— सुशील —
वर्ष 1978-79 में पश्चिम उड़ीसा में गंदमार्दन बचाओ आन्दोलन हुआ था. इस आन्दोलन का नेतृत्व युवाओं के हाथ में था. इनमें कालाहांडी के निरंजन विद्रोही, भक्त चरण दास और सम्बलपुर के सिद्धेश्वर प्रमुख थे. उस आन्दोलन की सफलता के बाद इस आन्दोलन का सारा युवा नेतृत्व छात्र युवा संघर्ष वाहिनी में शामिल हो गया. निरंजन और भक्त चरण दास के नेतृत्व में पूरे उड़ीसा राज्य में वाहिनी की सशक्त इकायां खड़ी हो गयीं. निरंजन विद्रोही वर्षों तक वाहिनी के पूर्णकालिक सदस्य के रूप मे़ कार्यरत रहे.
भक्तचरण दास के चुनावी राजनीति में जाने के बाद वाहिनी की पूरी जिम्मेदारी निरंजन शिद्दत से निभाते रहे. वो छात्र युवा संघर्ष वाहिनी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के वर्षों तक सदस्य रहे. उड़ीसा के अलावा निरंजन महाराष्ट्र के शिरपुर-शिंदखेड़ा के संघर्ष, बोध गया भूमि संघर्ष, इलाहाबाद के सघन क्षेत्र के आनदोलनों के अतिरिक्त देश के विभिन्न आन्दोलनों में सक्रिय भूमिका निभाते रहे थे.
निरंजन विद्रोही जैसे साथी का असमय गुजर जाना सामाजिक संघर्ष की अपूरणीय क्षति है.
उन्हें किसी बरसाती कीड़े के काटने से उच्च ताप हो रहा था. स्थानीय इलाज से ठीक नहीं होने पर उनका दाखिला विशाखापट्टनम के बड़े अस्पताल में कराया गया. लेकिन मल्टी औरगन फेलियर के कारण उन्हें बचाया नहीं जा सका. 24 सितम्बर को अपराह्न में उन्होंने अंतिम सांस ली. साथी निरंजन विद्रोही को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि.
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