चंपा लिमये : पति मधु लिमये के जीवन कार्यों को प्रकाशित करते करते ही जिनका जीवन रीत गया! – तीसरी व अंतिम किस्त

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— विनोद कोचर —

चंपा लिमये का पत्र दिनांक 6-10-1997

श्री विनोद कोचर जी,
सप्रेम नमस्कार।।
आपका पत्र तथा साथ का लेख मिला। धन्यवाद।
मैं दो तीन सप्ताह पहले दिल्ली आई हूं। 18 अप्रैल से बम्बई में थी।
मधुजी की मराठी आत्मकथा का प्रथम खंड 9 अगस्त 1996 को मुंबई से प्रकाशित हुआ था। अब उसका हिंदी तथा अंग्रेजी अनुवाद तैयार हुआ है। शीघ्र ही प्रेस में जाएगा।
मधुजी के स्वर्गवास के बाद दो हिंदी किताबें छपी थीं–
(1) भारतीय राजनीति का संकट
(2) भारतीय राजनीति के अंतर्विरोध। दो अंग्रेजी किताबें प्रकाशित हुईं –(1) Last Writings (2) Goa Liberation Movement and Madhu Limaye.

मराठी में उनके तीन संकलन छप रहे हैं। इस साल मराठी आत्मकथा का दूसरा संस्करण भी छपेगा तथा उनकी Birth of Non-Congressism किताब का मराठी अनुवाद भी प्रकाशित होगा।

अगले साल 8 जनवरी को, मधुजी की पुण्यतिथि पर, सर्वोच्च न्यायालय के प्रमुख न्यायाधीश श्री जगदीश वर्मा जी का भाषण होगा। अध्यक्षता, इंटरनेशनल प्रेस काउंसिल के अध्यक्ष जस्टिस सावंत करेंगे।

1 मई को भारत सरकार के डाक तार विभाग ने उनके सम्मान में टिकिट निकाला था और उसके पहले उनकी प्रतिमा का अनावरण पार्लियामेंट में, राष्ट्रपति श्री शंकरदयाल शर्मा जी ने किया था।

स्वर्गीय मधुजी द्वारा लिखे हुए व्यक्ति चित्रात्मक लेखों के दो संकलन अंग्रेजी में तैयार हो रहे हैं। एक संकलन समाजवादी नेताओं पर है। दूसरा अन्य नेताओं पर है।लगभग सात सौ पन्नों की सामग्री है। उनकी जीवनी की रचना के लिए आवश्यक सामग्री जुटाने की कोशिश में हैं।साथ ही, उनके पार्लियामेंट्री कैरियर पर भी किताब बनाने का प्रयास चल रहा है।

उनके ऊपर दो स्मृति ग्रंथ निकाले गए हैं। (1) मधुजी – उदयन शर्मा ने संपादित किया है।
(2) मधु लिमये : व्यक्ति और राजनीति। इस किताब का संपादन प्रोफेसर विनोद प्रसाद सिंह तथा प्रेम सिंह जी ने किया है।
इस तरह मधुजी के निधन के बाद कुछ काम हुआ है। कुछ होना है। जितना हो सके, प्रयास कर रही हूं। आशा है आपने मधुजी द्वारा लिखी हुई किताबें देखी होंगी।

मेरी दो हिंदी किताबें प्रकाशित हुई हैं।
(1) स्मृति सौरभ (2) नारी–तेज और तपस्या।
अब मराठी हिंदी में कथा संग्रह, लेख संग्रह तथा संस्मरण लिखने का काम कर रही हूं।

आपका लेख मैं बम्बई के श्री विश्वनाथ सचदेव जी के पास भेज दूंगी। वे नवभारत टाइम्स के संपादक हैं। यहाँ के श्री सूर्यकांत बाली कट्टर संघवादी हैं, ऐसा मैंने सुना है। पहले दैनिक हिंदुस्तान में के के पांडेजी थे। उनसे भी मैं पूछ लूंगी।

आशा है आप तथा आपके परिवार के बाकी सदस्य स्वस्थ होंगे। बड़ों को मेरे प्रणाम, बच्चों को प्यार।

शुभकामनाओं के साथ,
आपकी
चंपा मौसी

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