28 जुलाई। आजादी के 75 वर्ष बाद भी झारखंड के चैनपुर प्रखंड के कुमनी गाँव के लोग जहाँ ऐतिहासिक अन्याय के शिकार हैं, वहीं वन विभाग की दोहरी मार सहने को भी मजबूर हो रहे हैं। एक ओर उन्हें दावा फार्म भरने के बावजूद वनाधिकार नहीं मिल पा रहा है, तो दूसरी ओर वन विभाग उन्हें जंगल से भगाने में जुटा है। आलम यह है कि पानी तक की उपलब्धता को लेकर संकट की स्थिति है। कुल मिलाकर वनाधिकार कानून पर अमल नहीं होने से लोगों के सामने ‘क्या खाएं और कहाँ जाएं’, का बड़ा संकट खड़ा हो गया है। कुमनी के इन वन आश्रित किसानों और ग्रामीणों का कहना है कि अभी हम लोगों की दोतरफा मार झेल रहे हैं।
एक तरफ वन विभाग और उनके दलाल हम लोगों को परेशान कर रहे हैं, और दूसरी तरफ पानी नहीं होने के कारण हम लोग परेशान हैं। वन विभाग बार-बार जमीन खाली करने के लिए धमकी दे रहा है। अब हम लोग जाएं, भी तो कहाँ जाएं। सरकार ध्यान नहीं दे रही है। ‘झारखंड मजदूर किसान यूनियन’ के नेता लुकस कोरवा ने बैठक के दौरान सुझाव दिया, कि हमारे पलामू जिला के उपायुक्त काफी संवेदनशील हैं। हमलोग अपनी समस्या के समाधान के लिए उनसे मिलकर अपनी व्यथा से अवगत करा सकते हैं। लुकस कोरवा की बातों पर सहमति जताई। इसी विषय पर विषय गोपाल कोरवा ने यह भी बताया कि चैनपुर प्रखंड के वनाधिकार लाभुक गाँव को भी उपायुक्त से मिलने हेतु जागरूक करेंगे।
(‘सबरंग इंडिया’ से साभार)
Discover more from समता मार्ग
Subscribe to get the latest posts sent to your email.















