28 मार्च. कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के निवेश के सम्बन्ध में एक बड़ा खुलासा हुआ है। पीएफ जमा करने वाले लगभग 6 करोड़ सबस्क्राइबर का पैसा अडानी की दो ऐसी कंपनियों में है जो ईपीएफओ की बंधक निवेशक (Captive Investor) हैं।
‘द हिन्दू’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अडानी एंटरप्राइजेज और अदानी पोर्ट्स एंड एसईजेड ईपीएफओ की बंधक निवेशक है। जो हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों के बाद से डूब गयी हैं।
उल्लेखनीय है कि जनवरी 2023 में हिंडनबर्ग ने अडानी ग्रुप पर एक विस्तृत रिपोर्ट जारी की थी। इसके बाद कई बड़े निवेशकों ने अडानी ग्रुप की कंपनियों में शेयरों को खरीदना बंद कर दिया था। लेकिन देश के बड़े फंड में से एक ईपीएफओ ने अडानी की दो कंपनियों के शेयरों में निवेश करना जारी रखा है। इसमें प्रमुख रूप से अडानी एंटरप्राइजेज शामिल है।
‘द हिन्दू’ की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत के सबसे बड़े रिटायरमेंट फंड- कर्मचारी भविष्य निधि संगठन इस साल कम से कम सितंबर तक अडानी ग्रुप में निवेश करना जारी रखेगा। इस फैसले में तभी बदलाव होगा, जब इसके ट्रस्टी अपने निवेश के दृष्टिकोण पर दोबारा कोई फैसला लेंगे।
रिपोर्ट में कहा गया है कि ईपीएफओ सबस्क्राइबरों के पास निफ़्टी 50 और सेंसेक्स इंडिकस में निवेश के अलावा दूसरा कोई ऑप्शन नहीं है क्योंकि इसका प्रबंधन ईपीएफओ संभालता है। निवेश से जुड़े फैसले ईपीएफओ ट्रस्टी ही लेते हैं।
गौरतलब है कि ईपीएफओ एक प्रमुख सामाजिक सुरक्षा संगठन है, जिसके 6 करोड़ से अधिक ग्राहक हैं और उसके पास लगभग 13 लाख करोड़ रुपये का फंड है।
ईपीएफओ अपनी निवेश रणनीति के तहत निफ्टी 50 और सेंसेक्स के इंडेक्स में निवेश करता है। इन्हें भारतीय शेयर बाजार का बेंचमार्क माना जाता है। इन सूचकांकों में अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन (APSEZ) और अडानी एंटरप्राइजेज भी शामिल हैं।
ईपीएफओ 27.73 करोड़ औपचारिक क्षेत्र के कर्मचारियों की वृद्धावस्था बचत का प्रबंधन करता है और अपने कॉर्पस का 15% एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) में निवेश करता है।
(workersunity.com से साभार)