पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के किनारे बसे गाँवों में औद्योगिक पार्क के नाम पर जमीन छीनने का विरोध

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21 अप्रैल। पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के किनारे के गाँवों में औद्योगिक क्षेत्र और पार्क के नाम पर जमीन छीनने के खिलाफ चल रहे अंडिका बाग धरने के एक माह पूरे होने पर 20 अप्रैल को हरे झंडे और तख्ती लिखे नारों के साथ जुलूस निकाला गया। लड़ेंगे जीतेंगे, किसान मजदूर एकता जिंदाबाद, जमीन के लुटेरों वापस जाओ, जमीन हमारी आपकी है – नहीं किसी के बाप की है, के नारे लगाए गए। पूर्वांचल किसान यूनियन महासचिव वीरेंद्र यादव ने मीडिया के हवाले से कहा कि आजमगढ़ के सुम्माडीह, खुरचंदा, बखरिया, सुलेमापुर, अंडिका, छजोपट्टी, वहीं सुलतानपुर के कलवारीबाग, भेलारा, बरामदपुर, सजमापुर के किसान अंडिका बाग में आंदोलनरत हैं। पूर्वांचल एक्सप्रेस वे के किनारे के गाँव संकट में हैं।

देश में करोड़ों लोग विस्थापन का दंश झेल रहे हैं, जिन्होंने अपनी जमीन विकास परियोजनाओं के नाम पर दे दी, और खुद सड़कों पर बंजारे की जिंदगी जी रहे हैं। किसान नेता राजीव यादव ने कहा कि विकास के इस कड़वे स्वाद ने जो हकीकत सामने रखी है उसको देखते हुए इन गाँवों के लोगों ने तय किया है कि वह धरती माता का सौदा नहीं करेंगे। कई ऐसे किसान मजदूर हैं, जिनकी जमीनें एक्सप्रेस वे में गयीं। जो मुआवजा उनको मिला, उससे उन्होंने जो मकान बनाए आज फिर उनपर बुलडोजर चलने की नौबत आ गई है। किसान नेता निशांत राज ने मीडिया के जरिये कहा कि किसानों को खत्म करने वाली, सरकारी दावे के अनुसार चौथी औद्योगिक क्रांति, के निशाने पर पूर्वांचल और बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे के किनारे पड़ने वाले गाँव हैं।

(‘जनज्वार’ से साभार)

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