1 अप्रैल। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने राज्यसभा में बताया कि सरकार के पोषण ट्रैकर के अनुसार देश में 14 लाख से अधिक बच्चे गंभीर रूप से कुपोषित हैं। जो बच्चे गंभीर रूप से कुपोषित होते हैं, उनका वजन उनकी ऊंचाई के मुकाबले बहुत कम होता है, तथा उनकी कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण बीमारियों के मामले में मरने की संभावना नौ गुना अधिक होती है।
महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने राज्यसभा में एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि मिशन पोषण 2.0 के तहत सेवा वितरण की निगरानी के लिए आईसीटी एप्लीकेशन पोषण ट्रैकर के तहत फरवरी 2023 में मापे गए लगभग 5.6 करोड़ बच्चों में से 2.6 फीसदी बच्चे गंभीर रूप से कुपोषित हैं। यह संख्या लगभग 14,56,000 हो जाती है। मंत्रालय ने आगे बताया कि कुपोषित बच्चों का प्रतिशत 7.7% पाया गया, जो लगभग 43 लाख है।
विदित हो कि कुपोषण भारत की गम्भीरतम समस्याओं में एक रहा है, फिर भी इस समस्या पर सबसे कम ध्यान दिया गया है। कुपोषण पर नवीनतम सरकारी आँकड़े बताते हैं कि भारत में कुपोषण का संकट काफी भयावह हो गया है। वर्ष 2022 के ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भी भारत की स्थिति काफी बदतर थी। ग्लोबल हंगर इंडेक्स की रिपोर्ट के मुताबिक 121 देशों की रैंकिंग में भारत 107वें पायदान पर है। भारत से बेहतर स्थिति में उसके पड़ोसी देश पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल और बांग्लादेश हैं। अब खुद केंद्र सरकार की रिपोर्ट में भी कुपोषण को लेकर चिंताजनक आँकड़े सामने आए हैं।
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