इंटरार्क मजदूरों के बच्चों का कुमाऊँ कमिश्नरी नैनीताल में सत्याग्रह

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1 जून। पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत आज 1 जून को इंटरार्क कंपनी सिडकुल पंतनगर और किच्छा में कार्यरत मजदूरों के बच्चे सैकड़ों की संख्या में महिलाओं व मजदूरों के संग नैनीताल पहुँचे और बाल सत्याग्रह के तहत जोरदार प्रदर्शन कर आवाज उठाई। कार्यक्रम की शुरुआत में तल्ली ताल डाँठ पर धरना व सभा हुई। इसके पश्चात बच्चे अपनी माताओं और मजदूरों संग जोरदार नारेबाजी के साथ जुलूस निकालते हुए कुमाऊँ आयुक्त कार्यालय पहुँचे और वहाँ पर भी धरना देते हुए सभा की।

कार्यक्रम के दौरान कुमाऊं कमिश्नर को दो ज्ञापन सौपे गए। एक ज्ञापन इंटरार्क मजदूरों के बच्चों की ओर से दिया गया तथा दूसरा श्रमिक संयुक्त मोर्चा उधम सिंह नगर से दिया। कुमाऊं कमिश्नर ने मोर्चा प्रतिनिधियों और इंटरार्क प्रतिनिधियों से कार्यालय में भी बात की और बच्चों के बीच आकर ज्ञापन लिया तथा दोनों ही ज्ञापनों पर त्वरित कार्रवाई करने का आश्वासन दिया। उन्होंने श्रम आयुक्त, उत्तराखंड से इन प्रकरणों पर बात करके जल्द कार्रवाई के लिए कहा।

बच्चों की ओर से दिए गए ज्ञापन में इंटरार्क कंपनी सिडकुल पंतनगर की गैरकानूनी तालाबंदी तत्काल खुलवाने, समस्त श्रमिकों की सवेतन कार्यबहाली, किच्छा प्लांट में गैरकानूनी गतिविधियों पर रोक लगाने, समस्त बर्खास्त और निलंबित श्रमिकों की तत्काल सवेतन कार्यबहाली व वेतन समझौता करने आदि की माँग उठाई गई। श्रमिक संयुक्त मोर्चा द्वारा दिए गए ज्ञापन में इंटरार्क पंतनगर व किच्छा की माँगों के साथ माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के परिपालन में भगवती प्रोडक्ट्स माइक्रोमैक्स के 303 छँटनीशुदा श्रमिकों सहित समस्त 351 श्रमिकों की सवेतन कार्यबहाली, करोलिया में समझौते का अनुपालन कराने, मजदूरों-किसानों पर दर्ज फर्जी मुकदमे वापस लेने, श्रमिक समस्याओं के त्वरित निस्तारण हेतु जिला प्रशासन की उच्च स्तरीय कमेटी को पुनर्जीवित करने, ईएसआई अस्पताल की दुर्दशा आदि माँगें उठाई गई हैं।

सभा में बच्चों ने बड़े ही करुण स्वर में अपनी पीड़ा को व्यक्त करते हुए कहा कि इंटरार्क कंपनी मालिक द्वारा 16 मार्च 2022 को कंपनी की तालाबंदी कर हमारे पापा समेत करीब 500 मजदूरों का गेट बंद कर उन्हें अपने बच्चों संग भूखों मरने के लिए विवश कर दिया है। कहा हमारे पापा को विगत 3 माह से वेतन न मिलने से हम सही से खाना भी नहीं खा पा रहे हैं। हमारे स्कूल छूट रहे हैं, हम अपनी फीस भी नहीं भर पा रहे हैं, जिस कारण हमें स्कूल में रोज-रोज जलील व अपमानित होना पड़ता है। अभी तक भी हम अपने कापी किताब नहीं खरीद पाए हैं।

बच्चों ने कहा, कि हमने जिला प्रशासन, श्रम विभाग समेत हर जगह फरियाद की किंतु हमें कहीं भी न्याय नहीं मिला। इसलिए हम अपनी फरियाद लेकर यहाँ आए हैं। यदि फिर भी हमें न्याय न मिला तो हम उत्तराखंड की जनता, मजदूरों, किसानों, महिलाओं और बच्चों के साथ मिलकर आंदोलन तेज करने को विवश होंगे। बच्चों की पीड़ा को महसूस कर वहाँ पर उपस्थित लोगों की आंखें छलक उठीं।

(‘मेहनतकश’ से साभार)

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