स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने में सरकार नाकाम – किसान मोर्चा

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22 मई। 26 मई को किसान आंदोलन के 6 महीने पूरे होने और किसान विरोधी मोदी सरकार के निरंकुश कुशासन के 7 साल पूरे होने पर संयुक्त किसान मोर्चा और अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के फेसबुक पेज से शनिवार को दूसरे दिन भी किसान की बात-2 का फेसबुक लाइव किया गया।

उल्लेखनीय है कि तीन किसान विरोधी कानून रद्द करने, बिजली संशोधन बिल 2020 वापस लेने, सभी कृषि उत्पादों की लागत से डेढ़ गुना दाम पर खरीद की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर 550 किसान संगठनों के संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा दिल्ली के बॉर्डरों पर चल रहे किसान आंदोलन को 26 मई को छह माह पूरे होंगे।

सरकार किसानों की मांगों पर बिलकुल ध्यान नहीं दे रही है इस कारण संयुक्त किसान मोर्चा ने 26 मई को देशव्यापी काला दिवस मनाने का निर्णय लिया है।

फेसबुक लाइव को संबोधित करते हुए पश्चिम बंगाल से अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के वर्किंग ग्रुप के सदस्य अविक साहा ने कहा कि मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में सबसे पहले किसानों से जमीन छीनने का कानून बनाया था ताकि इंडस्ट्री को सुविधा हो। इसके लिए उन्होंने अध्यादेश लाया। जमीन छीनने के कानून का सभी ने पुरजोर विरोध किया, आखिरकार उसे कानूनी रूप नहीं दिया जा सका। साहा ने कहा कि मोदी सरकार सिर्फ किसान-मजदूर विरोधी नहीं, जनविरोधी भी है। खेती-किसानी के बजट से किसानों के लिए कोई काम नहीं हुए हैं। सरकार सोइल हेल्थ कार्ड योजना भी हर किसान तक नही पंहुचा सकी है। उन्होंने कहा कि 26 मई को देश के सभी जिलों में काला दिवस मनाया जाएगा।

ऑल इंडिया किसान सभा के संयुक्त सचिव केरल के बीजू कृष्णन ने कहा कि लाखों किसान कृषि संकट के कारण आत्महत्या कर रहे हैं। केरल में धान की खेती के लिए पंचायत द्वारा 17 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर सबसिडी दी जाती है। मोदी सरकार किसानों को छह हजार रुपए सालाना देकर ढिंढोरा पीट रही है।

रैयत कृषि कर्मकार संगठन, कर्नाटक के एचवी दिवाकर ने कहा कि मोदी सरकार कृषि कानूनों को रद्द कराने को लेकर आपराधिक चुप्पी साधे हुए है। पांच राज्यों के चुनाव प्रचार और कुंभ मेला से देश में कोरोना बढ़ा है‌ जिसको लेकर देश भर के लोगों में आक्रोश है। मौतों का तांडव जारी है।

अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय सचिव पुरुषोत्तम शर्मा ने कहा कि चार लाख से अधिक गांवों में कोरोना संक्रमण फैल चुका है। गांवों के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टर, दवाई, ऑक्सीजन एवं अन्य मेडिकल सुविधा का अभाव है जिससे गांवों में रहनेवाली अधिकांश आबादी प्रभावित हुई है। सरकार कोरोना से मरनेवाले मरीजों का आंकड़ा छुपा रही है। गांव स्तर पर कोरोना संक्रमण से मौत की सूची जारी कर चार लाख रुपए मुआवजा राशि देने की मांग की जानी चाहिए।

टिकरी बॉर्डर से पंजाब की महिला किसान नेता सुश्री जसवीर कौर ने कहा कि मोदी सरकार सार्वजनिक उपक्रमों को समाप्त करने पर तुली हुई है। किसान एक तरफ कोरोना महामारी से तथा दूसरी तरफ किसान विरोधी कानून वापस कराने के लिए सरकार से निपट रहे हैं। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन में किसान महिलाएं बड़े पैमाने पर शिरकत कर रही हैं तथा हरियाणा की महिलाओं ने हाल ही में हिसार में आंदोलन की अगुआई कर आंदोलन को नई ऊर्जा प्रदान की है।

अखिल भारतीय किसान सभा (अजय भवन) के टी.लेनिन ने कहा कि केन्या से लेकर अमरीका तक कृषि में खुले बाजार की नीति फेल हो चुकी है। जैसे अंग्रेजों ने देश को उपनिवेश बनाया था उसी तरह किसानों को सरकार अम्बानी-अडानी का गुलाम बना रही है। यह कारपोरेट के लिए, कारपोरेट द्वारा चलाई जा रही, कारपोरेट की सरकार है।

ऑल इंडिया किसान मजदूर सभा के ओडिशा से राष्ट्रीय सचिव भालचंद्र सडंगी ने कहा कि लोग ऑक्सीजन नहीं मिलने से जान गंवा रहे हैं। सरकार इलाज का इंतजाम करने की बजाय भय का माहौल बना रही है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में किसान, महिला, युवा, आदिवासी सभी पुरजोर विरोध प्रदर्शन करेंगे।

ग्रामीण किसान मजदूर समिति के अध्यक्ष राजस्थान से रंजीत सिंह राजू ने कहा कि भाजपा सरकार ने 7 साल के कार्यकाल में एक भी संस्थान नहीं बनाया है, जो संस्थान थे उन्हें बेचा है। संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले आज देश भर में सभी किसान संगठन एक मंच पर आकर एमएसपी की मांग कर रहे हैं। कोरोना काल में सरकार पर भरोसा न करते हुए,आपस में भाईचारा बढ़ाते हुए हम किसान आंदोलन की ताकत बढ़ाएंगे।

तेलंगाना राष्ट्र रैयत संघ की राज्य सचिव सुश्री पद्मा ने कहा कि केंद्र सरकार जनविरोधी सरकार है। गांवों में 15 फीसद तथा शहरों में 20 फीसद तक गरीबी बढ़ी है। बुजुर्गों, महिलाओं, दलितों में यह 50 फीसद से अधिक पहुंच चुकी है।

झारखंड से अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के संयोजक महेंद्र पाठक ने कहा कि केंद्र सरकार सीएए-एनआरसी विरोधी आंदोलन की तरह किसान आंदोलन के प्रति भी हठधर्मिता दिखा रही है। झारखंड में संसाधन होने के बावजूद लोग आर्थिक तंगी, भुखमरी से मर रहे हैं। इसकी जिम्मेदार भाजपा सरकार ही है। उन्होंने कहा कि कारपोरेट की नजर झारखंड के प्राकृतिक संसाधनों पर है।

अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा के राष्ट्रीय सचिव छत्तीसगढ़ के तेजराम विद्रोही ने कहा कि किसान आंदोलन कारपोरेट राज के खिलाफ है। जब कोई सामाजिक कार्यकर्ता, नेता पत्रकार, लेखक, कवि सरकार की नीतियों का विरोध करते हैं तब उन्हें यूएपीए के तहत जेल में डाल दिया जाता है। लॉकडाउन की वजह से जब कंपनियां बंद हो गई थीं तब कृषि क्षेत्र ने ही जीडीपी को संभाले रखा था।

फेसबुक लाइव कार्यक्रम का संचालन अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के वर्किंग ग्रुप के सदस्य मध्यप्रदेश के डॉ सुनीलम ने किया। उन्होंने बताया कि पहले दिन फेसबुक लाइव 50,000 से अधिक किसानों ने देखा।

सुनीलम
9425109770 (वाट्सऐप)
8447715810 ( मोबाइल)

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