26 अगस्त। बीते सोमवार को मुंबई के दादर(पूर्व) में स्थित हनुमान मंदिर के बगल में दादर रेलवे स्टेशन परिसर में एक प्रदर्शन आयोजित किया गया, जिसमें 300 से अधिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया, इसमें मुख्य रूप से महिलाएं शामिल थीं। इसका आयोजन ऑल इंडिया विमेंस डेमोक्रेटिक एसोसिएशन, फोरम अगेंस्ट ऑप्रेशन ऑफ वीमेन, इंडियन क्रिश्चियन फॉर डेमोक्रेसी, जन स्वास्थ्य अभियान, नेशनल सॉलिडेरिटी फोरम, पुलिस रिफॉर्म वॉच, विनायक फाउंडेशन, शोषित जन आंदोलन, पानी हक समिति आदि द्वारा किया गया था। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और सीटू ने भी अपने बैनर लहराए।
विरोध प्रदर्शन के दौरान बिलकीस के गुनहगारों की रिहाई की कड़ी निंदा की गयी। बिलकिस बानो के परिवार के 13 सदस्यों, जिसमें उनकी 3 साल की बेटी भी शामिल है, की हत्या 11 लोगों द्वारा की गयी थी, और सभी 11 लोगों द्वारा सामूहिक रूप से बलात्कार भी किया गया था। वर्षों तक बहादुरी से धर्मयुद्ध लड़ने और धमकियों का मुकाबला करने के बाद आखिरकार न्याय मिला और 11 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। बीते 15-08-2022 को उन्हें अच्छे व्यवहार और ब्राह्मण जाति का होने के आधार पर रिहा कर दिया गया। दक्षिणपंथी संगठन विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने इसे आकार देने में साजिशकर्ता की भूमिका निभाई। जैसा, कि बिलकिस बानो ने कहा, “किसी भी महिला के लिए न्याय इस तरह कैसे समाप्त हो सकता है? मुझे अपने देश की सर्वोच्च अदालतों पर भरोसा था। मुझे व्यवस्था पर भरोसा था और मैं धीरे-धीरे अपने आघात के साथ जीना सीख रही थी। इन दोषियों की रिहाई ने मुझे तोड़ तथा शांति और न्याय के प्रति मेरे विश्वास को चकनाचूर कर दिया। मेरा दुख और मेरा डगमगाता विश्वास अकेले मेरे लिए नहीं है, बल्कि हर उस महिला के लिए है जो अदालतों में न्याय के लिए संघर्ष कर रही है।
सभा में वक्ताओं ने बताया, कि कैसे हिंदुत्व के नाम पर नव फासीवाद ने एक अभूतपूर्व पैमाने पर सामाजिक व्यवस्था में प्रवेश किया है, तथा संविधान रूपी कपड़े के तार तार कर दिये हैं। लोकतांत्रिक आंदोलन की विभिन्न धाराओं और समाज के विभिन्न क्षेत्रों के कार्यकर्ताओं की भागीदारी देखकर खुशी हो रही है। इस तरह के विरोध प्रदर्शन हिंदू फासीवाद के ट्यूमर को काटने के लिए प्रतिरोध के बीज बुनते हैं।
(Counter current.org से साभार)
अनुवाद – अंकित निगम
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