18 अप्रैल। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर खीरी कांड के मुख्य अभियुक्त और केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे आशीष मिश्र की जमानत रद्द कर दी, इससे किसानों और देश की जनता में न्याय व्यवस्था के प्रति फिर उम्मीद जगी है। विगत 3 अक्टूबर को हुए इस जघन्य हत्याकांड में शुरू से ही अपराधियों को बचाने की कोशिश चल रही थी और बार-बार सुप्रीम कोर्ट के दखल देने से ही न्याय मिल पाया है। इस आदेश के बाद अब अजय मिश्र टेनी के केंद्रीय मंत्रिमंडल में बने रहने का कोई औचित्य नहीं बचा है।
चार किसानों और एक पत्रकार को केंद्रीय मंत्री के बेटे द्वारा दिनदहाड़े रौंदने का यह नृशंस मामला पूरे देश में कानून के राज की एक कसौटी बन चुका है। शुरू से ही सरकार किसी भी तरह मंत्री और उसके बेटे को बचाने पर अमादा है और इस केस में बार-बार संवैधानिक मर्यादा और कानूनी प्रक्रिया की धज्जियां उड़ाई गयी हैं :
• इस हत्याकांड से पहले 26 सितंबर को खुद मंत्री अजय मिश्र टेनी ने खुलेआम किसानों को धमकाया था, लेकिन आज तक उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
• दिनदहाड़े किसानों पर गाड़ी चढ़ाने के बाद भी सुप्रीम कोर्ट की फटकार मिलने तक मुख्य अभियुक्त आशीष मिश्रा की गिरफ्तारी नहीं हुई थी।
• इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आश्चर्यजनक जल्दबाजी दिखाते हुए बिना पीड़ित पक्ष को सुने 10 फरवरी को अभियुक्त को जमानत दे दी।
• हाई कोर्ट ने राजनीतिक रूप से ताकतवर अभियुक्त द्वारा गवाहों पर असर डालने की पक्की संभावना पर विचार नहीं किया, बल्कि किसान आंदोलन पर गैरवाजिब टिप्पणियां की।
• आशीष मिश्र को जमानत मिलने के बाद इस कांड के दो प्रमुख चश्मदीद गवाहों पर हमला हुआ, उधर जेल से रिहा होने के बाद अपनी ताकत दिखाने के लिए अभियुक्त ने जनता दरबार आयोजित किये।
• जज की निगरानी में काम कर रही एसआईटी द्वारा लिखित सिफारिश करने के बाद भी उत्तर प्रदेश सरकार ने हाई कोर्ट के निर्णय के विरुद्ध अपील दायर नहीं की। अंततः मृतक किसानों के परिवारों को ही सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा।
इस संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट का आज का फैसला एक ऐतिहासिक नजीर बन सकता है। इस फैसले से उम्मीद बनती है कि अब इस हत्याकांड में संविधान और कानून की मर्यादा के हिसाब से दोषियों को सजा दिलाई जाएगी। गौरतलब है कि पीड़ित पक्ष के वकील ने यह अनुरोध किया है कि इस मामले की दुबारा सुनवाई करते वक्त इसे हाई कोर्ट की किसी दूसरी बेंच के सामने भेजा जाए।
संयुक्त किसान मोर्चा यह याद दिलाना चाहता है कि आज भी इस हत्याकांड में घायल हुए कई किसानों को मुआवजा नहीं मिला है और इस हत्याकांड के चश्मदीद गवाहों पर हमले जारी हैं। इस कांड में फंसाए गए चार किसान आज भी हत्या के आरोप में जेल में बंद हैं और उनकी जमानत की अर्जी पर विचार भी नहीं हुआ है। स्थानीय स्तर पर आज भी मंत्री अजय मिश्र टेनी और उनके परिवार का आतंक कायम है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने फिर से यह स्पष्ट कर दिया है कि अजय मिश्र टेनी का केंद्रीय मंत्रिमंडल में बने रहना इस मामले की निष्पक्ष जांच और न्याय के रास्ते में सबसे बड़ी बाधा है। इस आदेश के बाद इस जघन्य हत्याकांड के सूत्रधार का देश का गृह राज्यमंत्री बने रहने का कोई औचित्य नहीं बचता है। इसलिए संयुक्त किसान मोर्चा एक बार फिर यह मांग करता है कि अजय मिश्र टेनी को केंद्रीय मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया जाए। अगर ऐसा नहीं होता तो मई के पहले सप्ताह में संयुक्त किसान मोर्चा एक राष्ट्रीय बैठक कर राष्ट्रीय विरोध कार्यक्रम की घोषणा करेगा।
संयुक्त किसान मोर्चा इस मामले को देश भर के किसानों की इज्जत का सवाल मानते हुए इसमें इंसाफ दिलाने के लिए प्रतिबद्ध रहा है। मोर्चा की कोऑर्डिनेशन कमिटी पीड़ित परिवारों के साथ संपर्क में रही है और उन्हें हर कदम पर कानूनी मदद देती रही है। इस मामले को प्रभावी तरीके से सुप्रीम कोर्ट में ले जाने और न्याय सुनिश्चित करवाने के लिए मोर्चा सीनियर एडवोकेट श्री दुष्यंत दवे और श्री प्रशांत भूषण का विशेष धन्यवाद करता है जो किसानों के संवैधानिक और कानूनी अधिकार की लड़ाई में निस्वार्थ तरीके से किसान आंदोलन के साथ खड़े रहे हैं।
जारीकर्ता –
डॉ दर्शन पाल, हन्नान मोल्ला, जगजीत सिंह डल्लेवाल, जोगिंदर सिंह उगराहां, शिवकुमार शर्मा (कक्का जी), युद्धवीर सिंह, योगेंद्र यादव