अब दाने-दाने को मोहताज है सीरिया की आधी आबादी

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17 मार्च. कभी सीरिया, खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भर हुआ करता था, मगर अब दुनिया के छह सबसे ज्यादा खाद्य असुरक्षित देशों में इसका नाम शामिल है.

वर्ल्ड फूड प्रोग्राम (डब्ल्यूएफपी) के मुताबिक सीरिया में 12 वर्षों तक चले गृहयुद्ध और हाल में आए विनाशकारी भूकम्पों के बाद, आधी से ज्यादा आबादी भोजन की भारी कमी से जूझ रही है। संयुक्त राष्ट्र खाद्य सुरक्षा एजेंसी ने आगाह किया है कि सीरिया में करीब 1.21 करोड़ लोगों को भरपेट भोजन नहीं मिल रहा है।

वहीं बिगड़ते हालात के चलते और 29 लाख लोगों पर खाद्य असुरक्षा का खतरा मंडराने लगा है। इस बीच, हालिया आंकड़े बताते हैं कि कुपोषण बड़ी तेजी से बढ़ रहा है। साथ ही स्टंटिंग और मातृ कुपोषण की दर नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है।

पता चला है कि सीरिया में 28 फीसदी बच्चे स्टंटिंग का शिकार हैं यानी उनका शारीरिक विकास उतना नहीं है जितना उम्र के पड़ाव में होना चाहिए। वहीं उत्तर-पूर्व सीरिया में मातृत्व कुपोषण की दर बढ़कर 25 फीसदी पर पहुंच गई है।

महंगाई का आलम यह है कि खाद्य पदार्थों की कीमतें तीन वर्ष पहले की तुलना में 13 गुना अधिक महंगी हैं। देखा जाए तो सीरिया में एक औसत व्यक्ति को उतना मासिक वेतन मिल रहा है जितना वर्तमान में उसके परिवार की भोजन की करीब एक चौथाई जरूरत को ही पूरा कर सकता है।

ऐसे में खाद्य संगठन ने ज्यादा मानवीय सहायता की जरूरत को रेखांकित किया है। सीरिया में डब्ल्यूएफपी के कंट्री डायरेक्टर कैन क्रॉसली का इस बारे में कहना है कि “बमबारी, विस्थापन, अलगाव, सूखा, आर्थिक पतन, और अब विनाशकारी भूकम्प। सीरियाई लोग बहुत सहनशील हैं, मगर इसकी भी एक सीमा है। लेकिन अब इसकी इंतेहा हो चुकी है।”

ऐसे में विश्व खाद्य कार्यक्रम ने सीरिया के लिए कहीं ज्यादा मानवीय सहायता की दरकार की है। डब्ल्यूएफपी के मुताबिक न केवल भूकम्प प्रभावित लोगों की मदद के लिए बल्कि उन लोगों की मदद करने के लिए त्वरित कार्रवाई करने की जरूरत है जो पहले से ही आसमान छू रही खाद्य कीमतों, ईंधन संकट, और लगातार तबाही मचा रही जलवायु आपदाओं का सामना कर रहे हैं।

सूखा, बढ़ती कीमतों जैसे कारणों से 75 फीसदी तक गिर गया है गेहूं का उत्पादन

एजेंसी के अनुसार कभी सीरिया, खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भर हुआ करता था, मगर अब दुनिया के छह सबसे ज्यादा खाद्य असुरक्षित देशों में इसका नाम शामिल है। पता चला है कि बुनियादी ढांचे के ध्वस्त होने और ईंधन की बढ़ती कीमतों के साथ सूखे जैसे हालात की वजह से वहां गेहूं का उत्पादन 75 फीसदी तक घट गया है।

गौरतलब है कि छह फरवरी, 2023 को तड़के सुबह 4 बजकर 17 मिनट (स्थानीय समय) पर तुर्की में भूकंप का पहला झटका लगा था। इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 7.8 मापी गई थी। इसके बाद अगले दो दिनों तक भूकंप के कई झटके महसूस किए गए थे, जिनकी वजह से तुर्की और सीरिया में भारी तबाही हुई थी।

13 मार्च 2023 तक इन भूकम्पों में 55,700 से ज्यादा लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी हैं। इनमें से 7,200 लोगों की मौत सीरिया में हुई है। इसके अलावा भूकंप के इन झटकों ने सीरिया और तुर्की में बुनियादी सुविधाओं, इमारतों, घरों को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाया है। नतीजतन पहले से बढ़ती कीमतें आसमान छूने लगी हैं।

एजेंसी के मुताबिक विश्व खाद्य कार्यक्रम को सीरिया में 2023 के दौरान, सहायता अभियान जारी रखने के लिए, कम से कम 45 करोड़ डॉलर की तत्काल जरूरत है। इसमें 15 करोड़ डॉलर की की जरूरत भूकम्प प्रभावित लोगों के लिए है, जिनका आंकड़ा आठ लाख है। इनकी मदद अगले छह महीनों तक जारी रखनी होगी। अन्यथा पर्याप्त संसाधनों के अभाव में, लाखों लोग खाद्य सहायता से वंचित रह सकते हैं।

डब्ल्यूएफपी के मध्य पूर्व, उत्तरी अफ्रीका और पूर्वी यूरोप के क्षेत्रीय निदेशक कॉरिन फ्लीशर का इस बारे में कहना है कि, “दुनिया ने अब हमें भुला दिया है, सीरियाई लोगों से ऐसा सुनने को मिलता है। यह इस बात की याद दिलाता है कि हमें और ज्यादा प्रयास करने की जरूरत है।”

– ललित मौर्य
(डाउन टु अर्थ से साभार)


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