22 जून। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा रविवार दिनांक 20 जून 2021 को उच्च शिक्षण संस्थानों को एक फरमान जारी किया जाता है, जिसमें 18 वर्ष से अधिक आयु के नागरिकों को मुफ्त टीकाकरण के प्रावधान करवाने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को धन्यवाद देने के आदेश दिये जाते हैं। इन निर्देशों के अनुसार बाकायदा बैनर का प्रयोग करने को कहा गया है औऱ प्रचारित करने के लिए सोशल मीडिया के इस्तेमाल की हिदायत दी गई है तथा सोमवार को सभी उच्च शिक्षण संस्थानों से इस कार्यक्रम की रिपोर्ट माँगी गई।
यूथ फॉर स्वराज विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के इन निर्देशों की घोर निंदा करता है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग व उच्च शिक्षण संस्थानों का आधार शोध और शिक्षा आधारित है ना कि किसी सरकार के राजनीतिक प्रचार का हिस्सा बनना।
यूथ फॉर स्वराज के महासचिव अमित कुमार ने कहा “छात्र जब लगातार फ्री वैक्सीन और कैंपस खोलने की माँग करते रहे तब केंद्र सरकार ने संज्ञान लेना तक उचित नहीं समझा और आज सरकार विश्वविद्यालय अनुदान आयोग व विश्वविद्यालयों का अपने राजनीतिक प्रचार के लिए उपयोग कर रही है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को भी अपना ध्यान सत्तारूढ़ पार्टी के राजनीतिक नफा-नुकसान के बजाय महामारी के कारण आम छात्रों को हो रही परेशानी पर लगाना चाहिए।”
यूथ फॉर स्वराज के ऑफिसिएटिंग प्रेसिडेंट सुनील कुमार ने कहा “केन्द्र सरकार और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग का ध्यान अपने प्रचार-प्रसार के स्थान पर विश्वविद्यालयों और अन्य शिक्षण संस्थानों की समस्याओं पर होना चाहिए। हम सब जानते हैं कि किस प्रकार बजट घटाये जाने से अधिकतर शिक्षण संस्थान आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं। सरकार उच्च शिक्षण संस्थानों को अपनी राजनीति का अखाड़ा बनाने के स्थान पर उन्हें वित्तीय संकट से उबारने का प्रयास करे। इसके अतिरिक्त देशभर के उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों और कर्मचारियों के बहुत सारे पद खाली पड़े हैं, सरकार इन पदों पर भर्ती करने का प्रयास करे।”
यूथ फॉर स्वराज विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और उच्च शिक्षण संस्थानों की स्वायत्तता को लेकर प्रतिबद्ध है तथा इसको खत्म करने के किसी भी प्रयास के विरोध में हरसंभव संघर्ष करेगा।
समता मार्ग ने डा. राममनोहर लोहिया और श्री ओमप्रकाश दीपक के चित्र आमने – सामने प्रस्तुत करके बहुत जरूरी स्पष्टता का योगदान किया है. मैंने आपके नाम अपने अनुरोध में एक दिन पहले इस जरूरत का संकेत किया था. लेकिन यह अनुमान नहीं लगाया था कि समता मार्ग द्वारा इतनी जल्दी सचित्र स्पष्टीकरण प्रस्तुत कर दिया जाएगा. इससे डा. लोहिया और दीपक जी को जानने-मानने वालों को बहुत राहत मिलेगी क्योंकि यह भूल कई बार होती आई है. क्या यह संभव होगा कि दीपक जी द्वारा लोहिया के देहांत पर लिखी मार्मिक कविता, गांधी-नेहरु-लोहिया पर बहुचर्चित तुलनात्मक लेख और लोहिया की रोमांचक जीवन-यात्रा के बारे में लिखी ‘असमाप्त जीवनी’ को भी कभी समता मार्ग के जरिये फिर से प्रकाश में लाया जाय? बहुत धन्यवाद!
आनंद कुमार