— उपेन्द्र शंकर —
25 अगस्त 2023 को, ऑस्ट्रेलिया और फिलीपीन्स के 1750 नौसैनिकों के साथ अमेरिका के 120 नौसैनिकों ने दक्षिणी चीन सागर किनारे के फिलीपीन्स राज्य पलावन के शहर रिजाल में कथित तौर पर दुश्मन ताकतों द्वारा कब्ज़ा किये द्वीप को दुबारा हासिल करने का नकली अभ्यास किया। इससे पहले 5 अगस्त 2023 को इसी सागर में एक चीनी तटरक्षक जहाज ने फिलीपीनी जहाज पर पानी की बौछारें फेंकी। यह दक्षिण चीन सागर के दो प्रतिद्वंद्वी देशों के बीच चल रहे तनाव को दर्शाने वाली घटनाओं में से कुछ हैं।
2016 में संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन के तहत हेग में एक मध्यस्थता न्यायाधिकरण (ट्रिब्यूनल) द्वारा दिये फैसले में, लगभग पूरे दक्षिण चीन सागर पर चीन के दावे को काफी हद तक अमान्य कर दिया, और 200 समुद्री मील (लगभग 370 किमी के बराबर) तक संसाधनों पर फिलीपीन्स के नियंत्रण को बरकरार रखा। चीन ने मध्यस्थता में भाग लेने से इनकार कर दिया और समुद्र के अधिकांश हिस्से पर अपना दावा बरकरार रखते हुए फैसले की अवहेलना जारी रखी है।
इन दोनों के अलावा भी, इस समुद्र की सीमा से लगे अन्य देश- ताइवान, मलेशिया और वियतनाम, ब्रुनेई, इन द्वीपों और उनके आसपास के समुद्र पर स्वामित्व का दावा करते रहे हैं क्योंकि इस समुद्र में अथाह संसाधन दबे हैं, जिन पर आधुनिक विकास टिका है, और सबकी नीयत उन संसाधनों पर कब्जा जमाने की है। साथ ही उत्तर पूर्व में, दक्षिण चीन सागर दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण व्यापार मार्गों में से एक है। इसलिए यह रणनीतिक और राजनीतिक महत्व रखता है।
दक्षिण चीन सागर हाइड्रोकार्बन, विशेष रूप से प्राकृतिक गैस का बड़ा एक संभावित स्रोत है जो कि दक्षिण-पश्चिम में सिंगापुर और मलक्का जलडमरूमध्य से लेकर ताइवान जलडमरूमध्य तक फैला हुआ है। इस क्षेत्र में कई सौ छोटे द्वीप, और चट्टानें शामिल हैं, इनमें से कई द्वीप आंशिक रूप से जलमग्न हैं, और कई इतने छोटे हैं कि उन पर बसाहट मुमकिन नहीं है।
दक्षिण चीन सागर में तेल और गैस के भंडार प्रचुर मात्रा में मिले हैं। अमेरिकी सरकार का अनुमान है कि इसके तल से 11अरब बैरल तेल और 190 ट्रिलियन क्यूबिक फीट प्राकृतिक गैस निकालने के लिए तैयार है।
वाशिंगटन स्थित एशिया मैरीटाइम ट्रांसपेरेंसी इनिशिएटिव ने बताया कि कई देश इन विवादित जल क्षेत्रों में नई तेल और गैस विकास परियोजनाओं को आगे बढ़ा रहे हैं। संगठन का कहना है कि इन परियोजनाओं के कारण यह क्षेत्र “विवादों का फ्लैशप्वाइंट” बन सकता है। 2018 और 2021 के बीच चीन, वियतनाम और अन्य दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के बीच वहां ड्रिलिंग कार्यों को लेकर कई गतिरोध हुए, और आशंकाएं बन रही हैं कि आगे और भी गंभीर टकराव हो सकते हैं।
क्षेत्र में चीन और अमेरिका द्वारा समर्थित कई देशों के बीच विनाशकारी सैन्य संघर्ष का खतरा भी मॅंडरा रहा है, दक्षिण चीन सागर में उसके संसाधनों की पहले ही अपूरणीय हानि हो चुकी है। उदाहरण के लिए, दशकों तक हुए अत्यधिक दोहन का उस समुद्र में कभी फलने-फूलने वाली मछलियों पर विनाशकारी प्रभाव पड़ा है। ट्यूना, मैकेरल और शार्क की आबादी 1960 के दशक के स्तर से 50 फीसद तक गिर गई है। समुद्र के बढ़ते तापमान से बचने के लिए संघर्ष कर रहीं जैविक रूप से महत्वपूर्ण मूंगा चट्टानें भी रेत और गाद के नीचे दबी जा रही हैं क्योंकि चीनी सेना विवादित स्प्रैटली द्वीप समूह पर दावा करती रही है और उस पर निर्माण कार्य कर रही है।
अपने विशाल आकार यानी 13 लाख वर्ग मील के बावजूद, दक्षिण चीन सागर चीन और अमेरिका द्वारा समर्थन प्राप्त देशों के बीच राजनीतिक तनाव का जल क्षेत्र बन गया है। जहां प्रचुर प्राकृतिक संसाधनों पर कब्जे के लिए हो रहा संघर्ष एक दिन समुद्रीय पर्यावरणीय पतन का कारण बन सकता है।
(स्रोत–डिप्लोमेट,अल ज़ज़ीरा, कॉमन ड्रीम्स, इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर लॉ एंड सी स्टडीज)
Discover more from समता मार्ग
Subscribe to get the latest posts sent to your email.

















