्षेत्र के लगभग 90% हिस्से, जिन्हें अब तक अरावली भू-भाग के रूप में माना जाता था, कानूनी संरक्षण खो देंगे।
विशेषज्ञों द्वारा चिह्नित पारिस्थितिक जोखिम-वैज्ञानिकों और संरक्षण समूहों ने चेतावनी दी है कि अरावली के कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त क्षेत्रफल को घटाने से पूरे क्षेत्र में पारिस्थितिक गिरावट तेज़ हो सकती है। निम्न ऊँचाई वाली पहाड़ियाँ और आपस में जुड़ी पर्वतमालाएँ—जिन पर सबसे पहले अतिक्रमण होता है—महत्वपूर्ण पारिस्थितिक कार्य करती हैं:
वन्यजीव कॉरिडोर का नुकसान और उनका खंडन, जिससे तेंदुए, लकड़बग्घे और विभिन्न पक्षी प्रजातियाँ प्रभावित होती हैं भू-जल पुनर्भरण क्षेत्रों को नुकसान, जिसका असर शहरी परिधि (peri-urban) की कृषि पट्टियों पर पड़ता है झाड़ीदार वनों और देशज वृक्षों के ह्रास से सरीसृपों, परागणकर्ताओं तथा घासभूमि पक्षियों का आवास कमजोर होना मरुस्थलीकरण का बढ़ा हुआ जोखिम, जिससे धूल और गर्मी राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में वायु गुणवत्ता को और खराब कर सकती है
सूक्ष्म-जलवायु (microclimates) का विघटन, जिससे भू-जल स्तर और नीचे जा सकता है। यह सब जानते हुए भी क्या हम अरावली को बर्बाद होने देंगे? यह सरकार समर्थित खनन माफियाओं को खुली छूट देना जैसा है। अब तक अरावली ने हम सबको बचाया और अब अरावली को बचाने की जिम्मेदारी हम सबके हिस्से में आ गई है।
Discover more from समता मार्ग
Subscribe to get the latest posts sent to your email.
















