31 दिसंबर। उत्तराखंड के हल्द्वानी में बनभूलपुरा के लोगों का बुलडोजर राज के विरोध में संघर्ष जारी है। बीते गुरुवार की शाम बनभूलपुरा क्षेत्र में बस्तियां बचाने के लिए विशाल कैंडल मार्च निकाला गया। बनभूलपुरा इलाके की बहुचर्चित रेलवे जमीन पर पर बने हजारों घरों पर बुलडोजर की कार्रवाई के विरोध को बनभूलपुरा की जनता सड़कों पर उतरी। कैंडल मार्च में लगे जोरदार नारों के साथ पूरा इलाका गुंजायमान रहा। कड़कड़ाती ठंड के बीच अपना आशियाना बचाने की उम्मीद में बड़ी संख्या में महिलाएं-बच्चे, नौजवान, बुजुर्ग भी शामिल हुए। कैंडल मार्च शांतिपूर्ण रहा। मार्च में बनभूलपुरा की आम जनता के साथ सामाजिक संगठन और राजनीतिक दल भी शामिल रहे। क्षेत्र की मेहनतकश जनता के पक्ष में विभिन्न सामाजिक संगठन मजबूती से खड़े हैं।
विदित हो कि हाल ही में हाईकोर्ट ने वनभूलपुरा गफूर बस्ती में रेलवे की 29 एकड़ भूमि पर बने घरों को ज़मींदोज़ करने के आदेश दिए थे। इस जगह पर करीब 4365 घर हैं। टीम पुराने पिलरों की जाँच करेगी, जहाँ पिलर हटाए गए होंगे, वहाँ पेंट से लाल निशान लगाए जाएंगे। इसके बाद स्पष्ट हो जाएगा कि कितने क्षेत्र का अतिक्रमण तोड़ा जाएगा। बीते बुधवार को रेलवे और प्रशासन की टीम को रेलवे भूमि पर सीमांकन करना था। इसकी सूचना मिलते ही लोग विरोध की तैयारियों में जुट गए। हालांकि इसकी तैयारी सोमवार रात को हुई बैठक में कर ली गई थी, कि शांतिपूर्ण तरीके से विरोध किया जाएगा। इस विरोध को देखते हुए प्रशासन ने तय किया है,श कि दस जनवरी को अतिक्रमण तोड़ा जाएगा। प्रदर्शनकारियों ने शाम करीब 3:35 बजे मुख्यमंत्री के नाम संबोधित ज्ञापन एडीएम को सौंपा। एक निर्णय के तहत लोग शाम छह बजे सड़कों से उठकर अपने घरों को चले गए।
प्रमुख माँगें
# उत्तराखंड सरकार 2016 के शपथपत्र के अनुरूप अपनी अवस्थिति ग्रहण करे और जनविरोधी फैसले पर उच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिका डाले। साथ ही सर्वोच्च न्यायालय में जनता की पैरवी करे।
# मलिन बस्ती श्रेणी में बनभूलपुरा क्षेत्र की पाँच मलिन बस्तियों; ढोलक बस्ती/गफूर बस्ती, चिराग अली शाह, इन्द्रा नगर पूर्वी, इंदिरानगर पश्चिमी “ए”, इंदिरा नगर पश्चिमी “बी”; को पुनः मालिन बस्ती की श्रेणी में शामिल किया जाए।
(‘वर्कर्स यूनिटी’ से साभार)