21 अप्रैल। एक तरफ जहाँ मध्यप्रदेश के इंदौर शहर को शहर और आसपास के गांवों में जल संरक्षण, विशेषकर बारिश का पानी बचाने के लिए विगत वर्ष राष्ट्रीय जल पुरस्कार मिला है, वहीं दूसरी तरफ जिले के दूरदराज के आदिवासी गाँवों में अभी भी ग्रामीणों का पानी का संघर्ष बेहद हैरान करने वाला है। जिले की एक आदिवासी बसाहट खिरनीखेड़ी के लोग 1200 फुट नीचे पहाड़ उतरकर पानी लेने जाते हैं। इतना नीचे उतरने के बाद भी इन्हें पीने के लिए साफ पानी नहीं मिलता। करीब दो साल पहले एक स्थानीय ठेकेदार ने इस नदी में कोई औद्योगिक केमिकल डंप कर दिया था, जिसके बाद नदी का पानी काला और लाल हो गया।
आदिवासियों ने ‘देशगाँव’ न्यूज के हवाले से बताया कि उस समय पूरा पर्यावरण दूषित हो गया था। नदी का पानी पीने से उनके जानवर मर गए थे और नदी में फेंका गया। केमिकल जमीन में उतर गया था। इसके बाद से नदी का पानी ऐसा ही लाल रंग का है। आदिवासियों ने आगे बताया कि इस दूषित पानी को हमें पीना ही होता है, क्योंकि इसके अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है। इस घटना के बाद आदिवासी लोगों ने खासा हंगामा किया था। इसके बाद स्थानीय व्यापारी को पकड़ा गया और इस मामले से जुड़े लोगों को सजा भी हुई। शासन-प्रशासन ने स्वच्छ जल जल्द ही उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया। इसके बाद यहाँ तमाम अधिकारी आए, और उन्होंने तरह-तरह की योजनाएं बनाकर दीं, लेकिन अभी तक इसका कोई असर जमीन पर देखने को नहीं मिला।
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