— हिमांशु जोशी —
बॉलीवुड का बॉयकॉट नया ट्रेंड बन गया है, किसी नई फिल्म का बहिष्कार करने के लिए हैशटैग बना सोशल मीडिया पर उसे ट्रेंड करवाया जाता है।
बहुत से दर्शक बिना फिल्म देखे इस बॉयकॉट ट्रेंड का हिस्सा बन जाते हैं।
बॉयकॉट ट्रेंड की इस आंधी में आमिर खान की ‘लाल सिंह चड्डा’ पर तो बात होती रही पर महिलाओं के विषय पर नेटफ्लिक्स में आई फिल्म ‘डार्लिंग्स’ कहीं खो सी गई।
हम बचपन से अपनी बेटियों को पितृसत्तात्मक समाज में संघर्ष करके हिम्मत से खड़ा रहना तो सिखाते हैं पर फिर भी शादी के बाद हमारी बेटियां इसमें असफल हो जाती हैं। फिल्म ‘डार्लिंगस’ भी एक ऐसी ही बेटी की कहानी है।
पहली बार हाथ उठाने पर ही कदम उठा लेना चाहिए था जैसे सन्देश के साथ फिल्म में हिंसा का जवाब हिंसा को ही दिखाया गया है। इसे सही तो नहीं कहा जा सकता पर महिलाओं के प्रति बढ़ती हिंसा का समाधान खोजने की शुरुआत करने में यह फिल्म सहायक हो सकती है।
निर्देशक का कमाल
फिल्म की शुरुआत में आलिया भट्ट, विजय वर्मा के कंधों का सहारा लिये एक टांग मोड़ कर खड़ी दिखती है। कई सालों से कैमरे के सामने प्रेमियों की यह फेवरेट पोज रही है और निर्देशक जसमीत के रीन ने इस दृश्य को खूबसूरती के साथ फिल्माया है। निर्देशक यहीं प्रभावित करना नहीं छोड़ती, टेडी बीयर को एक जगह रखने भर से ही उन्होंने टेडी को कहानी का हिस्सा बना दिया है।
पति के खाने में कंकड़ आने पर आज भी न जाने कितनी पत्नियां उसके जूठे को अपने हाथ पर रख कर फेंक आती हैं, इसी हकीकत को दिखाते फिल्म की कहानी बुनी गई है। पति से पिटते हुए भी पतिव्रता धर्म का पालन करने शवाली स्त्री के रूप में आलिया भट्ट का अभिनय देखने लायक है। कुछ ही सालों में वो अपने इसी दमदार अभिनय की वजह से बॉलीवुड की टॉप अभिनेत्रियों में शामिल हो गई हैं। ‘हाईवे’ और ‘उड़ता पंजाब’ में आलिया का अभिनय याद करने लायक रहा तो एक घरेलू भारतीय पत्नी की तरह कपड़े पहने दिखी आलिया इस फिल्म से भी सालों साल तक दर्शकों की यादों में ताजा रहेंगी।
वास्तविकता के करीब संवाद
वास्तविक जीवन में महिलाओं पर अपना अधिकार जताते, बहुत से पुरुष फिल्म का संवाद ‘पॉनी खोलो न डार्लिंगस’ बोलते दिख जाते हैं।
इसी तरह महिलाओं का गला पकड़ने, उनके साथ घरेलू हिंसा करने के बाद फिल्म के संवाद ‘छोड़ो न डार्लिंग्स कल रात थोड़ा ज्यादा हो गई’ की तरह ही पुरुषों द्वारा अपने किए पर पर्दा डालना आम बात है।
महिलाओं पर हिंसा करनेवाले पुरुषों में आज की पीढ़ी के युवा भी हैं, जिनकी हल्की हल्की मूंछें होती हैं। नशे में डूबकर रहनेवाले इन युवाओं पर काम का दबाव बढ़ता ही जाता है और इस दबाव का गुस्सा वह घर आकर अपनी पत्नी पर निकालते हैं। निर्देशक ने अपनी फिल्म के लिए ठीक ऐसे ही दिखनेवाले युवा की तलाश अभिनेता विजय वर्मा पर जाकर खत्म की। नेटफ्लिक्स के एक एड में पप्पू पॉकेटमार बन विजय वर्मा ने जो धमाल मचाया था, उसके सबूत आज भी यूट्यूब पर मौजूद हैं। विजय वर्मा ‘पिंक’ में तापसी पन्नू पर तो ‘गली ब्वॉय’ में रणवीर पर भी भारी पड़ते नजर आए थे। इस फिल्म में उन्होंने धमाल काम किया है।
शैफाली शाह की होगी तारीफ
शैफाली शाह फिल्म की शुरुआत में तो ढीली नजर आती हैं पर हाफटाइम के बाद उनके मुंह से निकले संवाद एक मां का दर्द दर्शकों तक पहुंचाने में कामयाब रहे हैं। बॉलीवुड की बहुत सी अदाकारा 49 की उम्र तक आते-आते खुद को एक ऐसी मां के किरदार में बांध लेना सही समझती हैं जो बस फिल्म में जगह भर रही हो पर फिल्म में रोशन मैथ्यू के साथ किस सीन करने वाली शैफाली के इस किरदार में बहुत रंग हैं।
शैफाली इस फिल्म में मुस्लिम महिलाओं के आधुनिक रूप का प्रतिनिधित्व भी करती हैं, यह वह रूप है जो घर की चारदीवारी से निकल अब स्वरोजगार के जरिए अपनी जमीन तलाश कर रहा है।
गाना ‘लाइलाज’ सुनने में बड़ा प्यारा है और यूट्यूब पर इसे अब तक एक करोड़ से ज्यादा बार देखा गया है।
फिल्म का पार्श्वसंगीत एक तरफ मां-बेटी के रिश्ते को मजबूत करता है तो दूसरी तरफ पति से डरती एक पत्नी का खौफ हमारे सामने लाता है। टिफिन के सीढ़ी से टकराने की आवाज से फिल्म में आलिया तो खौफ खाने लगती हैं पर इस काम से निर्देशक दर्शकों के दिल में जगह बनाने में कामयाब हो जाती हैं।