9 सितंबर। एसडीएम आयुष सिन्हा के खिलाफ कार्रवाई करने की किसानों की मांग को एक बार फिर ठुकराने पर किसान नेताओं और करनाल प्रशासन के बीच वार्ता फिर बेनतीजा रही। जैसा कि एसकेएम यानी संयुक्त किसान मोर्चा ने पहले भी कहा है, दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने और उन्हें बढ़ावा देने और उनका समर्थन करने से, सरकार पुलिसिया हिंसा के असली मास्टर के रूप में सामने आ चुकी है।
किसानों का अपमान करते हुए करनाल प्रशासन ने कहा कि वे मुआवजा देने को तैयार हैं लेकिन अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करेंगे। एसकेएम के नेताओं ने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया और कहा कि उनका संघर्ष केवल आर्थिक मुआवजे के लिए नहीं बल्कि न्याय के लिए है। “सरकार का यह तर्क औचित्यहीन है कि वह एक अधिकारी को निलंबित नहीं कर सकती, जबकि कल ही उसने गुड़गांव में ऐसा किया है। हम सरकार से एक बहुत ही उचित बात कह रहे हैं, अधिकारी को निलंबित करने और उसके खिलाफ जांच का आदेश देने के लिए।” संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि सरकार की चाल से यह बिलकुल स्प्ष्ट हो जाता है कि अधिकारियों को दण्डमुक्ति कहाँ से मिल रही है?
अन्य राज्यों से समर्थन
तीसरे दिन भी लघु सचिवालय का घेराव जारी रहा। लघु सचिवालय के सामने हजारों किसानों ने कैंप और टेंट लगाए। किसानों को स्थानीय समुदाय और पूरे हरियाणा और भारत के विभिन्न राज्यों और जिलों से भारी समर्थन मिल रहा है। हरियाणा और अन्य राज्यों में कई स्थानों पर, किसानों ने करनाल आंदोलन के समर्थन में विरोध प्रदर्शन किया और हरियाणा के सीएम मनोहरलाल खट्टर का पुतला फूंका।
अनिल विज के बयान की निंदा
एसकेएम ने हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज के बयान की निंदा की, जिन्होंने किसानों के खिलाफ कार्रवाई करने की धमकी दी है। एसकेएम ने कहा, “हरियाणा सरकार अपने किसान विरोधी एजेंडे की लेकर बेनकाब हो गयी है। उन्होंने शुरू से ही किसान आंदोलन को बाधित करने की कोशिश की है, और किसानों और किसान नेताओं के खिलाफ कई मामले दर्ज किये हैं। फिर भी, वे किसानों के ‘सिर फोड़ने’ का आदेश देने वाले अधिकारी को बढ़ावा और समर्थन दे रहे हैं, और उनके खिलाफ कार्रवाई करने से इनकार कर रहे हैं।”
लखनऊ में बैठक
मुजफ्फरनगर किसान-मजदूर महापंचायत के बाद 9 सितंबर को लखनऊ में उत्तर प्रदेश की राज्य स्तरीय एसकेएम की बैठक शुरू हुई। बैठक का समापन आज राज्य में आंदोलन के अगले चरण के लिए बनायी गयी योजनाओं के साथ होगा। इस बीच भारत बंद की तैयारियां जोरों पर हैं। कई किसान-मजदूर संगठनों और राजनीतिक संगठनों ने आंदोलन को अपना समर्थन दिया है।
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