रीवा में जय स्तंभ को बचाने के लिए दीप सत्याग्रह के 30 दिन पूरे हुए

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25 मार्च। रीवा में ऐतिहासिक जय स्तंभ को बचाने और विश्व शांति के लिए जारी दीप सत्याग्रह के 30 दिन पूरे हो गए हैं। इस अवसर पर समाजवादी जन परिषद के नेता अजय खरे ने बताया कि प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के शताब्दी वर्ष समारोह के दौरान सन 1957 में देश के सभी विकास खंडों के मुख्य मार्गों और चौराहों पर जय स्तंभ स्थापित किए गए थे। ऐतिहासिक जय स्तंभ राष्ट्रीय धरोहर होने के साथ रीवा शहर की यादगार है। जय स्तंभ देश की एकता, अखंडता और भाईचारे का प्रतीक होने के साथ-साथ भारत की आन बान शान है। जय स्तंभ की सोने की प्रतिकृति भी इस ऐतिहासिक जय स्तंभ की जगह नहीं ले सकती है। जय स्तंभ स्वतंत्रता आंदोलन, अमर शहीदों एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के त्याग व बलिदान की राष्ट्रीय धरोहर है, जिसका स्थान नहीं बदला जा सकता है । जय स्तंभ सभी धर्म,वर्ग, समुदाय के लोगों की आस्था का प्रतीक है, इसका महत्त्व किसी भी उपासना स्थल से कम नहीं है। ऐतिहासिक धरोहरों को हटाया मिटाया नहीं जाता, संरक्षित किया जाता है।

युवा नेता पूर्णानंद तिवारी ने कहा कि इस ऐतिहासिक जय स्तंभ में एक छोटा सरोवर और फव्वारा भी है, जिसकी अनदेखी लंबे समय से होती आ रही है। वहीं शहर के दूसरे चौराहों पर शानदार फव्वारे चल रहे हैं। जय स्तंभ के चारों तरफ सड़क के किनारे हुए अतिक्रमण को हटाकर जय स्तंभ क्षेत्र का सौंदर्यीकरण किया जाना बेहद जरूरी है। यातायात व्यवस्था में जय स्तंभ रोटरी को बाधक बताया जाना सरासर गलत है।

जय स्तंभ क्षेत्र निवासी सुभाष चंद्र प्रजापति ने कहा कि यह भारी विडंबना है कि ऐतिहासिक धरोहर जय स्तंभ के अस्तित्व के सवाल को लेकर चुने हुए जनप्रतिनिधियों की जुबान पर ताला लगा हुआ है, वहीं पृथक विंध्य प्रदेश का राग अलापने वाले भी इस राष्ट्रीय धरोहर के साथ होने जा रहे क्रूर खिलवाड़ को अनदेखा कर रहे हैं। जय स्तंभ को हटाना असंवैधानिक, राष्ट्रीय एकता, अखंडता और स्वतंत्रता की भावनाओं के साथ क्रूर खिलवाड़ और देशद्रोही हरकत होगी।

सामाजिक कार्यकर्ता अमित चंदौल ने कहा कि प्रदेश उच्च न्यायालय ने सन 2013 के बाद चौराहों पर लगी मूर्तियों को हटाने के संबंध में निर्देश दिए हैं तो ऐसी स्‍थिति में क्या शहर के विभिन्न चौराहों पर लगी तमाम मूर्तियों को हटाया जाएगा जो सन 2013 के बाद धार्मिक भावनाओं का दोहन करते हुए मनमाने तरीके से स्थापित की गयी हैं? श्री खरे ने कहा कि ऐसी तमाम मूर्तियों को तत्काल हटा दिया जाना चाहिए जो गलत तरीके से लगाई गई हैं। सन 1957 में राष्ट्रीय धरोहर के रूप में स्थापित जय स्तंभ को हटाने की बात सरासर गलत है।

दीप प्रज्वलन सत्याग्रह कार्यक्रम में प्रमुख रूप से समाजवादी जन परिषद के नेता व लोकतंत्र सेनानी अजय खरे, युवा नेता पूर्णानंद तिवारी, जय स्तंभ क्षेत्र के प्रतिष्ठित नागरिक सुभाष चंद्र प्रजापति, सामाजिक कार्यकर्ता अमित चंदौल, बॉबी साकेत आदि शामिल हुए।

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