6 जून। देशभर में किसानों के संपूर्ण क्रांति दिवस मनाने की खबरें और तस्वीरें अधिकांश मीडिया में भले न आई हों, पर यह सच है कि किसान आंदोलन दो-तीन राज्यों में सीमित नहीं रहा, इसका असर और समर्थन पूरे देश में है। इससेे पहले 26 मई को जब किसानों ने काला दिवस मनाया था तब भी यह बात साबित हुई थी। काला दिवस मनाने में भाजपा-आरएसएस के मजदूर संघ को छोड़कर सभी केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने भी हिस्सा लिया था।
काला दिवस मनाने के लिए 26 मई की तारीख चुनी गई, जिस दिन किसान आंदोलन के छह माह और मोदी सरकार के सात साल पूरे हुए। इसी तरह संपूर्ण क्रांति दिवस के लिए 1974 में 5 जून को जेपी द्वारा संपूर्ण क्रांति का आह्वान के अलावा एक संयोग यह भी था कि साल भर पहले 5 जून को ही मोदी सरकार ने किसान विरोधी कानूनों का अध्यादेश जारी किया था।
बहरहाल, संपूर्ण क्रांति दिवस पर जहां बाकी देश में किसान और किसान आंदोलन के समर्थक किसान विरोधी कानूनों की प्रतियां जला रहे थे वहीं हरियाणा के टोहाना में वहां के जेजेपी विधायक बबली की बदसलूकी पर विरोध जता रहे किसानों में तीन की गिरफ्तारी की मुखालफत का भी मोर्चा खुल गया था और राकेश टिकैत, गुरनाम सिंह चढूनी, योगेन्द्र यादव समेत अनेक प्रमुख किसान नेता वहां किसानों के धरने में शामिल होने के लिए पहुंच गए।
धरना फिलहाल जारी है। विधायक ने माफी मांगने की पेशकश की है, पर संयुक्त किसान मोर्चा की मांग है कि जेल भेजे गए किसानों को रिहा किया जाए और उनके खिलाफ दर्ज मामले वापस लिए जाएं। इस पर प्रशासन और किसान मोर्चा के बीच गतिरोध फिलहाल बना हुआ है। यहां पेश हैं संपूर्ण क्रांति दिवस की कुछ और झलकियां।
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