23 अगस्त। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा है, कि बिहार में सत्ता परिवर्तन हो चुका है। अब वहाँ सरकारी मंडी बहाली का आंदोलन चलाया जाएगा। वह दिल्ली में ‘द फ्यूचर ऑफ फार्मर्स मूवमेंट’ किताब के लोकार्पण समारोह में बोल रहे थे। इस किताब को अखिल भारतीय किसान सभा के नेता अशोक धवले ने लिखा है। इसका लोकार्पण 22 अगस्त को दिल्ली में जीपीएफ में हुआ। राकेश टिकैत ने कहा, बिहार में पूर्ण रूप से मंडियों को खत्म कर दिया गया है, और मंडी के लिए आबंटित जमीनों को बड़ी बड़ी कम्पनियों को दे दिया गया है। उन्होंने इन सभी मुद्दों को लेकर 6 सितम्बर को बिहार में बैठक का ऐलान किया।
बिहार की नई सरकार से उनकी मांग है कि जल्दी से जल्दी बिहार में मंडियों को बहाल किया जाए। इस समय देश के अलग-अलग स्थानों पर कई आंदोलन चल रहे हैं। देश में इतने आंदोलनों का सीधा तात्पर्य है कि केंद्र सरकार से असंतुष्ट लोगों की संख्या बहुत अधिक है। वे सभी पीड़ित और प्रताड़ितों के लिए उठाई गई आवाज का समर्थन करते हैं।
टिकैत ने कहा, “यह पुस्तक किसानों के आंदोलन और इसकी हर महत्वपूर्ण घटना और तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ हमारे एक साल के संघर्ष के विकास के बारे में बताती है, जिसे बाद में केंद्र सरकार ने रद्द कर दिया था।” उन्होंने कहा, “पहली बार किसानों के आंदोलन में बड़ी संख्या में महिलाओं ने हिस्सा लिया था, जो हमारे लिए एक अच्छा संकेत है।” एसकेएम के नेता डॉ दर्शन पाल ने कहा, “यह पुस्तक किसान आंदोलन के बारे में विकास को प्रामाणिक रूप से प्रस्तुत करती है क्योंकि लेखक आंदोलन की उच्च स्तरीय समिति का हिस्सा थे और इसके सक्रिय सदस्य थे।” दर्शन पाल ने कहा, “किसानों के मुद्दों को उठाने के लिए हमारा आंदोलन जारी है। हमने तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन से अपनी यात्रा शुरू की और किसानों की कई अन्य मांगों को जारी रखा है, जिन्हें पूरा करने की आवश्यकता है।”
(वर्कर्स यूनिटी से साभार)
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