— शीतल पी सिंह —
जलवायु योद्धा की वैश्विक पहचान उभर कर सामने आ गई। लद्दाख के ऊँचे हिमालयी दर्रों में, जहाँ ग्लेशियर पिघलते मौसम की मार झेल रहे हैं, एक इंजीनियर-शिक्षक ने प्रकृति के साथ जूझते हुए मानवता को नई उम्मीद दी है, इसे दुनियां ने recognise किया है। सोनम वांगचुक, जिनकी कहानी से बॉलीवुड फिल्म ‘3 इडियट्स’ के फुंसुक वांगड़ू प्रेरित हैं, ने कृत्रिम हिम-स्तूप (आइस स्टूपा) जैसी क्रांतिकारी तकनीक विकसित की। ये विशालकाय बर्फ के गोले गर्मियों में लाखों लीटर पानी मुहैया कराते हैं, जो जलवायु परिवर्तन से त्रस्त किसानों की फसलों को बचाते हैं। 2017 तक उनके स्टूप 32 लाख गैलन पानी संग्रहित करने लगे, और ये तकनीक चिली, पाकिस्तान, नेपाल तक फैल गई।
लद्दाख के परित्यक्त गाँव कुलुम में जलवायु शरणार्थी उनके प्रयासों से लौटे। लेकिन आज, जब टाइम मैगजीन ने उन्हें 2025 के ‘100 सबसे प्रभावशाली जलवायु नेता’ में शामिल किया, तो यह सम्मान उनकी गिरफ्तारी की विडंबना को उजागर करता है।टाइम की इस सूची में सोनम को ‘डिफेंडर्स’ श्रेणी में स्थान मिला, जहाँ उन्हें पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास के लिए सराहा गया। मैगजीन लिखती है, “वांगचुक ने प्राचीन सांस्कृतिक परंपराओं को आधुनिक विज्ञान से जोड़ा है।”
उनके आइस स्टूप माइनस 20 डिग्री में बर्फ के कणों को शंकु आकार में जमाते हैं, जो मई-जून की सूखे वाली अवधि में 2.64 लाख गैलन पानी देते हैं। यह न केवल लद्दाख के लिए, बल्कि वैश्विक जल संकट के लिए एक मॉडल है। लेकिन यह सम्मान तब आया जब सोनम जोधपुर की सेंट्रल जेल में एनएसए (राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम) के तहत कैद हैं।
सोनम की गिरफ्तारी 26 सितंबर 2025 को हुई, जब लद्दाख में statehood और संविधान की छठी अनुसूची की मांग को लेकर शांतिपूर्ण विरोध हिंसक हो गया। लेह में प्रदर्शनकारियों पर पुलिस फायरिंग में चार लोग मारे गए, 60 से ज्यादा घायल हुए। केंद्र सरकार ने सोनम को उकसावे का दोषी ठहराया, दावा किया कि उन्होंने ‘अरब स्प्रिंग’ और ‘जेन जेड क्रांति’ जैसे संदर्भों से भीड़ भड़काई। गृह मंत्रालय ने कहा, “वांगचुक ने स्व-दाह की धमकी दी और सरकार उखाड़ फेंकने की बात की।” उनकी एनजीओ एसईसीएमओएल का एफसीआरए लाइसेंस रद्द कर दिया गया, और पाकिस्तान यात्रा को ‘विदेशी साजिश’ बताया गया। सोनम ने इन आरोपों को खारिज किया, कहा कि वीडियो संदर्भ से हटाकर पेश किए गए हैं। उनकी पत्नी गीतांजली अंगमो ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, जो अब केंद्र को नोटिस जारी कर चुकी है।
सोनम की पत्नी गीतांजली, जो हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव लर्निंग की सह-संस्थापक हैं, ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर अपनी पीड़ा बयां की। उन्होंने लिखा, “जब हमारी सरकार @Wangchuk66 को एंटी-नेशनल और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताकर एनएसए के तहत जेल में डाल रही है, तब #TimeMagazine उन्हें 2025 #TIME100Climate सूची में ‘व्यापार को वास्तविक जलवायु कार्रवाई की ओर ले जाने वाले दुनिया के सबसे प्रभावशाली नेताओं’ के रूप में मना रही है!” गीतांजली ने आरोपों को ‘फ्लिम्सी, चाइल्डिश और बेसलेस’ कहा, जो लद्दाख की शांतिपूर्ण मांगों को दबाने की कोशिश हैं। उन्होंने कहा, “एनएसए आतंकवादियों के लिए है, न कि पर्यावरण कार्यकर्ताओं के लिए। यह आवाज दबाने की साजिश है।”इस घटना पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएँ तीखी रही हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स ने इसे ‘मोदी सरकार का असंतोष दमन का पैटर्न’ बताया, जहाँ एनएसए का दुरुपयोग हो रहा है। अल जज़ीरा ने शीर्षक दिया, “भारतीय हीरो से ‘गद्दार’ कैसे बने सोनम वांगचुक?” – उनकी गिरफ्तारी को लोकतंत्र पर हमला करार दिया। द गार्जियन ने लिखा, “मोदी के तहत असहमति का दमन, जहाँ शांतिपूर्ण आंदोलन को हिंसा का ठीकरा फोड़ा जा रहा।” विपक्षी दलों ने इसे ‘तानाशाही की चरम सीमा’ कहा। कांग्रेस के जयराम रमेश ने कहा, “यह भाजपा की विफलता को छिपाने की कोशिश है।” आरजेडी के मनोज झा ने ‘ओरवेलियन स्टेट’ का तमगा दिया।
नागरिक अधिकार समूहों ने इसे ‘मनमाना हिरासत’ बताते हुए न्यायिक जांच की मांग की।सोनम की कहानी जलवायु न्याय की लड़ाई का प्रतीक है। जहाँ दुनिया उन्हें ‘टाइटन्स’ मान रही, वहीं घर में उन्हें ‘खतरा’ कहा जा रहा। लद्दाख जैसे संवेदनशील क्षेत्र में पर्यावरण और स्वायत्तता की मांगें दबी न हों, इसके लिए वैश्विक समुदाय को आवाज उठानी होगी। सोनम की रिहाई न केवल लद्दाख के लिए, बल्कि भारत के लोकतंत्र के लिए जरूरी है। उनकी तरह के योद्धा ही हिमालय को बचा सकते हैं – बशर्ते आवाज दबाई न जाय।
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