9 जनवरी। ब्रिटेन में रेल, मैरीटाइम और ट्रांसपोर्ट यूनियन के साथ 14 रेल ऑपरेटर 48 घंटे की हड़ताल पर चले गये थे, तो एस्लेफ ड्राइवरों ने भी हड़ताल शुरू कर दी। ब्रिटेन में हड़तालों का दौर खत्म होने का नाम नहीं ले रहा। रेल, मैरीटाइम और ट्रांसपोर्ट यूनियन(आरएमटी) के सदस्यों के साथ 14 रेल ऑपरेटर बीते मंगलवार और गुरुवार को 48 घंटे की हड़ताल पर चले गये थे, जबकि एस्लेफ यूनियन के ड्राइवरों ने भी गुरुवार को हड़ताल शुरू की। गौरतलब है, कि वेतन और कार्य की स्थितियों को लेकर लंबे समय से जारी विवाद के कारण ब्रिटेन की लगभग आधी रेलवे लाइन बंद हैं, और केवल 20 फीसदी सेवाएं चालू हैं। यूनियन का आरोप है कि सरकार रेल नौकरी की सुरक्षा, अच्छे और बेहतर काम करने की स्थिति पर एक स्वीकार्य योग्य प्रस्ताव देने से रेल ऑपरेटरों को रोक रही है। वहीं परिवहन सचिव मार्क हार्पर ने यूनियन के नेताओं से बातचीत का आग्रह किया, और कहा, कि सरकार ने ‘बहुत उचित वेतन प्रस्ताव’ दिया है। लेकिन यूनियन अध्यक्ष मिक लिंच ने कहा कि अधिकारियों ने कोई नया प्रस्ताव नहीं रखा।
विदित हो, कि दिसंबर में उच्च वेतन की माँग को लेकर नर्सों, एयरपोर्ट के कर्मचारियों, एंबुलेंस और बस चालकों और डाककर्मियों ने नौकरी छोड़ दी थी। एक सर्वे के मुताबिक, यूके में नर्सों, शिक्षकों, रेलकर्मियों और डाक विभाग के कर्मचारियों के द्वारा की जा रही हड़तालों को जनता का भरपूर समर्थन मिल रहा है। ऐसे में तमाम सरकारी दावे और प्रचार सिर्फ एक प्रोपेगेंडा साबित हो रहे हैं।
रेल, मैरीटाइम और ट्रांसपोर्ट यूनियन (RTM) की सदस्यों की संख्या 40,000 है। आरटीएम के जनरल सेक्रेटरी मिक लिंच का कहना है, कि जब भी सरकार से आमने-सामने एक समझौते पर बात होती है, तो वह चुपचाप सारी बातें सुनती है, लेकिन करती कुछ भी नहीं। खबरों के अनुसार इन हड़तालों के कारण ब्रिटेन के पर्यटन उद्योग को सिर्फ दिसंबर के महीने में 1.5 बिलियन पाउंड का नुकसान हुआ है। इस नुकसान का आरोप मिक लिंच पर लगा है, लेकिन लिंच ने कहा कि इन हड़तालों के लिए सरकार ही जिम्मेदार है। उन्होंने कहा, कि ब्रिटेन में कर्मचारियों को उचित वेतन मिल रहा है और यहाँ के ज्यादातर कर्मचारी जॉब सिक्यूरिटी चाहते हैं। उन्होंने कहा कि यहाँ कर्मचारियों को अवकाश भत्ता, बीमारी भत्ता तक नहीं मिलता, वे बहुत साधारण कर्मचारी हैं और उनके भी टर्म्स एंड कंडीशन हैं।
(‘मेहनतकश’ से साभार)