देश के करीब साठ जाने-माने नागरिकों ने केंद्र सरकार से अपील की है कि वह किसान नेताओं से बातचीत करके सौहार्दपूर्ण समाधान निकाले। वहीं, इस अपील में किसान आंदोलन के नेताओं से भी यह अनुरोध किया गया है कि अगर केंद्र सरकार की तरफ से ऐसी पहल होती है तो वे उसपर सकारात्मक रुख दिखाएं।
अपील में कहा गया है कि खेती-किसानी पहले से ही गहरे संकट में है, पिछले साल कोविड महामारी के दौरान लाए गए तीनों कृषि कानूनों से यह संकट और बढ़ेगा तथा किसानों की आजीविका भी खतरे में पड़ जा सकती है। इसी चिंता ने इस आंदोलन को जन्म दिया है। यह आंदोलन कृषि क्षेत्र के गहरे संकट की अभिव्यक्ति है। काफी समय से चल रहा यह आंदोलन शांतिपूर्ण रहा है और इसे देशभर में किसानों का व्यापक समर्थन हासिल है। किसानों के अलावा, कामगारों, विद्यार्थियों तथा सिविल सोसायटी के एक बड़े हिस्से ने इस आंदोलन के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया है। तीन सौ से ज्यादा किसानों के जान गंवाने के बावजूद आंदोलनकारी किसानों ने धैर्य बनाए रखा है। सरकार को उनकी चिंताओं पर अविलंब गौर करना चाहिए।
इस अपील पर हस्ताक्षर करनेवालों में पूर्व केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री सोमपाल शास्त्री, जेएनयू के पूर्व प्रोफेसर और सुप्रसिद्ध अर्थशास्त्री डॉ. अरुण कुमार, अर्थशास्त्री कमल नयन काबरा, गुजरात विद्यापीठ के पूर्व कुलपति और गांधीवादी चिंतक डॉ सुरेश आयंगार, पंजाब के पूर्व सचिव टीकेए नायर, हैदराबाद वि.वि. में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर रहे डॉ. डी. नरसिंह रेड्डी, पंजाब कृषि वि.वि. के कुलपति डॉ. बलदेव सिंह ढिल्लों समेत करीब साठ अत्यंत प्रतिष्ठित नागरिक शामिल हैं।पूरी अपील देखना चाहें तो अंग्रेजी में babushahi.com पर देख सकते हैं।