7 नवम्बर। दुनिया में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को लेकर तमाम तरह की रिपोर्टें सामने आती रहती हैं। लेकिन इस बार जो खुलासा हुआ है, वह बेहद चौंकाने वाला है। दरअसल ऑक्सफैम की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है, कि दुनिया के सबसे अमीर 125 अरबपतियों के निवेश से सालाना औसतन 30 लाख टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन होता है, जो कि आम आदमी की तुलना में 10 लाख गुना अधिक है। ‘कार्बन बिलियनेरीज : द इन्वेस्टमेंट एमिशन ऑफ द वर्ल्ड्स रिचेस्ट पीपुल’ शीर्षक से प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है, कि इन अत्यंत अमीर लोगों की 183 कंपनियों में कुल 2.4 ट्रिलियन हिस्सेदारी है। जीवाश्म ईंधन और सीमेंट जैसे प्रदूषणकारी उद्योगों में उनका निवेश 500 कंपनियों के मानक एवं छोटे समूह के औसत का दोगुना है। कुल मिलाकर ये 125 अरबपति हर साल 39.3 करोड़ टन सीओ2ई (कार्बन डाईऑक्साइड के समान) के लिए निवेश करते हैं जो 6.7 करोड़ की आबादी वाले देश फ्रांस के वार्षिक कार्बन उत्सर्जन के बराबर है।
ऑक्सफैम इंडिया के सीईओ अमिताभ बेहर ने कहा, ग्रीनहाउस उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार सुपर रिच लोगों की भूमिका पर शायद ही कभी चर्चा होती हो। कॉरपोरेट पिरामिड के शीर्ष पर स्थित इन अरबपति निवेशकों पर जलवायु परिवर्तन के मद्देनजर बड़ी जिम्मेदारी है। वे बहुत लंबे समय तक जवाबदेही से बचते रहे हैं। सरकारें अपने अनुसार लक्ष्य तो तय कर लेती हैं लेकिन अरबपति निवेशकों की लापरवाही को रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाती हैं। ऑक्सफैम ने कहा कि वैश्विक जलवायु संकट को बढ़ावा देनेवाले प्रदूषण से मुनाफा कमाने में बड़े कॉरपोरेट्स और उनके अमीर निवेशक जो भूमिका निभा रहे हैं, उसे उजागर करने और बदलने के लिए हमें सीओपी 27 की आवश्यकता है। 2021 में ऑक्सफैम ने खुलासा किया, कि 2050 तक दुनिया के कार्बन उत्सर्जन को दूर कर ‘विशुद्ध शून्य उत्सर्जन’ प्राप्त करने के लिए कम से कम 16 लाख हेक्टेयर नए वनों की आवश्यकता होगी जो भारत के आकार के पांच गुना के बराबर क्षेत्र है।