इस सरकार ने अपनी सत्ता हमेशा लोगों को भ्रम में रखकर कायम रखी है। रोग होता है कुछ और, बताया जाता है कुछ और। बंगालियों को बंग-भंग के संबंध में शिकायत थी। इस कारण उन्होंने बम फेंका। सरकार ने बमबारी को ही बीमारी बताकर असली रोग को छिपाने का प्रयत्न किया । उसने बमबारी को रोकने के बहाने बेगुनाह लोगों को तंग करने और जनता को पौरुषहीन बनाने की योजना तैयार की।
यहीरौलट कानून के बारे में समझिए। इस रोग की चिकित्सा करने जाकर पंजाब सन्निपातग्रस्त हो गया। इस सन्निपात के शमन के लिए हत्याकांड रचा गया और मूल रोग को छिपाने का प्रयत्न किया गया ।
अब खिलाफत, पंजाब और स्वराज्य के प्रश्नों के त्रिविध ताप से भारत दुःखी होकर संतप्त हो उठा है। अन्तरज्वाला के ताप से कभी-कभी वह पागलपन भी कर बैठता है। सरकार इस पागलपन को मूल रोग कह कर दमन चक्र चलाती है। इस प्रकार मूल रोग को भूलाना, उसके परिणामों को रोक बताना और उनके निवारण के लिए दमन-नीति का आश्रय लेना सरकार का एक नियम सा बन गया है।
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