एसकेएम ने बिजली निजीकरण के खिलाफ और प्रीपेड स्मार्ट मीटर बहिष्कार करना का ओडिशा के किसानों के संघर्ष को दिया समर्थन।
- बरगढ़ के पदमपुर में 15000 से अधिक स्मार्ट मीटर उखाड़कर टाटा पावर कार्यालय में फेंके गए
- एसकेएम ने ओडिशा के मुख्यमंत्री से बदले की कार्यवाही से दूर रहने का किया आग्रह और पीएम मोदी से वादा निभाने और चर्चा शुरू करने की मांग की
- बिजली के नीजीकरण के खिलाफ 26 नवंबर 2024 को देश के सभी जिलों में संयुक्त मजदूर-किसान विरोध प्रदर्शन में शामिल होने का आह्वान
नई दिल्ली। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने पश्चिमी ओडिशा के बरगढ़ जिले के किसानों के बिजली वितरण के निजीकरण के खिलाफ और प्रीपेड स्मार्ट मीटर के बहिष्कार के उनके बड़े संघर्ष में अपना पूर्ण समर्थन दिया है। इन स्मार्ट मीटरों को उखाड़कर टाटा पावर को सौंप दिया गया है। मोदी सरकार द्वारा 9.12.2020 को एसकेएम के साथ बिजली निजीकरण विधेयक को लागू करने से पहले चर्चा करने के लिए किए गए समझौता किया गया था। इसके खिलाफ जाकर टाटा द्वारा प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाया जा रहा है। एसकेएम ने खेती में लगे परिवारों को प्रति माह 300 यूनिट मुफ्त बिजली देने की मांग की है।
पश्चिमी ओडिशा के बरगढ़ जिले में 15,000 से ज़्यादा किसानों ने स्मार्ट मीटर लगाने के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया है और स्वेच्छा से अपने घरों और खेतों में लगे स्मार्ट मीटर को उखाड़कर पद्मपुर और दूसरे ब्लॉक में टाटा पावर के दफ़्तर के सामने रख दिया है। बरगढ़ और पश्चिमी ओडिशा के आस-पास के ज़िलों में स्मार्ट मीटर का बहिष्कार एक व्यापक आंदोलन बन गया है।
एसकेएम ने मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी के नेतृत्व वाली ओडिशा की भाजपा सरकार द्वारा बिजली क्षेत्र के निजीकरण के खिलाफ किसानों के शांतिपूर्ण आंदोलन के दमन की कड़ी निंदा की है। ओडिशा में पहली बार सत्ता में आई भाजपा ने इस आंदोलन के प्रति दमनकारी रवैया अपनाया है। किसान नेता रमेश महापात्रा को एक नोटिस जारी किया गया है, जिसमें उन्हें ‘आदतन अपराधी’ कहा गया है। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि पुलिस द्वारा उनके खिलाफ एफआईआर किसानों द्वारा स्वेच्छा से स्मार्ट मीटर का बहिष्कार करने के मामलों में दर्ज की गई हैं। इस नोटिस को रद्द करने के लिए कटक उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई है। अदालत ने ओडिशा सरकार को नोटिस जारी किया है। बरगढ़ जिला बार एसोसिएशन और कटक हाईकोर्ट बार एसोसिएशन किसान आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं। एसकेएम ने मुख्यमंत्री से किसान नेता रमेश महापात्रा और अन्य कार्यकर्ताओं के खिलाफ दर्ज सभी झूठे मामलों को तुरंत वापस लेने और अपने जायज मुद्दों के लिए आंदोलन कर रहे किसानों के साथ बातचीत शुरू करने की मांग की।
एसकेएम ने कहा है कि बिजली का निजीकरण अब किसानों और आम जनता के शोषण का एक और हथियार बन गया है। जिन क्षेत्रों में न्यूनतम समर्थन मूल्य, फसल बीमा और सिंचाई के मुद्दों पर किसानों का लंबे समय से व्यापक आंदोलन चल रहा था, उन क्षेत्रों में प्रभावशाली तरीके से बिजली के नाम पर लूट के खिलाफ और प्रीपेड स्मार्ट मीटर के बहिष्कार के लिए संगठित रूप से व्यापक और अहिंसक प्रतिरोध आंदोलन चल रहा है। इस तरह के संघर्ष अब पूरे देश में फैल गए हैं। एसकेएम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग की है कि वे 9 दिसंबर 2020 को दिल्ली की सीमाओं पर ऐतिहासिक किसान संघर्ष के मद्देनजर बिजली निजीकरण के बिल पर एसकेएम के साथ चर्चा करने के अपने सरकार के वादे को पूरा करें। पीएम को शांतिपूर्ण संघर्षों को दबाने के बजाय आंदोलनकारी किसानों के साथ तुरंत चर्चा शुरू करनी चाहिए।
8 नवंबर 2024 को पश्चिम ओडिशा के पदमपुर में ‘संयुक्त कृषक संगठन’ द्वारा ‘कृषक गर्जन समावेश’ का आयोजन किया गया था। एसकेएम का प्रतिनिधित्व करते हुए पी कृष्णप्रसाद, अफलातून और राजेंद्र चौधरी इस सार्वजनिक बैठक में शामिल हुए।
संयुक्त किसान मोर्चा ने बिजली के निजीकरण के खिलाफ संघर्ष कर रहे किसानों से अपील की है कि वे 26 नवंबर 2024 को एसकेएम और जेपीसीटीयू द्वारा आहूत संयुक्त मजदूर-किसान विरोध प्रदर्शन में पूरे देश के सभी जिलों में शामिल हों।