नलिन विलोचन शर्मा की कविता

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पेंटिंग : प्रयाग शुक्ल
नलिन विलोचन शर्मा (18 फरवरी 1916 – 12 सितंबर 1961)

गीत

 

दृष्टि जा पाए जहाँ तक

सामने हो भूमि ऐसी

सिर्फ बालू, धूल

जिसमें दूर-दूर बबूल

शूलमय दो-चार दीखें।

परम विरही के नयन-सी शुष्कता,

हृदय जैसी शून्यता

निबिड़; चारों ओर

हो रहा उपहास ज्यों

ऐसी उपेक्षा वायु में हो।…

सामने प्रतिपल रहो तुम,

सामने, या, भूमि ऐसी-

और ऐसी ही दिशाएँ, वायु ऐसी।

(1950) 

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