एनजीटी ने बिहार पर लगाया 4,000 करोड़ का जुर्माना
6 मई। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 5 मई, 2023 को बिहार को 4,000 करोड़ रुपए का मुआवजा भरने का निर्देश दिया है। एनजीटी ने यह जुर्माना ठोस और तरल कचरे का वैज्ञानिक तरीके से उचित प्रबंधन न कर पाने के लिए लगाया है।
कोर्ट ने कहा है कि इस राशि का उपयोग अपशिष्ट प्रबंधन के लिए किया जाएगा। साथ ही इस राशि को दो महीनों के भीतर रिंग-फेंस खाते में रखा जाना चाहिए। आदेश में कहा गया है कि इस राशि का उपयोग ठोस अपशिष्ट प्रसंस्करण सुविधाओं की स्थापना, पुराने कचरे के उपचार और सीवेज उपचार संयंत्रों और मल कीचड़ उपचार संयंत्रों की स्थापना के लिए किया जाएगा ताकि इनके उत्पादन और निपटान में कोई अंतर न रहे।
एनजीटी ने बिहार के मुख्य सचिव की प्रेजेंटेशन को देखने के बाद कहा कि हानिकारक कचरे के उत्पादन और प्रसंस्करण में अभी भी गैप है जो पर्यावरण और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरा है। इतना ही नहीं जो आंकड़े प्रस्तुत किए गए हैं वो अधूरे हैं, क्योंकि केवल 26 डंप साइट में वर्षों से जमा कचरे के बारे में ही आंकड़े दिए गए हैं। वहीं सीवेज प्रबंधन में भी 2,000 एमएलडी से अधिक का अंतर है।
ऐसे में कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है, “कि बिहार को केवल 4,000 करोड़ रुपए का मुआवजा भरने के लिए जिम्मेवार ठहराया गया है। जो ठोस कचरे के प्रबंधन में असफल रहने के लिए नहीं हैं, इसके लिए हम फिलहाल कोई मुआवजा नहीं ले रहे हैं।” वहीं केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा दिए पानी की गुणवत्ता संबंधी आंकड़ों से पता चला है कि गंगा नदी में पानी की गुणवत्ता की निगरानी करने वाले सभी 33 स्थानों पर गंगा का पानी नहाने लायक नहीं है।
पता चला है कि वहां पानी में बड़ी मात्रा में फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया हैं। ऐसे में सीवेज को गंगा या उसकी सहायक नदियों में गिरने से रोकने की जरूरत है। न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और सुधीर अग्रवाल की बेंच ने आशा व्यक्त की है कि बिहार सरकार नए दृष्टिकोण और कड़ी निगरानी के जरिए मामले में आगे कदम उठाएगा।
– सूसन चाको व ललित मौर्य
(डाउनटुअर्थ से साभार)