नियम विरुद्ध 10 फीसद कमीशन की कटौती, मंडी अधिकारियों की मिलीभगत
20 अक्टूबर। देश की सबसे बड़ी फूल मंडी इंदौर में लगती है जहां पर न केवल इंदौर के आसपास के बल्कि मालवा निमाड़ तथा महाराष्ट्र के किसान भी अपनी उपज बेचने के लिए आते हैं। लेकिन यहां व्यापारियों की मनमानी के चलते न किसानों को उचित मोल मिलता है ना तोल। उलटे व्यापारी की दुकान पर माल रख कर बेचने पर 10 फीसदी कमीशन देना पड़ता है, जबकि बचे हुए माल को भी कचरे में फेंक कर जाना पड़ता है। यानी हर तरीके से किसान को लूटा जा रहा है।
संयुक्त किसान मोर्चा के संयोजक रामस्वरूप मंत्री और बबलू जाधव ने बताया कि पूरे देश में कहीं भी 10 फीसद कमीशन का कोई धारा नहीं है, बावजूद इसके इंदौर की फूल मंडी में व्यापारी मनमाने तरीके से किसानों से 10 फीसद कमीशन वसूल रहे हैं। मंडी अधिनियम में भी इस तरह के कमीशन वसूली का कहीं कोई प्रावधान नहीं है। किसान संगठनों ने मंडी समिति को भी कई बार इसकी जानकारी दी लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
आपने बताया कि मंडी अधिनियम के अनुसार किसान जब अपनी उपज लेकर आता है तो उसकी नीलामी में बिक्री होनी चाहिए। लेकिन फूल मंडी में ऐसा कुछ नहीं होता है बल्कि व्यापारी की दुकान पर किसान अपने माल का ढेर लगा देता है तथा वहां 2 किलो, 5 किलो,10 किलो के हिसाब से सारा फूल बिकता है। व्यापारी अपनी डायरी में उसकी इंट्री कर लेता है और जितना फूल बिकता है उस पर 10 फीसद कमीशन काटकर बाकी पैसा किसान को दे देता है। बचा हुआ फूल भी किसान को कचरे में फेंक कर जाना पड़ता है। इस तरह किसान का हर तरफ से शोषण हो रहा है।
किसानों की मजबूरी है कि उन्हें इंदौर मंडी में ही आकर अपनी उपज को बेचना पड़ता है। संयुक्त किसान मोर्चा ने मंडी सचिव को भी कई बार मौखिक रूप से और गुरुवार को लिखित में इस लूट को रोकने की मांग संबंधी शिकायत की है। यदि मंडी प्रशासन ने शीघ्र ही इस पर कार्रवाई नहीं की तो संयुक्त किसान मोर्चा इस लूट के खिलाफ अभियान चलाएगा और माना जाएगा कि इस लूट में मंडी कर्मचारियों और अधिकारियों की भी साझेदारी है।