संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रधानमंत्री और उप्र के मुख्यमंत्री को भेजा ज्ञापन

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21 अगस्त। संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर लखीमपुर खीरी में 75 घंटों तक चला धरना समाप्त हो गया है, पर इसी के साथ ही संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रधानमंत्री और उप्र के मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर जता दिया है कि आनेवाले दिनों में संघर्ष के मुद्दे क्या होंगे। दोनों ही ज्ञापनों में लखीमपुर हत्याकांड के मद्देनजर केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी की गिरफ्तारी की मांग की गयी है। साथ ही प्रधानमंत्री से मांग की गयी है कि टेनी को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करें। इसके अलावा प्रधानमंत्री को भेजे ज्ञापन में जहां एमएसपी और बिजली बिल वापसी का मुद्दा अहम है वहीं मुख्यमंत्री को भेजे गए ज्ञापन में चीनी मिलों पर किसानों का बकाया ब्याज समेत दिलाने और जेल में बंद निर्दोष किसानों को रिहा करने तथा उनके खिलाफ गढ़े गए केस वापस लेने की मांग भी की गयी है। यहां पेश हैं दोनों ज्ञापन –

प्रधानमंत्री को लखीमपुर धरने से भेजा गया ज्ञापन

सेवा में,
माननीय प्रधानमंत्री,
भारत सरकार।

महोदय जी,
जैसा कि आपको जानकारी होगी, लखीमपुर खीरी में किसानों का 3 दिन का एक बड़ा विरोध धरना 18 से 20 अगस्त को आयोजित हुआ है। इस धरने में 9 दिसंबर 2021 के बाद सरकार के साथ हुई पत्रावली व सरकार द्वारा किसानों की मांगों से संबंधित किए गए सभी कदमों पर विस्तार से चर्चा हुई। इस चर्चा के आधार पर संयुक्त किसान मोर्चा आपसे एक बार पुन: निवेदन करता है कि आप शेष मांगों को हल करने के लिए तुरंत ठोस कदम उठाएं। यह मांगें हैं :

1. लखीमपुर खीरी जिला के तिकोणिया में चार किसानों और एक पत्रकार की हत्या करने की साजिश रचने के मामले में दोषी केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी को मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया जाए और गिरफ्तार करके जेल भेजा जाए।

2. लखीमपुर खीरी हत्याकांड में जो किसानों को निर्दोष होते हुए भी जेल में बंद किया है उनको तुरन्त रिहा किया जाए और उनके ऊपर मढ़े केस तुरन्त वापस लिए जाएं। शहीद किसान परिवारों एवं घायल किसानों को मुआवजा देने सरकार वादा पूरा करे।

3. सभी फसलों के ऊपर स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिशों के आधार पर सी-2 +50% के फार्मूले से एमएसपी की गारंटी का कानून बनाया जाए। केन्द्र सरकार द्वारा एम एसपी पर गठित कमेटी व उसका घोषित एजेंडा किसानों द्वारा प्रस्तुत मांगों के विपरीत है। इस कमेटी को रद्द करते हुए सभी फसलों की बिक्री एमएसपी पर होने की गारंटी के लिए समिति का गठन दोबारा किया जाए।

4. किसान आन्दोलन के दौरान केन्द्र शासित प्रदेशों व अन्य राज्यों में जो केस किसानों के ऊपर लादे गए, सभी तुरंत वापस लिए जाएं।

5. जनविरोधी बिजली बिल 2022 वापस लिया जाए।
दिनांक : 20 अगस्त 2022

मुख्यमंत्री उत्तरप्रदेश को लखीमपुर धरने से दिया गया ज्ञापन

 

सेवा में,
मुख्यमंत्री,
उत्तरप्रदेश

विषय : प्रदेश के किसानों की विभिन्न समस्याओं के समाधान और विशेषकर लखीमपुर की 3 अक्टूबर 2021 की घटना की प्रदेश शासन से संबंधित समस्याओं पर।

महोदेय जी,
पिछले साल केंद्र सरकार के साथ संयुक्त किसान मोर्चा के साथ हुए समझौते के बाद, आप के प्रदेश से जुड़ी किसानों की कई समस्याएं अभी भी लंबित हैं। इन पर हमने कई बार आपको पत्र भी लिखे हैं और कई बार लखीमपुर खीरी जिला प्रशासन से बातचीत भी हुई है। हमारा आपसे यह विनम्र आग्रह है कि आप इन समस्याओं पर तुरंत ध्यान देकर इन्हें हल करने की कृपा करें।

A. केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी को एफआईआर संख्या 219/21 में षड्यंत्रकारी होने के आरोप में गिरफ्तार करने के संबंध में :

दिनांक 3 अक्टूबर की घटना के संबंध में हमने जो शिकायत एफआईआर संख्या 219/21 में दर्ज कराई थी, उसके विभिन्न पहलुओं पर उचित कार्रवाई नहीं की गई है। उसमें विशेष रूप से हम आपका ध्यान केंद्रीय गृह राज्य मंत्री, श्री अजय मिश्र ‘टेनी’ के विरुद्ध इस घटना के मुख्य षड्यंत्रकारी होने की कार्रवाई नहीं किए जाने पर एक बार फिर आकर्षित करना चाहते हैं। इस घटना के संबंध में माननीय सुप्रीम कोर्ट ने एक एसआईटी गठित की हुई है। खेद का विषय है कि इसमें आपकी पुलिस ने एफआईआर से संबंधित इस पहलू मंत्री को बचाने का काम किया है।

आपके अवलोकन के लिए एफआईआर संख्या 219/21, जिसमें शिकायतकर्ता जगजीत सिंह ने केंद्रीय गृह राज्य मंत्री की संलिप्तता का बार-बार जिक्र किया है, उसका उल्लेख इस पत्र में प्रस्तुत कर रहे हैं।

एफआईआर में श्री अजय मिश्र ‘टेनी’ का नाम का तीन जगह पर उल्लेख है।

सबसे पहले लिखा गया है कि “किसान एवं मजदूर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी व उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य शासन उत्तर प्रदेश के विरुद्ध काले झंडे दिखाने हेतु महाराजा अग्रसेन इंटर कॉलेज क्रीडा स्थल तिकुनिया खीरी में शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे थे”।

दूसरा उल्लेख है “उक्त घटनाक्रम आज से पूर्व वायरल वीडियो जो गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी की धमकी पूर्ण खुली सभा में किसानों को प्रदेश से निकालने की धमकी स्वरूप किसानों ने विरोध दर्ज करवाने हेतु रोष प्रदर्शन किया।” (मंत्री ने एक अन्य खुली सभा में भी धर्म विशेष के लोगों को प्रदेश से भगाने की धमकी दी थी।)

तीसरा है “उक्त वायरल वीडियो को लेकर भारत सरकार द्वारा गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की गई। और आज उनके ही पुत्र द्वारा विभक्त घटना कारित की गयी। उक्त कृत्य उक्त गृह राज्यमंत्री व उसके पुत्र आशीष मिश्र मोनू द्वारा सुनियोजित तरीके से षडयंत्र पूर्वक की गई है। अतः श्रीमान जी से निवेदन है कि …”।

यह एफआईआर विभिन्न धाराओं के साथ-साथ, धारा 120 बी, यानी, घटना के षड्यंत्र के अंतर्गत अपराध के तहत दर्ज की गई है। इतनी स्पष्ट शिकायत के बावजूद अगर आप की सरकार अजय मिश्र ‘टेनी’ को षड्यंत्रकर्ता के रूप में शामिल किए जाने की पैरवी एसआईटी के सामने नहीं कर रही है तो यह स्पष्ट है कि वह मंत्री को बचाने के प्रयास में लगी है और किसानों के साथ न्याय करने को तैयार नहीं है।

एसआईटी की विवेचना के निष्कर्ष, पृष्ठ 51 में भी, अजय मिश्र ‘टेनी’ द्वारा किसानों पर अभद्र टिप्पणी करने, अपने बाहुबली होने की बात कहते हुए उन को धमकी देने और नीचे अंगूठा दिखाने का उल्लेख है। निष्कर्षों में यह भी लिखा है कि मंत्री किसानों से कहते थे कि “मैं किसी भी चुनौती से भागता नहीं हूं और जिस दिन मैंने उस चुनौती को स्वीकार करके काम कर लिया उस दिन पलिया नहीं लखीमपुर तक छोड़ना पड़ जाएगा …. यह याद रखना”।

पृष्ठ 52 में लिखा है कि “किसानों के उक्त विरोध से निपटने के लिए अभियुक्त आशीष मिश्र उर्फ मोनू ने एक पूर्व नियोजित योजना के अनुसार अपने साथी ….”,

जाहिर है कि एसआईटी ने भी 120 बी, यानी षड्यंत्र किए जाने की बात स्वीकार की है। एफआईआर में स्पष्ट रूप से षड्यंत्रकारी होने का हवाला होने के बावजूद और एसआईटी द्वारा षड्यंत्र की बात के निष्कर्ष पर पहुंचने के बावजूद क्यों उत्तर प्रदेश राज्य सरकार इस घटना में मंत्री अजय मिश्र ‘टेनी’ को बचाने के प्रयास में है, यह बात देश के किसान आपसे समझना चाहते हैं।

B. पीड़ित किसानों की गिरफ्तारी पर रोक, उन्हें न्याय मिलने व मुआवजा दिए जाने के संबंध में:

4 अक्टूबर 2021 को हमारे शहीद हुए 5 साथियों की अंत्येष्टि के दौरान, कमिश्नर लखनऊ, श्री निरंजन कुमार , वरिष्ठ आईजी पुलिस, सुश्री लक्ष्मी सिंह, जिलाधिकारी लखीमपुर, श्री शैलेंद्र सिंह, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, श्री विजय धूल से हमारे नेताओं की जो बातचीत हुई थी उसमें स्पष्ट रूप से उन्होंने यह आश्वासन दिये थे कि प्रदेश सरकार सभी शहीद हुए साथियों के परिजनों को ₹45 लाख का मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देगी; सभी घायलों को ₹10 लाख का मुआवजा देगी; और हमलावरों की ओर से किसानों के खिलाफ लगाए जा रहे हत्या के आरोपों पर हैं पुलिस प्रशासन इसे घटना को एक गंभीर व एकाएक उकसावे से पैदा हुई समझकर किसान को गिरफ्तार नहीं करेगी और जिन किसानों का नाम हमलावरों की हत्या करने में लिखाया जा रहा है उन्हें धारा 304 ए के तहत आरोपी बनाकर उन्हें तुरंत जमानत दे देगी।

बड़े खेद का विषय है कि इन आश्वासनों में से आप की सरकार ने केवल 5 शहीद हुए साथियों के परिवारों को ₹45 लाख का मुआवजा दिया है। शेष सभी आश्वासनों को पूरा करने से आपकी सरकार पीछे हटी है।

किसानों पर लगाए गए आरोपों के मामले में आपने उनके साथ आश्वासनों के विपरीत कार्रवाई की है। आपने इन चारों साथियों को धारा 302 आईपीसी के तहत जेल में डाला हुआ है और इन्हें जमानत नही मिल सके, इसके लिए सरकारी वकील लगातार कोर्ट में पैरवी करते हैं।

आपकी सरकार ने इसके अलावा इस घटना में घायल हुए 13 साथियों को अभी तक मुआवजा देने के कदम आगे नहीं बढ़ आए हैं और ना ही शहीद हुए 5 साथियों के परिवारों में किसी को सरकारी नौकरी दी है।

यहां हम आप को जोर देकर यह कहना चाहते हैं कि अपनी जान की रक्षा करना प्रत्येक नागरिक का मौलिक अधिकार है। भारत का कानून तथा न्यायालयों के द्वारा किए गए विभिन्न फैसलों में अपनी जान की रक्षा के क्रम में ‘ग्रेव एंड सडन प्रोवोकेशन’ यानी ‘गंभीर व एकाएक उकसावे’ को एक वैध कारण माना गया है। किसी कारण से आप की सरकार इस को मान्यता देने को तैयार नहीं है और वह किसानों को भयभीत करने की मंशा से उन पर यह दमन कर रही है। हमारा एक बार पुन: आग्रह है कि आप की सरकार को इन चारों साथियों के ऊपर लगाए गए आरोपों की सही विवेचना करते हुए और इन्हें जमानत दिलाने में सहयोग करते हुए इन्हें दोष मुक्त घोषित करने में मदद करनी चाहिए।

इस संबंध में हम एक और शिकायत आप से करना चाहते हैं। इस घटना में जो गवाह हैं उनमें से एक गवाह पर इस दौरान हमला किया गया है, जबकि आपके प्रशासन ने यह आश्वासन दिया था कि गवाहों की सुरक्षा करना सरकार की जिम्मेदारी है। हमारा आपसे आग्रह है कि सभी गवाहों की मजबूती से सुरक्षा की जाए ताकि शहीद किसानों के परिजनों को न्याय मिल सके।

उपरोक्त सभी समस्याएं स्पष्ट रूप से उत्तर प्रदेश शासन और लखीमपुर पुलिस से संबंधित हैं और इन पर कार्रवाई कर हल करना आपकी जिम्मेदारी थी। किसी कारण से लगातार लखीमपुर के अधिकारी हमसे यह कहते रहते हैं कि यह समस्याएं शासन से संबंधित हैं और इनका समाधान करने में वे असमर्थ है। इसलिए हम एक बार फिर इन समस्याओं को हल करने का आपसे आग्रह कर रहे हैं।

C. इन समस्याओं के अलावा इस बीच, उत्तर प्रदेश के किसानों के सामने बहुत सारी समस्याएं खड़ी हो गई हैं। हमारा आपसे आग्रह है कि आप इन पर भी गौर करके इन्हें तुरंत हल करने की कृपा करें।

1. राज्य की सभी गन्ना मिलों पर किसानों का बकाया का ब्याज समेत तत्काल पेमेन्ट किया जाए।

2. कृषि कनैक्शनों पर मीटर लगाना बंद करते हुए राज्य सरकार कृषि के लिए मुफ्त बिजली देने का वादा पूरा करे।
घरेलू बिजली कनैक्शनों पर प्री पैड मीटर लगाने का आदेश वापस लिया जाए और सभी घरेलू बिजली उपभोक्ताओं को 300 यूनिट प्रतिमाह मुफ्त बिजली देने का चुनावी वादा पूरा करें।

3. कई पीढ़ियों से खेत जोत रहे किसानों को उनकी जमीन से, जंगल विभाग की संपत्ति के नाम पर, बेदखल करना बंद किया जाए, उन्हे मालिकाना हक दियख जाए। आपने खुद भी इस समस्या को हल करने का वादा किया था।

4. आवारा पशुओं पर रोक लगाई जाए। यह समस्या आप ही के शासनकाल में बढ़ी है और हमारा आग्रह है कि आप इसका तत्काल समाधान निकालें। यह भी कि आवारा पशुओं से किसानों को होने वाले नुकसान की भरपाई की जाए।

5. सभी सूखाग्रस्त जिलों में प्रभावित किसानों को समुचित मुआवजा दिया जाए।

दिनांक 20 अगस्त 2022

संयुक्त किसान मोर्चा, एसकेएम

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