18 अप्रैल। देश के 18वें थल सेनाध्यक्ष रहे जनरल शंकर रॉयचौधरी ने बीते रविवार को मीडिया के हवाले से कहा कि पुलवामा हमले को टाला जा सकता था, अगर सीआरपीएफ के जवानों ने सड़क के बजाय हवाई मार्ग से श्रीनगर की यात्रा की होती। पूर्व थलसेना प्रमुख ने कहा कि सैनिकों के इतने बड़े काफिले को पाकिस्तानी सीमा के करीब स्थित ऐसे राजमार्ग से नहीं जाना चाहिए था। गौरतलब है कि फरवरी 2019 में पुलवामा में हुए विस्फोटक हमले से सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे।
जनरल रॉयचौधरी ने मीडिया के जरिये बताया कि पुलवामा में 40 फौजियों की मौत की प्राथमिक जिम्मेदारी प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली सरकार की है। जिसे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार द्वारा सलाह दी जाती है। इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी बराबर के दोषी हैं। अंग्रेजी दैनिक ‘टेलीग्राफ’ से बात करते हुए 18वें थल सेनाध्यक्ष रहे रॉयचौधरी, जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के खुलासे पर प्रतिक्रिया दे रहे थे। सत्यपाल मलिक ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जवानों को ले जाने के लिए विमान देने के सीआरपीएफ के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया था।

मलिक ने आगे कहा कि मैंने उसी शाम प्रधानमंत्री को बताया, यह हमारी गलती है। अगर हमने विमान दिया होता, तो यह नहीं होता। मलिक ने यह भी दावा किया कि जब उन्होंने उन विफलताओं के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बताया, जिनके चलते हमला हुआ था, तो मोदी ने उन्हें ‘चुप रहने’ के लिए कहा। उन्होंने यह भी बताया कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने भी उन्हें चुप रहने को कहा था।
(Telegraphindia से साभार)
अनुवाद : अंकित कुमार निगम
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