नगालैंड गोलीकांड की उच्चस्तरीय न्यायिक जांच हो – स्वराज इंडिया

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6 दिसंबर। स्वराज इंडिया ने नगालैंड के मोन जिले में आदिवासी नागरिकों की हत्या और सशस्त्र बलों के जवानों की दुर्भाग्यपूर्ण मौत की खबरों पर गहरा शोक व्यक्त किया। जैसा कि रिपोर्टों से संकेत मिलता है, 4 दिसंबर की देर दोपहर एक असफल आतंकवाद-विरोधी अभियान में छह कोयला खनिक मारे गए थे। इसके बाद, आठ अन्य नागरिकों और सशस्त्र बलों के एक जवान की भी जान चली गयी। इस बीच नगालैंड पुलिस की एक प्राथमिकी में सुरक्षाबलों पर गंभीर आरोप लगाये गये हैं।

स्वराज इंडिया ने लोकसभा के पटल पर केंद्रीय गृहमंत्री द्वारा दिए गए बयान का संज्ञान लेते हुए कहा है कि, दुर्भाग्य से यह बयान नागरिकों पर इस त्रासदी का दोष लगाने का प्रयास करता है। यह आश्चर्यजनक है कि गृहमंत्री ने कहा है कि सशस्त्र बलों द्वारा चेतावनी दिए जाने पर जिस वाहन में नागरिक यात्रा कर रहे थे, उसने “भागने” की कोशिश की और जिसके कारण गोली मारकर हत्या कर दी गयी। स्वराज इंडिया की मांग है कि गृहमंत्री सशस्त्र बलों द्वारा ब्रीफिंग के आधार पर बयान जारी करना बंद करें और ग्राम प्रतिनिधियों और चश्मदीद गवाहों की जमीनी रिपोर्ट पर भरोसा करें। भारत के लोग सच्चाई जानने के पात्र हैं और गृहमंत्री के पास इस नरसंहार के अपराधियों को बचाने के लिए एकतरफा अर्धसत्य को सामने लाने का कोई तात्पर्य नहीं है। आखिर सिर्फ एक संदेह के आधार पर लोगों की हत्या कैसे की जा सकती है? मारे गये आठ नागरिकों में एक व्यक्ति मोन के भाजपा जिला प्रमुख के काफिले का हिस्सा था।

स्वराज इंडिया ने कहा है कि नगालैंड की स्थिति कफी गंभीर और बेहद चिंताजनक है। स्थिति से निपटना भाजपा के राजनीतिक नेतृत्व और प्रशासन की उत्तर-पूर्वी राज्यों और विशेष रूप से नगालैंड में शांति और सद्भाव की भावना विकसित करने में विफलता को दर्शाता है। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि यह इस क्षेत्र में नागरिकों और सैनिकों की मौत की इकलौती घटना नहीं है। सितंबर 2021 में, असम में एक बेदखली अभियान में पुलिस द्वारा दो नागरिकों की गोली मारकर हत्या कर दी गयी और भाजपा के मुख्यमंत्री ने खुले तौर पर अपने ही भाई, जो पुलिस अधिकारी हैं, के नेतृत्व और हत्या का समर्थन किया। अगस्त में, असम और मणिपुर के भाजपा शासित राज्यों के बीच एक बड़े सीमा विवाद के परिणामस्वरूप छह पुलिस अधिकारियों और एक नागरिक की मौत हो गयी। आम नागरिकों और सैनिकों की ये बेवजह मौतें भाजपा के नेतृत्ववाली सरकारों की राजनीतिक और प्रशासनिक अपरिपक्वता को दर्शाती हैं, जो विभाजनकारी एजेंडे और रक्तपात की राजनीति पर पनपती दिख रही है। भारत के लोग शांति का जीवन, अनिश्चितता और मार दिये जाने के भय से मुक्ति के पात्र हैं।

स्वराज इंडिया ने घटना की जांच के लिए सर्वोच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश की अध्यक्षता में जांच आयोग के गठन, और प्रत्येक मृतक के परिवार को ₹ 1 करोड़ और घायलों को ₹ 25 लाख का मुआवजा देने की मांग की है।

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