27 मई। 11 राज्यों में सक्रिय इकाइयों वाले किसान संगठन जय किसान आंदोलन ने 25 मई को कोलकाता में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जिसमें आमतौर पर भारतीय किसानों और विशेष रूप से बंगाल के किसानों के प्रति हो रहे विभिन्न अन्यायों को उजागर किया गया।
प्रेस वार्ता में निम्नलिखित मुद्दे उठाए गए –
1. जैसी कि संयुक्त किसान मोर्चा (जय किसान आंदोलन जिसका एक घटक है ) की मांग है, केंद्र सरकार एमएसपी गारंटी कानून बनाए।
2. अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ( जिसमें जय किसान आंदोलन एक संस्थापक सदस्य है) की मांग है पश्चिम बंगाल सरकार एक राज्यस्तरीय एमएसपी कानून बनाए।
3. बंगाल सरकार बटाईदार किसान कानून बनाए।
4. बंगाल की राज्य फसल बीमा योजना के तहत पूर्ण कवरेज और त्वरित राहत दी जाए।
5. बंगाल के शरणार्थी किसानों को रिकॉर्ड ऑफ राइट्स तत्काल जारी किया जाए।
6. पीएम किसान निधि योजना और कृषक बंधु योजना के तहत सभी किसानों को शामिल किए जाने की मांग।
इस मौके पर जय किसान आंदोलन के संस्थापक योगेंद्र यादव ने कहा, केंद्र की भाजपा सरकार एमएसपी गारंटी कानून के मसले पर किसानों को बेवकूफ बना रही है लेकिन किसान अब और लूट जाने और ठगे जाने को तैयार नहीं हैं। किसानों के साथ हो रहे अन्याय को समाप्त करने के लिए देशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, और इसे इसकी तार्किक परिणति पर ले जाया जाएगा। इस बार विरोध प्रदर्शन सिर्फ दिल्ली में नहीं बल्कि हर राज्य की राजधानी, हर जिला मुख्यालय, हर प्रखंड कार्यालय पर होगा। यह समझ से परे है, कि भारत की कोई भी राज्य सरकार किसानों के फसलों की कीमत के बारे में क्यों नहीं सोचती है? जबकि केंद्र सरकार 23 फसलों के लिए एमएसपी की कागजी गारंटी देती है, राज्य सरकारें अपने राज्य में उगाई जानेवाली अन्य फसलों के लिए ऐसी घोषणा करने पर भी विचार नहीं करती हैं। पश्चिम बंगाल सरकार को सितंबर 2021 की शुरुआत में एआईकेएससीसी द्वारा एक मसौदा कानून दिया गया था, लेकिन यह शर्म की बात है कि राज्य की फसलों के लिए एमएसपी गारंटी कानून बनाना तो दूर, राज्य सरकार ने मसौदे को स्वीकार भी नहीं किया है।
जय किसान आंदोलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अविक साहा ने कहा, पश्चिम बंगाल सरकार लोगों की खाद्य सुरक्षा और किसानों की आय सुरक्षा के प्रति असंवेदनशील और निष्ठाहीन है। या तो कोई नीति नहीं है या नीतियाँ सिर्फ कागजों तक ही सीमित हैं, जो कभी लागू नहीं होती हैं। किसानों को सिर्फ शानदार वादे मिलतें हैं। धान की खरीद (जो की बंगाल की मुख्य फसल है) अत्यधिक राजनीतिक है और अधिकांश किसानों को एमएसपी से काफी कम कीमत पर सत्तापक्ष समर्थित बिचौलियों को बेचना पड़ता है, इससे बिचौलिया भारी भरकम माल जेब में रखते हैं। जय किसान आंदोलन बंगाल के काश्तकार-किसानों को मान्यता देने के लिए एक कानून बनाने की माँग कर रहा है, ताकि वे सरकारी सब्सिडी और लाभ प्राप्त कर सकें। लेकिन सरकार इसके लिए कोई कदम नहीं उठा रही है। नतीजतन बंगाल के लगभग 40% किसान वंचित हो रहे हैं, जबकि गैर-किसान भूमि मालिक लाभ उठा रहे हैं। हम जल्द ही काश्तकार किसानों के लिए एक मसौदा कानून सरकार के सामने रखेंगे और सरकार को इसे पारित करने के लिए मजबूर करेंगे।
जय किसान आंदोलन की बंगाल इकाई के अध्यक्ष प्रबीर मिश्रा ने कहा, बांग्ला फसल बीमा के तहत कवरेज कम है, और अधिकांश किसान कवर में नहीं हैं। आलू जैसी कई प्रमुख फसलें इसमें शामिल नहीं हैं। जब तक सार्वभौमिक कवरेज नहीं होगा, किसानों को लाभ नहीं होगा। सुंदरबन जैसे जलवायु परिवर्तन संवेदनशील क्षेत्रों में किसानों को एक के बाद एक आपदाएँ झेलनी पड़ती हैं, और फसल बीमा की कोई राहत भी नहीं मिलती है। बदले में यह बड़े पैमाने पर पलायन, महिलाओं और बच्चों की तस्करी और कई अन्य सामाजिक समस्याओं को बढ़ाता है। सरकार सभी किसानों और सभी प्रमुख फसलों को कवर करने के लिए “दुआरे बीमा” अभियान क्यों नहीं चला सकती है?
प्रेस वार्ता को नानी रॉय और सुशांत कानरी ने भी संबोधित किया।
(Sangwadekalavya.com से साभार)
अनुवाद : अंकित कुमार निगम
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