केरल के पालक्कड़ में दलित चाकलिया समुदाय क्यों आंदोलित है?

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क्या इक्कीसवीं सदी में भी केरल में अस्पृश्यता का प्रचलन है? आपको आश्चर्य हो सकता है! लेकिन यह सब अभी भी पालक्कड़ जिले के मुतलमटा पंचायत के गोविन्दापुरम आंबेडकर कॉलोनी में हो रहा है। जातिगत भेदभाव के कारण दलित चाकलिया समुदाय को आवास से वंचित कर दिया गया है!

केरल विधानसभा के अध्यक्ष उस वक्त सांसद थे, जब 1917 में एक विशेष पैकेज के जरिये 40 बेघर परिवारों को भूमि और घरों के साथ सशक्त बनाने का वादा किया गया था। अब वे उस वादे से पीछे हट रहे हैं।

बेघरों में से कई परिवार एक कमरे के अस्थायी घर में रहते हैं। यह बेहद अफसोस की बात है कि इस तरह के घरों में 16 सदस्य तक होते हैं। वे संविधान द्वारा गारंटीकृत भूमि और घर के लिए 93 दिनों तक पंचायत कार्यालय के सामने बैठे रहे। विभिन्न स्तरों पर (जिला कलेक्टर, सांसद,. विधायक, अनुसूचित जाति कल्याण मंत्री) तीन दौर की चर्चा हुई। कहा गया कि सरकार द्वारा चरणबद्ध तरीके से लागू की जा रही जीवन मिशनपरियोजना में इन्हें शामिल करने पर विचार किया जा सकता है लेकिन उन्हें न तो वह जमीन दी जा रही है जिसके वे हकदार हैं न ही आवास के तौर पर मदद मुहैया करायी जा रही है। वह विशेष पैकेज भी लागू नहीं किया जा रहा है जिसका साफतौर पर वादा किया गया था।

खुद को गरीबों की हितैषी होने का दम भरनेवाली कम्युनिस्ट सरकार को उन पर कोई रहम नहीं है, भले ही मुतलमटा पंचायत में ही जमीन और एस.सी फंड में पैसा है। जीवन मिशन योजना यह नहीं बताती कि कितने चरणों में मकान कब तक उपलब्ध होगा और प्रत्येक चरण में कितने लोगों को शामिल किया जाएगा। 93 दिन बाद कलेक्टर ने चर्चा के लिए बुलाया मगर इनका पक्ष सुनने से भी इनकार कर दिया। बाद में 94वें दिन आयोजन स्थल को पालक्कड़ समाहरणालय में स्थानांतरित कर दिया गया। न्याय न मिलने के विरोध में तीन दिवसीय भूख हड़ताल की गयी।

भूख हड़ताल पर बैठे लोग प्रतीकात्मक रूप से अपने घुटनों पर रेंगते हुए गेट के पास पहुँचे, जहाँ उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और हटा दिया गया। ये लोग जमानत पर रिहा हो गए हैं और इस समय सत्याग्रह पर हैं। आंदोलन के 100वें दिन विरोध मार्च के दौरान लेटकर चक्कर लगाने पर भी कलेक्टर की आँखें नहीं खुलीं।

इस संघर्ष का नेतृत्व आंबेडकर दलित संरक्षण संघ कर रहा है, साथ में एकजुटता समिति भी है, जिसमें लगभग बीस विभिन्न संगठन और कई राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि शामिल हैं।

– अशोक के.सी.

सचिव, स्वराज इंडिया, केरल   

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