8 सितंबर। प्रयागराज और बनारस समेत पूर्वी उत्तर प्रदेश में कई जगहों पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने आजमगढ़ के खिरियाबाग किसान आंदोलन में शामिल रहे लोगों के घरों पर छापेमारी की है। मानवाधिकार संगठन पीयूसीएल की उत्तर प्रदेश इकाई ने इस छापेमारी की निंदा की है।
उत्तर प्रदेश में आठ से अधिक जिलों में की गई इस छापेमारी में लोगों के फोन, लैपटॉप, हार्ड डिस्क और कुछ कागज किताबें एनआईए ने जब्त कर लिये।
मंगलवार की इस छापेमारी कार्रवाई को लेकर पीयूसीएल ने एक बयान जारी किया-
प्रयागराज में इस छापेमारी के दौरान एनआईए ने पीयूसीएल की राष्ट्रीय सचिव एवं पीयूसीएल उत्तर प्रदेश की अध्यक्ष एडवोकेट सीमा आजाद के आवास एवं पीयूसीएल यूपी की संयुक्त सचिव एडवोकेट सोनी आजाद के निवास पर भी छापेमारी की। सीमा आजाद “दस्तक” नाम से एक पत्रिका भी निकालती हैं।
पीयूसीएल ने कहा है कि जन प्रतिरोध, असहमतियों, सवालों और नागरिकों की आवाज दबाने के लिए सरकार अर्बन नक्सल का मिथ गढ़कर एनआईए जैसी संस्था का दुरुपयोग तथा नागरिक सवालों और अधिकारों का दमन कर रही है। पीयूसीएल, यूपी इस स्थिति पर पर गम्भीर चिंता व्यक्त करते हुए अपनी आपत्ति दर्ज कराता है।
पीयूसीएल ने मांग की है कि –
1. पीयूसीएल यूपी की अध्यक्ष सीमा आजाद एडवोकेट, संयुक्त सचिव सोनी आजाद एडवोकेट, सीमा आजाद के जीवनसाथी एडवोकेट विश्वविजय एवं भाई मनीष आजाद को तत्काल नजरबंदी हिरासत से रिहा किया जाए। साथ ही सरकार और एनआईए प्रयागराज सहित विभिन्न जिलों में की जा रही कार्रवाई का कारण तथ्यों व साक्ष्यों सहित स्पष्ट करें।
2. एनआईए द्वारा नागरिक अधिकारों व मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के खिलाफ मनमानी कार्रवाई पर पीयूसीएल गम्भीर चिंता व्यक्त करता है। सरकार अपनी अक्षमता को छिपाने के लिए और अपने विरुद्ध पनप रहे जनाक्रोश को दबाने के लिए अर्बन नक्सल का मुहावरा गढ़ रही है, और आम जन की आवाज और मानवाधिकारों को कुचलना चाहती है। इसके लिए एनआईए जैसी सरकारी एजेंसी का दुरुपयोग किया जा रहा है। ऐसी दमनात्मक कार्रवाइयों को रोका जाए।
3. एनआईए द्वारा सन्देह के आधार पर विभिन्न जिलों में की जा उक्त कार्रवाई के दौरान सभी के संवैधानिक विधिक अधिकारों को संरक्षित रखा जाना एवं उनके अधिवक्ताओं को साथ रखा जाना, किसी भी कार्रवाई के पूर्व सुनिश्चित करना चाहिए।
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