गुजरात के बच्चों में कुपोषण का स्तर चिंताजनक: राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण

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28 जून। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के मुताबिक, गुजरात राज्य में पाँच साल से कम उम्र के 9.7 प्रतिशत से अधिक बच्चे कम वजन के थे। सरकार ने पोषण अभियान, मातृत्व सहयोग योजना, एकीकृत बाल विकास सेवाएं, मिड-डे मील योजना, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, राष्ट्रीय पोषण मिशन, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन और राष्ट्रीय पोषण जैसी योजनाओं के साथ देश भर में कुपोषण से निपटने के लिए पहल की थी। पिछले साल ही राज्य सरकार ने विधानसभा को सूचित किया था, कि गुजरात के 30 जिलों में 1,25,707 बच्चे कुपोषित हैं, और स्थिति में सुधार के लिए कदम उठाए जाएंगे, लेकिन जैसा कि गुजरात के कुपोषण के आँकड़ों से पता चलता है, जमीन पर बदलाव अब भी दिखाई नहीं दे रहे हैं।

इसके अतिरिक्त प्रमुख राज्यों में गुजरात बौनेपन (उम्र की तुलना में कम लंबाई) के मामले में चौथे स्थान पर और कमजोरी (शरीर लगातार कमजोर होते जाना) में दूसरे स्थान पर है। नेक्स्टिअस डॉट कॉम(Nextias.com) की रिपोर्ट के मुताबिक असम, दादर और नगर हवेली, गुजरात, झारखंड, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में ठिगने बच्चों की संख्या राष्ट्रीय औसत 35.5 प्रतिशत से अधिक है। अध्ययन के अनुसार, शहरी आबादी वाले चार प्रमुख जिलों अहमदाबाद, सूरत, वडोदरा और राजकोट में वर्ष 2015-16 से वर्ष 2020-21 तक की अवधि के दौरान कुछ आदिवासी जिलों की तुलना में बच्चों में बौनापन, कमजोरी, गंभीर कुपोषण और कम वजन के मामलों में तेज वृद्धि देखी गई। एनएफएचएस सर्वे के दो दौर के बीच परिवर्तनों का विश्लेषण करके इसकी जाँच की गई।

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