देश भर से उठी खेती बचाओ लोकतंत्र बचाओ की आवाज

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26 जून। संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर देश के विभिन्न राज्यों में शनिवार को विरोध प्रदर्शन ‌किए गये। घोषित कार्यक्रम के मुताबिक राज्यों की राजधानियों में राजभवन पहुंचकर राज्यपाल को किसानों का मांगपत्र और राष्ट्रपति के नाम रोषपत्र देना था। जिलों में जिलों में आला अधिकारियों को मांगपत्र और रोषपत्र सौंपना था।

लेकिन जो खबरें आती रहीं उनके मुताबिक किसानों के इस कार्यक्रम में प्रशासन की तरफ से बहुत सारी जगहों पर बाधा डाली गई। प्रशासन ने अव्वल तो यही कोशिश की कि प्रदर्शनकारी इकट्ठा ही न हो पाएं। कई जुलूस निकालने से पहले ही प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया गया। लेकिन दमनात्मक कार्रवाइयों के बावजूद देशभर में खेती बचाओ लोकतंत्र बचाओ दिवस जोर-शोर से मनाया गया। पंजाब और हरियाणा में जगह-जगह किसानों ने जुलूस निकाले और सभाएं कीं और मोदी सरकार के खिलाफ नारे लगाए। पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ट्रैक्टर मार्च भी निकाले गए।

भोपाल में राजभवन पर किसानों के प्रदर्शन से एक घंटा पहले ही नीलम पार्क पर किसान संघर्ष समिति के छिंदवाड़ा जिला अध्यक्ष और वरिष्ठ नेता सतीश जैन को पुलिस ने हिरासत में लिया। उनके फोन भी छीन लिये। मेधा पाटकर और सुनीलम को गांधी भवन में नजरबंद कर दिया। ग्वालियर, बड़वानी, छिंदवाड़ा के किसान नेताओं को भी पुलिस हिरासत में लेकर वहीं ले गरी थी। ग्वालियर के आनद संखवार का फोन भी पुलिस ने गांधी भवन में छीन लिया। इसी तरह की खबरें कई और राज्यों से भी आती रहीं और दिनभर य। चर्चा का विषय रहा कि क्या 46 वर्ष बाद आपातकाल दोहराया जा रहा है। संयुक्त किसान मोर्चा ने दमनात्मक कार्रवाइयों की निंदा की है और यह सवाल उठाया है कि क्या राष्ट्रपति तक अपनी बात पहुंचाने का अधिकार मोदी राज में नहीं है?

संयुक्त किसान मोर्चा के ‘खेती बचाओ – लोकतंत्र बचाओ आह्वान के तहत इंदौर के कमिश्नर कार्यालय पर विभिन्न किसान संगठनों और श्रम संगठनों के कार्यकर्ताओं ने प्रभावी प्रदर्शन कर तीनों किसान विरोधी कानूनों को वापस लेने , नयी श्रम संहिता रद्द करने और महंगाई पर रोक लगाने की मांग की।

कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए अखिल भारतीय किसान सभा, किसान खेत मजदूर संगठन, किसान संघर्ष समिति, एटक, इंटक, सीटू, एच एम एस, आदिवासी संगठन, श्रम संगठनों की संयुक्त अभियान समिति, और संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े अन्य संगठनों के कार्यकर्ता 12:00 बजे से ही कमिश्नर कार्यालय पर एकत्रित हो गए थे। कमिश्नर कार्यालय पर सभा को श्याम सुंदर यादव, कैलाश लिंबोदिया, अरुण चौहान, प्रमोद नामदेव, रुद्रपाल यादव, सी एल सेरावत, रामस्वरूप मंत्री, लक्षमीनारायण पाठक सहित कई वक्ताओं ने संबोधित करते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी और शिवराज सिंह चौहान की सरकार मजदूरों ,किसानों पर लगातार कुठाराघात कर रही है। इस सरकार के चलते किसान और मजदूर सहित हर वर्ग परेशान है और आज संघर्ष के मैदान में हैं, लेकिन सरकार लोकतांत्रिक मूल्यों का हनन करते हुए आंदोलनकारियों से बातचीत करने तक को तैयार नहीं है। इसी के चलते आज पूरे देश में किसान और श्रमिक संगठन मिलकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी मांगपत्र देना चाहते थे लेकिन कोई अधिकारी मौजूद न होने से मांगपत्र संभागायुक्त कार्यालय पर चिपका दिया।

सभा और प्रदर्शन के बाद कार्यकर्ताओं ने बड़ी देर तक नारेबाजी की और राष्ट्रपति के नाम अधिकारियों को ज्ञापन देना चाहते थे, लेकिन कार्यालय में कोई अधिकारी मौजूद नहीं होने पर कार्यकर्ताओं ने ज्ञापन को संभागायुक्त के दरवाजे पर चिपका दिया।

प्रदर्शन में प्रमुख रूप से श्यामसुन्दर यादव, रामस्वरूप मंत्री, अरुण चौहान, प्रमोद नामदेव, जयप्रकाश गुगरी, कैलाश लिंबोदिया, पूर्व पार्षद सोहनलाल शिंदे, भगतसिंह यादव, अरविंद पोरवाल,हरिओम सूर्यवंशी, भागीरथ कछवाय, कामरेड मारोतकर, लक्ष्मीनारायण पाठक, माता प्रसाद मौर्य, धीरज अग्रवाल बड़ी संख्या में कार्यकर्ता शरीक थे।

आज 26 जून को खेती बचाओ लोकतंत्र बचाओ के नारे पर राजभवनों पर संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर दिल्ली में जय किसान आंदोलन, स्वाराज अभियान, दिल्ली फ़ॉर फार्मर्स, व आईएफटीयू द्वारा उपराज्यपाल निवास पर रोष प्रदर्शन आयोजित किया गया।

‌जय किसान आंदोलन के लगभग 20 साथियो और दिल्ली फॉर फार्मर के 15 महिला साथियों को एलजी हाउस के बाहर सिविल लाइन मेट्रो स्टेशन से दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर वजीराबाद पुलिस ट्रेनिंग सेंटर पर ले जाया गया। जय किसान आंदोलन से नेतृत्व कर रहे नवनीत तिवारी को भी पुलिस ने हिरासत में ले लिया।

आज प्रदर्शनकारी कोविड से बचाव के नियमों का पालन करते हुए सिविल लाइन मेट्रो स्टेशन पर इकट्ठा हुए और उपराज्यपाल निवास की ओर बढ़े तभी पुलिस ने उन्हें रोक दिया। महिलाओं, मजदूरों, छात्रों सहित अनेक दिल्लीवासियों ने कार्यक्रम में भाग लिया और किसानों के आंदोलन को समर्थन दिया।

इस बीच में 3 सदस्यों का एक प्रतिनिधिमंडल जय किसान आंदोलन की तरफ से राजीव यादव और दिल्ली फॉर फार्मर्स के पूनम कौशिक ज्ञापन देने के लिए उपराज्यपाल निवास पर पुलिस के घेरे में पहुंचे लेकिन मेमोरेंडम नहीं लिया गया।

सिविल लाइन मेट्रो स्टेशन पर जहां सभा चल रही थी वहां दिल्ली पुलिस की एसीपी महोदया के नेतृत्व में लगभग पंद्रह महिलाओं और बीस पुरुष प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया गया। हिरासत में लिये गए लोगों में स्वराज अभियान के महासचिव नवनीत तिवारी, स्वराज पूर्वांचल मोर्चा के अध्य्क्ष एस के चौबे, कॉमरेड अपर्णा अध्यक्ष इंडियन फेडरेशन ऑफ ट्रेड यूनियंस राष्ट्रीय कमेटी, एडवोकेट शोभा अध्यक्ष प्रगतिशील महिला संगठन को गिरफ़्तार करके पीटीएस वजीराबाद लाया गया। अंत में सभी साथियों को रिहाई मिल गई।

इस मौके पर स्वराज इंडिया की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष नवनीत तिवारी ने कहा कि आज से यह ऐतिहासिक किसान आंदोलन खेती ही नहीं, देश में लोकतंत्र को बचाने का आंदोलन भी बन गया है। हम उम्मीद करते हैं कि इस पवित्र मुहिम में हमें राष्ट्रपति जी का पूरा समर्थन मिलेगा क्योंकि उन्होंने सरकार नहीं, संविधान बचाने की शपथ ली है। जय किसान आन्दोलन दिल्ली देहात के संयोजक राजीव यादव ने कहा कि हम इस चिट्ठी के माध्यम से देश के करोड़ों किसान परिवारों का रोष देश रूपी परिवार के मुखिया तक पहुंचाना चाहते हैं। हम राष्ट्रपति जी से उम्मीद करते हैं कि वे केंद्र सरकार को यह निर्देश दें कि वह किसानों की इन न्यायसंगत मांगों को तुरंत स्वीकार करे, तीनों किसान विरोधी कानूनों को रद्द करे और एमएसपी (सी2+50%) पर खरीद की कानूनी गारंटी दे।”

 

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