किसान आंदोलन ने बारहवें महीने में प्रवेश किया

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27 अक्टूबर। दिल्ली की सीमाओं पर किसान आंदोलन को ग्यारह महीने पूरे हो गए। हालांकि तीन किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ पंजाब में किसानों का आंदोलन इससे भी तीन महीने पहले शुरू हो गया था। इतने लंबे समय से इतनी बड़ी भागीदारी के साथ आंदोलन का जारी रहना यह बताता है कि तीन कृषि कानूनों की वापसी और एमएसपी की गारंटी की मांग किसानों के लिए जीवन मरण का प्रश्न बन गयी है।

26 अक्टूबर को संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर देश के विभिन्न हिस्सों से किसानों के धरना, प्रदर्शन की खबरें दूसरे दिन भी आती रहीं। किसानों ने तमाम जिलों में अधिकारियों को राष्ट्रपति के ज्ञापन देकर यह मांग दोहराई कि केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी को मंत्रिपरिषद से बर्खास्त किया जाए। उन्हें गिरफ्तार किया जाए और उनके खिलाफ हत्या तथा आपराधिक साजिश का मुकदमा चलाया जाए। लखीमपुर खीरी जनसंहार मामले की जांच एसआईटी गठित कर सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में की जाए।

किसानों को फंसाने का षड्यंत्र

लखीमपुर खीरी हत्याकांड मामले में गिरफ्तार भाजपा कार्यकर्ता सुमित जायसवाल, जो इस मामले में मुख्य आरोपी भी है, द्वारा दर्ज कराई गयी काउंटर प्राथमिकी के आधार पर पुलिस ने दो किसानों को गिरफ्तार किया है। जांच की आड़ में अधिक ये को फंसाने का षड्यंत्र किया जा रहा है। मारे गए पत्रकार रमन कश्यप के परिवार ने यह भी आरोप लगाया है कि पुलिस उनकी मौत के लिए किसानों पर आरोप लगाने की कोशिश कर रही है। यह स्पष्ट है कि घटना के लिए किसानों को दोषी ठहराने के लिए जांच टीम और अजय मिश्रा टेनी की तरफ से प्रयास किए जा रहे हैं।

एसकेएम ने किसानों की गिरफ्तारी की निंदा करते हुए उनकी रिहाई की मांग की है, और लखीमपुर खीरी हत्याकांड की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एसआईटी जांच की मांग दोहरायी है।

ग्लासगो में होगा मोदी का विरोध

ग्लासगो में COP26 बैठक में भाग लेने पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरोध में प्रवासी भारतीयों का प्रदर्शन होगा — 30 अक्टूबर को किसान आंदोलन के साथ एकजुटता में जॉर्ज स्क्वायर, ग्लासगो में। किसान आंदोलन को अनिवासी भारतीयों का भी पुरजोर समर्थन मिल रहा है।

लखबीर के परिवार को मुआवजा

पीड़ित लखबीर सिंह के परिवार को केंद्र और हरियाणा राज्य भाजपा सरकारों द्वारा मुआवजे का भुगतान किया गया है। उल्लेखनीय है कि जिन सरकारों ने पहले दावा किया था कि उनके पास आंदोलन में हुई मौतों की कोई जानकारी या रिकॉर्ड नहीं है, वे लखबीर सिंह के मामले में मुआवजा देने को तैयार हैं। जैसा कि एसकेएम ने पहले कहा था, इस मामले में किसान आंदोलन को बदनाम करने और उसे हिंसा में फंसाने की गहरी साजिश दिखाई देती है। एसकेएम ने सच्चाई स्थापित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग की है।

फुले के घर से शहीद कलश यात्रा

महाराष्ट्र के पुणे में महात्मा ज्योतिराव फुले के घर से बड़े उत्साह के साथ एक शहीद कलश यात्रा शुरू हुई। महात्मा ज्योतिराव फुले और सावित्रीबाई फुले की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण कर यात्रा की शुरुआत हुई। किसानों की एक बैठक भी हुई। यात्रा का समापन 18 नवंबर को मुंबई में हुतात्मा चौक पर एक विशाल किसान मजदूर महापंचायत के साथ होगा। तमिलनाडु के वेदारण्यम में, जहां 1930 में महात्मा गांधी के दांडी मार्च के दौरान राजाजी द्वारा नमक सत्याग्रह का आयोजन किया गया था, एक चार दिवसीय शहीद कलश यात्रा का समापन सैकड़ों किसानों और नागरिकों की एक सभा के साथ हुआ। सभा के बाद शहीदों की अस्थियां बंगाल की खाड़ी में विसर्जित की गयीं।

दिशा रवि टूलकिट मामला बंद होगा?

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, आठ महीने के बाद भी जांच में कोई प्रगति नहीं होने के बाद, दिशा रवि टूलकिट मामले को बंद करने की आवश्यकता हो सकती है। गौरतलब है कि एक स्नातक छात्रा और पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि को किसान आंदोलन का समर्थन करने के लिए आरोपित और गिरफ्तार किया गया था। 10 दिन जेल में बिताने के बाद उन्हें जमानत मिल गयी थी। हालांकि, आठ महीने बीत जाने के बाद भी पुलिस को अभी तक कथित “पूर्व नियोजित साजिश” का पता नहीं चल पाया है। यहां दमनकारी राज्य और सनसनीखेज मीडिया की भूमिका को रेखांकित करना महत्वपूर्ण है, जिसने किसान आंदोलन को समर्थन देने के ‘अपराध’ के लिए एक छात्रा को निशाना बनाया। एसकेएम ने कहा है कि केंद्र सरकार किसान आंदोलन के समर्थकों को परेशान करने और डराने की कोशिश बंद कर दे। एसकेएम ने इस सिलसिले में हाल ही में आंदोलन के एक एनआरआई समर्थक दर्शन सिंह धालीवाल को निर्वासित किये जाने का उदाहरण दिया है।

सुब्बाराव को श्रद्धांजलि

एसकेएम स्वतंत्रता सेनानी और गांधीवादी नेता डॉ एसएन सुब्बाराव को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा है कि भारत छोड़ो आंदोलन से लेकर हाल के दिनों तक, वह हमेशा जन आंदोलनों का हिस्सा थे और उन्होंने आजीवन सांप्रदायिक सद्भाव और सामाजिक और राष्ट्रीय एकता के लिए कार्य किया।

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