1 मई। मई दिवस समाजवादी नेता और चिंतक मधु लिमये की जयंती का दिन भी है। इस बार खास बात यह है कि 1मई से मधु लिमये का जन्मशती वर्ष शुरू हुआ। इसके अलावा गोवा की आजादी के साठ साल हो रहे हैं जिसकी लड़ाई में डा राममनोहर लोहिया और मधु लिमये का शानदार योगदान था। इसके मद्देनजर समाजवादी समागम ने दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में एक बड़ा आयोजन करने की योजना बनाई थी लेकिन कोरोना से उत्पन्न हालात के कारण वह योजना छोड़ देनी पड़ी और एक आनलाइन कार्यक्रम किया गया। इसके तहत आईटीएम यूनिवर्सिटी (ग्वालियर) की ओर से तीन किताबों का लोकार्पण किया गया जो गोवा के मुक्ति संघर्ष और उसमें लोहिया और मधु लिमये के योगदान पर प्रकाश डालती हैं।
इस अवसर पर डा आनंद कुमार ने अपने संबोधन में मधु लिमये की खूबियों की चर्चा करते हुए कहा कि आज जब नागरिक आजादी को कुचला जा रहा है, सांप्रदायिकता का नंगा नाच हो रहा है और गरीब विरोधी आर्थिक नीतियों का बोलबाला है तब मधु लिमये को और शिद्दत से तथा और जिम्मेदारी से याद करने की जरूरत है। इस अवसर पर मधु लिमये के सुपुत्र अनिरुद्ध लिमये ने भी व्यापक जनवादी एकता की जरूरत पर जोर दिया जिसकी चर्चा मधु लिमये करते रहते थे। वरिष्ठ पत्रकार कुर्बान अली ने लोकार्पित किताबों का परिचय दिया।
इस मौके पर मुख्य अतिथि हिंद मजदूर सभा के महासचिव हरभजन सिंह सिद्धू ने नए लेबर कोड को घोर मजदूर विरोधी बताते हुए कहा कि मजदूरों ने दशकों के अपने संघर्ष से और वामपंथी-समाजवादी आंदोलनों ने जो कुछ हासिल किया था, सब छीना जा रहा है। सरकारी खजाने में इजाफा करनेवाले सार्वजनिक उपक्रम औने-पौने दाम पर बेचे जा रहे हैं। आज पूंजीपतियों की मनमर्जी के कानून बनाकर किसानों और मजदूरों पर थोपे जा रहे हैं, इसके खिलाफ किसानों और मजदूरों को मिलकर लड़ना होगा, और इसकी तैयारी चल रही है। रमाशंकर सिंह ने आज के आयोजन की पृष्ठभूमि के बारे में बताया और कार्यक्रम का संचालन किया। राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।
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