विभिन्न माँगों को लेकर मनरेगा कर्मियों का जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन

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19 फरवरी। मौजूदा वित्तीय वर्ष में मनरेगा में बेहद कम बजट आवंटन करने, काम मिलने और हाजिरी के लिए नया ऐप सिस्टम लागू किये जाने के विरोध में तथा अन्य माँगों को लेकर पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, छत्तीसगढ़, कर्नाटक और देश के दूसरे राज्यों के मजदूर दिल्ली के जंतर-मंतर पर विगत 12 दिनों से धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। अपने-अपने राज्यों में रैलियों और जुलूसों के बाद मजदूरों का जत्था दिल्ली पहुँच गया है। इस धरने में शामिल लोगों में अधिकांश महिलाएं हैं। प्रदर्शन कर रहे मजदूरों ने मीडिया के हवाले से बताया, कि वे सभी तब तक यहाँ से वापस नहीं जाएंगे, जब तक केंद्र सरकार उनकी बातें नहीं सुन लेती, और न्यूनतम मजदूरी को बढ़ाए जाने से लेकर, नई हाजिरी प्रक्रिया और दूसरे मुद्दों पर कोई ठोस फैसला नहीं ले लेती है।

मजदूरों के हितों के लिए काम रहे सामाजिक संगठनों के मुताबिक, सरकार ने नेशनल मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम के तहत हाजिरी की जो प्रक्रिया शुरू की है, उसकी वजह से इस सिस्टम के लागू होने के बाद कम से कम पचास फीसद ग्रामीणों ने अपनी मजदूरी गंवाई है। अगर मजदूरों की हाजिरी लग जाती है, तो उसे दुरुस्त करवाने का कोई सिस्टम नहीं है। क्योंकि ब्लॉक से लेकर जिला स्तर तक किसी भी अधिकारी को उसका अधिकार नहीं है, और सिस्टम सीधा केंद्रीय कार्यालय के नियंत्रणाधीन है, जो मजदूरी के पैसे खातों में भेजता है। इसके अलावा बहुत सारे इलाकों में नेटवर्क या तो लंबे समय तक गायब हो जाता है, या बेहद धीमा होता है, जिसमें तस्वीर जैसी उच्च क्षमता की फाइलों को अपलोड करना मुश्किल हो जाता है।

इस मामले पर योगेंद्र यादव ने भी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, कि मजदूरी करवा लिया, लेकिन हाजिरी शो नहीं हुई, तो सरकार पैसे ही नहीं देगी। इतना बुरा काम तो ठेकेदार भी नहीं करते हैं। आखिर मोदी जी को मध्यवर्ग और गरीबों से दिक्कत क्या है? क्यों मोदी सरकार मनरेगा को खत्म करने पर तुली है?

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