5 अक्टूबर। मौजूदा समय में भारत एक ऐसे संकट से जूझ रहा है, जिसे विशेषज्ञों ने ‘छिपी भूख'(हिडेन हंगर) करार दिया है। देश के अधिकांश परिवारों की थाली में पोषक तत्वों की कमी है। जिसका सर्वाधिक बुरा असर गर्भवती महिलाओं पर पड़ता है, जिससे नवजात शिशु के शरीर में विकृति की आशंका प्रबल हो जाती है। ‘द लैसेंट’ में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत हिडेन हंगर श्रेणी में दुनिया में पहले पायदान पर पहुँचने की अविश्वसनीय स्थिति की ओर तेजी से अग्रसर है। विशेषज्ञों ने स्पष्ट किया है, कि ‘भूख’ शब्द का आशय भोजन की तीव्र इच्छा और इसकी कमी से उत्पन्न होने वाले संकट से है। जिसे थोड़ी मात्रा में पोषक तत्वों के सहारे आसानी से हल किया जाता है। लेकिन ज्यादातर परिवारों की थाली में पोषक तत्वों की कमी दूर नहीं हो पा रही है। इनमें ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्र शामिल हैं।
अध्ययन के अनुसार, आयरन की कमी से लाल रुधिर कणिका पर असर पड़ता है। इसकी वजह से मांसपेशी, हृदय और मस्तिष्क में आयरन की कमी होने से विभिन्न अंगों जैसे हृदय इत्यादि पर बुरा असर पड़ने लगता है। देश में प्रति वर्ष 2.60 करोड़ गर्भवती महिलाओं को प्रसव के दौरान रक्त की आवश्यकता पड़ती है, क्योंकि पोषक तत्वों की कमी से इन्हें एनीमिया की शिकायत रहती है। वहीं साल 2018 में एनीमिया की वजह से 25000 से अधिक मातृ मृत्यु दर्ज की गई थी। विशेषज्ञों ने सलाह दी है, कि भारत को यह सुनिश्चित करने का प्रयास करना चाहिए, कि सभी किशोरी और प्रसव उम्र की महिलाओं को पर्याप्त आयरन, विटामिन-बी 12 व फोलेट मिले। ताकि उनमें सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को जल्द दूर किया जा सके।
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