31 अक्टूबर। मध्यप्रदेश के 10 लाख अधिकारी-कर्मचारी भी चुनावी माहौल को भुनाने की तैयारी में जुट गए हैं। प्रदेश में 2023 के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में कर्मचारियों के पास राज्य सरकार से माँगें पूरी कराने के लिए नौ-दस माह शेष हैं, इसलिए लगभग सभी संगठन रणनीति बना रहे हैं। बैठक-सम्मेलन आयोजित किए जा रहे हैं। सत्ता पक्ष के विधायक-सांसद और संगठन पदाधिकारियों को अपनी मांग और परिस्थिति बताई जा रही है, ताकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तक बात पहुँचाई जा सके। इनमें से ज्यादातर कर्मचारियों की माँगें एक जैसी हैं।
विदित हो, कि वर्ष 2010 के बाद से प्रदेश में कर्मचारियों का प्रभावी आंदोलन नहीं हुआ है, पर इस बार कर्मचारियों के तेवर आक्रामक हैं। आपसी मनमुटाव और टकराव को भूलकर एक मंच पर आने की तैयारी भी कर रहे हैं। ऐसा हुआ, तो प्रदेश में कर्मचारियों की शक्ति एक बार फिर देखने को मिलेगी। वर्तमान में कर्मचारियों की सबसे बड़ी संयुक्त माँग पदोन्नति शुरू करने की है। ऐसे में दोनों पक्ष (आरक्षित-अनारक्षित) पदोन्नति शुरू कराना चाहते हैं। भले ही वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अधीन हो। इसके अलावा 2 लाख 87 हजार शिक्षकों सहित कर्मचारी वर्ष 2005 के बाद भर्ती हुए अन्य कर्मचारी पुरानी पेंशन बहाली की, तथा 72 हजार संविदा कर्मचारी नियमित करने की माँग कर रहे हैं। विभिन्न विभागों में अनुकंपा नियुक्ति भी बड़ी माँग है। मध्य प्रदेश कर्मचारी कांग्रेस के संरक्षक वीरेंद्र खोंगल का दावा है कि प्रदेश में अनुकंपा नियुक्ति के 10 हजार से ज्यादा मामले लंबित हैं।
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