चौथे दिन भी हुआ ‘किसान की बात’ का फेसबुक लाइव

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23 मई। 26 मई को किसान आंदोलन के छह माह पूरे होने पर संयुक्त किसान मोर्चा की अपील पर काला दिवस मनाया जाएगा। संयुक्त किसान मोर्चा देश के हर किसान तक किसानों के मुद्दों को पंहुचाने के लिए 21 मई से 26 मई तक फेसबुक लाइव कर रहा है।

फेसबुक लाइव के चौथे दिन अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के वर्किंग ग्रुप के वरिष्ठतम सदस्य एवं अखिल भारतीय किसान सभा के महामंत्री हन्नान मोल्ला ने कहा कि सरकार की किसान विरोधी नीतियों के कारण लगभग पचास किसान प्रतिदिन आत्महत्या कर रहे हैं। सरकार किसानों की मांगों को टालती ही जा रही है। 22 जनवरी के बाद सरकार ने किसानों से चर्चा बंद कर दी है। 475 से अधिक किसान शहीद हो गए लेकिन सरकार ने कोई मानवीयता नहीं दिखाई है। श्रमिकों ने लंबी लड़ाई लड़ने के बाद 44 श्रम कानून हासिल किए थे उन्हें भी मोदी सरकार ने खत्म कर दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार साम्राज्यवाद की दलाली कर रही है।

अखिल भारतीय किसान खेत मजदूर संगठन के महामंत्री शंकर घोष ने कहा कि बॉर्डर पर जो भी किसान पहुंचा है वह कहता है कि हमने संघर्ष में अपने 475 किसानों को खोया है इसलिए अब हम संघर्ष और तेज करेंगे, लड़ेंगे और जीतकर ही लौटेंगे। उन्होंने कहा कि इतना दृढ़ संकल्प जब किसी आंदोलन का हो तो उसे कोई पीछे नहीं हटा सकता। आज 73 फीसद पूंजी 1 फीसद लोगों के हाथ में केंद्रित हो गई है।

लखनऊ से एनएपीएम के नेता मैग्सेसे पुरस्कार से विभूषित संदीप पांडेय ने कहा कि छह माह के किसान आंदोलन के चलते प्रधानमंत्री, अडानी, अंबानी और गोदी मीडिया के खिलाफ जन आक्रोश बढ़ा है। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों को उपज का डेढ़ गुना दाम देने से पीछे हट रही है, जबकि टीका कंपनी को मनमाना मुनाफा कमाने का मौका दे रही है। इससे स्पष्ट नजर आता है कि पहले पूंजीपतियों को पैसा कमाने की खुली छूट दो, बदले में पैसा वापस लो। मोदी का यही गुजरात मॉडल है।

बिहार किसान सभा के अशोक प्रसाद सिंह ने कहा कि पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों ने सीना गर्व से ऊंचा कर दिया है। ब्रिटिश गुलामी के समय भी किसानों का इतना सम्मान और ताकत थी कि किसान अपनी बात मनवा सकते थे। अंग्रेज 1937 में जमींदारों के पक्ष में विधानसभा में बिल लाये, उसे सहजानंद सरस्वती के नेतृत्व में वापस कराया गया था।लेकिन स्वतंत्र भारत में छह माह में 475 से अधिक किसानों की शहादत के बाद भी सरकार कानून रद्द नहीं करने पर अड़ी हुई है। उन्होंने कहा कि कृषि बीमा सरकारी हाथों में था उसे निजी हाथों में सौंप दिया गया, जिसके चलते किसानों को लाभ नहीं मिलता है बल्कि अरबों रुपए का प्रीमियम कारपोरेट के खजाने में जाता है।

हरियाणा से जय किसान आंदोलन के उपाध्यक्ष रमज़ान चौधरी ने कहा कि देश कई विपरीत परिस्थितियों से गुजर रहा है लेकिन यह सरकार विपदा से निपटने की बजाय साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण बढ़ाने में ध्यान लगा रही है। उन्होंने कहा कि अब यह सिर्फ किसान आंदोलन नहीं रहा, यह देश और संविधान को बचानेवाला जन आंदोलन बन गया है। उन्होंने बताया कि मेवात में 9 माह पहले पीएम केयर्स फंड से 70 वेंटिलेटर खरीदे गए थे लेकिन एक भी उपयोग में नहीं आ रहा।

मणिपुर से लउमी लुप के महासचिव एमएल इबोबी सिंंह ने कहा कि मणिपुर में 70 से 80 फीसद लोग किसानी पर आश्रित हैं, कोरोना काल तथा कृषि की समस्या से निपटते हुए किसान आंदोलन को आगे बढ़ाते जा रहे हैं। हाइड्रो पॉवर प्लांट का एरिया फैलता जा रहा है। डूब की जमीन बढ़ती जा रही है।

झारखंड से अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा के अध्यक्ष वशिष्ठ तिवारी ने कहा कि किसान आंदोलन, आंदोलन की पाठशाला की तरह चल रहा है। तमाम आरोपों के बावजूद आंदोलन अपनी जगह अडिग है। मोदी सरकार षड्यंत्रपूर्वक लोगों का ध्यान भटकाने का भरपूर प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि देश में इतनी मौतों के बाद मोदी को नैतिकता के आधार पर गद्दी छोड़ देना चाहिए।

अखिल भारतीय किसान सभा (अजय भवन ) के राष्ट्रीय सचिव नामदेव गावड़े ने कहा कि किसान आंदोलन नया इतिहास गढ़ रहा है। आनेवाले समय में उत्तराखंड तथा उत्तर प्रदेश के चुनाव में भाजपा के खिलाफ प्रचार करना जरूरी हो गया है। उन्होंने कहा कि अब बीजेपी में भी मोदी के खिलाफ आवाज उठने लगी है।

अखिल भारतीय किसान महासभा तमिलनाडु के ए सिमसन ने कहा कि आंबेडकर, नेहरू ने जो संवैधानिक लोकतंत्र कायम किया था भाजपा उसे मानती नहीं है। वे देश में अमरीका की तरह राष्ट्रपति प्रणाली से शासन चला रहे हैैं। ये लोग भगतसिंह और सुभाष बोस को भी नहीं मानते। ये गोलवलकर और सावरकर के साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण के रास्ते पर चलते हैं।

राजस्थान से अखिल भारतीय किसान महासभा के फूलचंद जी ने कहा कि भाजपा ने सत्ता में आने के बाद सांप्रदायिक फासीवाद लागू किया। सबसे पहले मीडिया पर कब्जा किया फिर देश के प्रमुख संस्थानों में अपने लोगों को बैठाया। बीएसएनल को खत्म करके जिओ को लाकर निजीकरण की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन किसानों, मजदूरों, युवाओं के अस्तित्व का आंदोलन है। उन्होंने कहा राजस्थान के गांव-गांव में पुतला दहन कर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।

असम से अखिल भारतीय किसान महासभा के बलिंद्र सैकिया ने कहा कि 26 मई को पूर्वोत्तर के गांव-गांव में विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। सरकार कोविड प्रोटोकाल की आड़ में आंदोलन को दबाने का प्रयास कर रही है। बाजार नहीं खुलने से किसानों की सब्जी, फल दूध खराब हो रहे हैैं। असम में जमीन का टैक्स बढ़ा दिया गया है। माइक्रो फाइनेंस के नाम पर आम नागरिकों का शोषण हो रहा है।

कार्यक्रम का संचालन अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के वर्किंग ग्रुप के सदस्य, किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष पूर्व विधायक डॉ सुनीलम ने किया। उन्होंने बताया कि कल फेसबुक लाइव को 75,000 से अधिक किसानों ने देखा तथा 650 शेयर हुए। यह फेसबुक लाइव अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति एवं किसान एकता मोर्चा के पेज पर देखा जा सकता है।
डॉ सुनीलम
9425109770(व्हाट्सएप)
8447715810 ( मोबाइल)

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